- परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों से ही मांगे गए थे आवेदन

-निजी स्कूल्स के 12 से अधिक टीचर्स ने भी कर दिया आवेदन

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बेरोजगारी से जूझ रहे युवा रोजगार पाने के लिए बिना सोचे समझे ही आवेदन कर रहे हैं। रोजगार का मौका हाथ से न निकल जाए इस जल्दबाजी में वह यह भी नहीं देख रहे हैं कि वह जहां आवेदन कर रहे हैं उसके लिए वह पात्र हैं भी या नहीं। कहीं भी आवेदन मांगे जाने पर वह जल्द रोजगार पाने के लिए तुरंत आवेदन फार्म भरकर जमा कर देते हैं। ऐसे मामले इन दिनों बेसिक शिक्षा विभाग में देखने को मिल रहे हैं। शासन ने हर जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के कुछ स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के रूप में विकसित करने का आदेश दिया है। इसके लिए बेसिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों से ही आवेदन मांगे गए थे, लेकिन रोजगार पाने की जल्दबाजी में कई निजी स्कूलों के शिक्षकों ने भी आवेदन कर दिया। ऐसे आवेदनों को अब बेसिक शिक्षा विभाग अलग करने में जुटा हुआ है।

दो बार बढ़ाई गई आवेदन की डेट

जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के 80 स्कूल्स को इंग्लिश मीडियम बनाए जाने का शासन से आदेश जनवरी माह में विभाग के पास पहुंचा था। जिसके बाद विभाग ने इंग्लिश स्कूल्स में प्रधानाचार्य और टीचर्स के लिए वर्तमान में परिषदीय स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों से आवेदन मांगे थे। पहली बार आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 23 फरवरी थी, लेकिन आवेदन 150 पर ही सिमट गए। जिस कारण आवेदन की डेट बीएसए ने बढ़ाकर 5 मार्च कर दी। लेकिन पांच मार्च तक सिर्फ 368 टीचर्स ने ही अप्लाई किया है। जबकि विभाग को 400 टीचर्स और 80 प्रधानाचार्य की आवश्यकता है।

आवेदक हुए कन्फयूज

विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि बेसिक शिक्षा विभाग ने जब आवेदन मांगे थे तो उसमें लिखा था कि कांवेंट स्कूल्स में पढ़े हुए आवेदक को वरीयता दी जाएगी। इसके साथ कम से कम इंटरमीडिएट में इंग्लिश विषय होने पर भी अप्लाई कर सकते हैं। इसी बात पर आवेदन करने वाले बेरोजगार कंफ्यूज हो गए। जिस कारण निजी स्कूल्स में पढ़ाने वाले टीचर्स ने भी आवेदन कर दिया। जबकि वह इसके लिए पात्र ही नहीं है। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल्स में पढ़ा रहे टीचर्स को ही आवेदन करना था।

लिखित और इंटरव्यू के बाद होगा चयन

इंग्लिश टीचर्स के लिए आवेदन करने वाले टीचर्स के लिए लिखित परीक्षा 50 अंक की और इंटरव्यू 50 अंक का इंग्लिश में होना था। जिसको पास करने के बाद ही इंग्लिश स्कूल के लिए नियुक्त की जानी थी।

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इंग्लिश स्कूल्स के लिए आवेदन बेसिक स्कूल में पढ़ाने वाले टीचर्स को करने थे। लेकिन जब आवेदन लिफाफा खोलकर चेक किए गए तो उसमें निजी स्कूल्स में पढ़ाने वालों के भी आवेदन निकले। जिन्हें अलग कराया जा रहा है।

चन्दनाराम इकबाल यादव, बीएसए