बदलाव का है इंतजार

- सिटी के प्राथमिक विद्यालयों में टायलेट की प्रॉपर व्यवस्था नहीं

- बच्चों को गंदगी के बीच करना पड़ता है यूज

ALLAHABAD: बेहतर शिक्षा के साथ बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार योजनाएं चला रही हैं। इनमें से टायलेट की व्यवस्था प्रत्येक स्कूल में सही ढंग से किए जाने पर विशेष जोर है। प्रधानमंत्री ने भी स्कूलों में बच्चों के लिए टॉयलेट के सुव्यवस्थित निर्माण और साफ-सफाई की बात कही है। लेकिन इसकी जमीनी हकीकत वास्तविकता से बिल्कुल जुदा है। आई नेक्स्ट की टीम जब सिटी के प्राथमिक स्कूलों में बने टॉयलेट की व्यवस्था देखने पहुंची तो हैरान रह गई। स्कूलों में जहां भी टॉयलेट बने हैं, वहां चारों ओर गंदगी फैली है। ऐसे में बच्चे उसे कैसे यूज करते होंगे, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।

गंदगी के बीच टॉयलेट

आईनेक्स्ट की टीम रियलिटी चेक करने बैरहना स्थित प्राथमिक विद्यालय पहुंची। वहां स्कूल के ग्राउंड में बच्चों के लिए टॉयलेट बना हुआ है। लेकिन आसपास गंदगी फैली थी। वहां आवारा जानवर घूमते नजर आ रहे थे। टॉयलेट की स्थिति बता रही थी कि उसकी नियमित सफाई नहीं होती है। स्कूल की देख-रेख करने वाली प्रिंसिपल या वहां के स्टॉफ को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऐसे में बच्चों को मजबूरी में उसी टॉयलेट को यूज करना पड़ता है।

अन्य स्कूलों का भी ऐसा ही हाल

सिटी के बीचों बीच एसआरएन हॉस्पिटल के पास स्थित सीपीआई के अन्दर संचालित हो रहे प्राथमिक स्कूल के बच्चों के लिए बने टॉयलेट का हाल भी वैसा ही दिखा। टीम ने जब वहां निरीक्षण किया तो देखा कि एक बच्चा गंदगी से भरे टायलेट को यूज करके निकल रहा था। जब टॉयलेट के पास खड़ी एक कर्मचारी से साफ-सफाई की व्यवस्था के बारे में पूछा गया, तो उसने कहा कि वह अभी कुछ दिन पहले ही यहां आयी है। इसलिए उसे सही से जानकारी नही है।

स्कूलों के टॉयलेट की साफ-सफाई के लिए स्वीपर न होने से ये दिक्कत आ रही है। इसके लिए कोई अलग से बजट भी नहीं होता है कि स्कूल किसी को नियुक्त कर सके। फिर भी साफ-सफाई के लिए हर स्तर पर कोशिश की जा रही है।

राजकुमार यादव

बीएसए, इलाहाबाद