पीलीभीत: प्रदेश में बेसिक शिक्षा के बंटाधार का अनूठा मामला सामने आया है। पीलीभीत के एक बेसिक स्कूल में लगातार गिरते पढ़ाई के स्तर और जर्जर बिल्डिंग की दहशत में यहां सिर्फ 3 बच्चों का नामांकन रह गया है। इनमें से भी दो ही स्कूल आते हैं। बिल्डिंग गिरने की दहशत में बच्चों को खुले में पढ़ाया जाता है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि स्कूल में दो टीचर पदस्थ है वह भी स्थायी। जिन पर करीब 10 लाख रुपए प्रतिवर्ष वेतन के रुप में खर्च किए जा रहे हैं। मामले में जब मंडल स्तरीय शिक्षा अधिकारियों से बात की गई तो वे हैरान रह गए। उन्हें इस कड़वी हकीकत का यकीन तक नहीं हुआ। आई नेक्स्ट आपको स्कूल की उस कड़वी सच्चाई से रूबरू करा रहा है जो ने आपने अब तक देखी होगी न सुनी।

प्राथमिक स्कूल बाइफरकेशन जिला पीलीभीत

कक्षा एक से पांच तक संचालित

शिक्षक- 2

प्रेमपाल

राघवेंद्र गंगवार

बच्चे 3

माही कक्षा 4

श्लोक कक्षा 3

निशा कक्षा 2

माही कई दिन से स्कूल नहीं आ रही

एक सरकारी स्कूल जिसमें दो टीचर और सिर्फ दो ही बच्चे हैं, यकीन नहीं हो रहा हैं न, आपको ही नहीं मंडल की शिक्षा अधिकारियों को भी यकीन नहीं हुआ। पर यह हकीकत है। बरेली मंडल के पीलीभीत जिले में एक ऐसा बेसिक स्कूल चल रहा है, जिसमें अब सिर्फ दो बच्चे पढ़ने आते हैं, स्कूल में नामांकन तीन बच्चों का है, एक स्कूल आ नहीं रहा। जबकि इस स्कूल में दो टीचर तैनात है।

कभी होते थे 100 से अधिक बच्चे-

स्कूल के टीचर प्रेमपाल बताते हैं कि कभी यह स्कूल बड़ा फेमस रहा। अंग्रेजों के जमाने से यहां नहर कर्मचारियों के बच्चे पढ़ते थे। बाद में सरकार ने प्राइमरी स्कूल बना दिया। स्कूल का रिकार्ड बताता है कि कभी यहां 100 से अधिक बच्चे पढ़ते थे।

शिक्षा विभाग की अनदेखी और शिक्षा की गिरती गुणवत्ता ने स्कूल को ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया कि अब यहां महज दो बच्चे आते हैं। बेसिक शिक्षा का स्तर इस कदर गर्त में पहुंच चुका है कि एक स्कूल में दो सिर्फ दो ही बच्चे रह गए हैं। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इन दो बच्चों के लिए यहां दो टीचर पदस्थ हैं। चौकानें वाले बात यह है कि इस स्कूल में एक दौर में 100 से अधिक बच्चे थे, लेकिन

बच्चे और शिक्षक दोनों का भविष्य दांव पर

इस स्कूल के अहाते में बैठे शिक्षक और बच्चे दोनों ही हालत देखकर लगता है मानों प्रदेश में शिक्षा के भविष्य और के अपने स्वयं के भविष्य को दाव पर लगाए बैठे हों। शिक्षक कुर्सी पर बैठे उंघते रहते हैं और जमीन पर चटाई बिछाए बैठे नौनिहाल बिना किसी निर्देश के खुद किताबों में अपना भविष्य तलाशते नजर आते हैं।

टीचर्स ने कर डाला शिक्षा का बाइफरकेशन

प्राथमिक विद्यालय बाइफरकेशन पीलीभीत में महज दो बच्चों के होने से भी चौंकाने वाला मामला यह है कि यहां के शिक्षकों ने भी अपने काम का बाइफरकेशन विभाजन कर लिया है। दो शिक्षक हैं, दोनों अल्टरनेट डे स्कूल आते हैं। कोई अधिकारी या पूछताछ करने आता है तो एक दूसरे को कॉल कर बुला लेते हैं। शारदा नहर के बाइफरकेशन प्वाइंट के पास बने इस स्कूल का नाम की तरह की यहां के शिक्षकों के भी काम का बंटवारा कर लेना अनूठा मामला है। आई नेक्स्ट ने स्कूल पहुंच कर वहां का जायजा लिया है तो टीचर पे्रमपाल बैठे मिले। पूछने पर उन्होंने बताया कि एक अन्य टीचर राघवेन्द्र गंगवार भी हैं। राघवेन्द्र के बारे में पूछने पर उन्होंने तुरंत मोबाइल से कॉल कर राघवेन्द्र गंगवार को बुला लिया और कुछ ही देर में वे बाइक लेकर पहुंचे और दो बच्चों को पढ़ाने दो शिक्षक पहुंच गए।

शिक्षकों की हकीकत पर ही संदेह

मामले में और भी चौंकाने वाली बात तो असिस्टेंट डायरेक्टर से बातचीत में सामने आई। उन्हें तो ऐसे स्कूल की जानकारी लिखकर देने वाले शिक्षकों के ही असली होने पर संदेह हैं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जब स्कूल ऐसा है तो वहां बैठे मिले टीचर भी फर्जी हो सकते है। यह भी हो सकता है पदस्थ के स्थान पर कोई और स्कूल में आता हो। वहां मिले शिक्षकों की सच्चाई की भी जांच कराई जाएगी।

पीलीभीत में अगर ऐसा स्कूल है, जिसमें सिर्फ तीन बच्चे हैं, तो चौंकाने वाली बात है, शिक्षा का गिरता स्तर ही इसका कारण होगा, पीलीभीत में पिछले दिनों मैंने भी वहां के इगरा गांव के प्राथमिक स्कूल का दौरा किया था,वहां कक्षा पांच के बच्चे को सामान्य सा सवाल तक नहीं आया था कि 1 मीटर में कितने सेंटीमीटर होते हैं। मैं खुद बेसिक शिक्षा अधिकारियों से बात करूंगा।

एसपी द्विवेदी,

जेडी एजूकेशन बरेली

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अरे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है। कि मेरे मंडल में कोई ऐसा भी स्कूल हैं जहां सिर्फ तीन बच्चे हैं, बीएसए को भेज कर जांच कराऊंगी और तत्काल जरूरी कदम उठाऊंगी-

शशि देवी शर्मा

असि.डायरेक्टर एजुकेशन बेसिक,