यह कैसा शिष्टाचार


Allahabad: गुरुजनों का आदर करना। उन्हें सम्मान देना, निश्चित तौर पर शिष्टाचार होता है। लेकिन, इसे क्या कहेंगे, सम्मान? या अपमान? यहां जिले के ऑला ऑफिसर मौजूद थे। करीब चार सौ स्कूलों के प्रिंसिपल मौजूद थे। बड़ा आयोजन था। फिर इन छात्राओं से यह काम क्यों करवाया जा रहा था? इसे नोटिस लेने वाला भी कोई नहीं था.

Principals meeting 

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 यह क्या करवा रहे हैं गुरुजी
बड़ी बात तो यह है कि चार सौ स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ बोर्ड एग्जाम से जुड़े लोगों का जमावड़ा होने जा रहा था। बोर्ड एग्जाम से रिलेटेड इंपॉरटेंट डिस्कशन होने थे। इस टाइम पर तो वैसे भी छात्राओं को रोकने का कोई मतलब नहीं था। स्कूल बंद नहीं करना था तो चलो छात्राओं को रोक लिया। लेकिन, उनसे ऑफिसर्स को चाय-नाश्ता सर्व कराना कहां से सही है। सिस्टम ने भले ही इसे गले के नीचे उतार लिया हो लेकिन वैसे यह मुद्दा गले से नीचे उतरने वाला नहीं है। क्योंकि, 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना वैसे भी चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत कार्रवाई के दायरे में आता है.

बच्चों से काम नहीं करा सकते
चाइल्ड लेबर एक्ट के प्रावधानों के अनुसार होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट या चाय की दुकान पर किसी बच्चे से काम कराना कानूनी अपराध है। ऐसा कराने वाले के खिलाफ चाइल्ड लेबर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने का प्रावधान है और पुलिस संबंधित की गिरफ्तारी भी कर सकती है। क्या यहां भी ऐसी कोई कार्रवाई होगी? क्या डीआईओएस, माध्यमिक शिक्षा विभाग के ऑफिसर्स या सेंट एंथोनी स्कूल की प्रिंसिपल से यह पूछा भी जाएगा कि ऐसा किन परिस्थितियों में हुआ?

तीन मार्च से होने हैं यूपी बोर्ड एग्जाम
तीन मार्च से पूरे स्टेट में यूपी बोर्ड का हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का एग्जाम शुरू होने जा रहा है। एग्जाम शुरू होने से पहले बोर्ड एग्जाम के लिए बनाई गई प्लानिंग को फाइनल करने और प्रिंसिपल्स की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए टयूजडे को जार्ज टाउन स्थित सेंट एंथोनी इंटर कॉलेज में बोर्ड एग्जाम के लिए बनाए गए सभी सेंटर के प्रिंसिपल्स की मीटिंग बुलाई गई थी। करीब 400 से अधिक प्रिंसिपल मौजूद थे। डीएम पी गुरु प्रसाद और डीआईओएस महेंद्र कुमार सिंह ने मीटिंग को संबोधित किया.

तो यह सेवा भी 
मीटिंग चल रही थी इसी बीच प्रिंसिपल के लिए चाय व नाश्ता मंगवाया गया। लेकिन, चाय-नाश्ता लेकर डीआईओएस कार्यालय का कोई कर्मचारी नहीं बल्कि सेंट एंथोनी इंटर कॉलेज की ही कुछ छात्राएं नाश्ते से भरा ट्रे लेकर पहुंचीं। मीटिंग हॉल में मौजूद सभी प्रिंसिपल्स को चाय-नाश्ता सर्व किया। लेकिन, किसी ने भी यह ध्यान नहीं दिया कि ये गलत हो रहा है। जिन छात्राओं को क्लास में होना चाहिए, उनसे इस तरह से नाश्ता सर्व नहीं कराना चाहिए। बोर्ड एग्जाम की तैयारी के लिए मीटिंग भले ही सेंट एंथोनी इंटरमीडिएट कॉलेज में आर्गनाईज की गई हो लेकिन यह आयोजन बेसिकली डीआईओएस कार्यालय का था। डीआईओएस कार्यालय की जिम्मेदारी थी कि वह अपने कर्मचारी लगाकर नाश्ता सर्व कराए। आखिर, डीआईओएस कार्यालय के कर्मचारी कहां थे? कर्मचारी नहीं थे तो पेड सर्विस के थ्रू लोगों को क्यों नहीं बुलाया गया. 

मीटिंग में छात्राओं का क्या काम
जब मीटिंग सरकारी और पूरी तरह से विभागीय थी तो फिर स्कूल की स्टूडेंट्स को मीटिंग हॉल में क्यों बुलाया गया? सरकारी मीटिंग के लिए सरकार की ओर से हर डिपार्टमेंट को बजट मिलता है। बावजूद इसके टयूजडे को प्रिंसिपल्स की मीटिंग में कंजूसी की गई। इससे एक सवाल यह भी उठता है कि क्या शिक्षा विभाग कंगाल हो गया है? उसके पास इतना भी बैलेंस नहीं है कि वह कुछ लोगों को हायर कर मीटिंग में नाश्ता सर्व करा सके.

मैं वहां केवल आधे घंटे के लिए गया था। उस वक्त ऐसा कुछ नहीं था। किसी ने मेरे संज्ञान में यह मामला लाया भी नहीं है। यह गंभीर मामला है और मैं इसे जरूर देखूंगा.
-पी गुरुप्रसाद
डीएम, इलाहाबाद
Reported by Balaji kesarwani

 यह क्या करवा रहे हैं गुरुजी

बड़ी बात तो यह है कि चार सौ स्कूलों के प्रिंसिपल्स के साथ बोर्ड एग्जाम से जुड़े लोगों का जमावड़ा होने जा रहा था। बोर्ड एग्जाम से रिलेटेड इंपॉरटेंट डिस्कशन होने थे। इस टाइम पर तो वैसे भी छात्राओं को रोकने का कोई मतलब नहीं था। स्कूल बंद नहीं करना था तो चलो छात्राओं को रोक लिया। लेकिन, उनसे ऑफिसर्स को चाय-नाश्ता सर्व कराना कहां से सही है। सिस्टम ने भले ही इसे गले के नीचे उतार लिया हो लेकिन वैसे यह मुद्दा गले से नीचे उतरने वाला नहीं है। क्योंकि, 14 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना वैसे भी चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत कार्रवाई के दायरे में आता है।

बच्चों से काम नहीं करा सकते

चाइल्ड लेबर एक्ट के प्रावधानों के अनुसार होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट या चाय की दुकान पर किसी बच्चे से काम कराना कानूनी अपराध है। ऐसा कराने वाले के खिलाफ चाइल्ड लेबर एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने का प्रावधान है और पुलिस संबंधित की गिरफ्तारी भी कर सकती है। क्या यहां भी ऐसी कोई कार्रवाई होगी? क्या डीआईओएस, माध्यमिक शिक्षा विभाग के ऑफिसर्स या सेंट एंथोनी स्कूल की प्रिंसिपल से यह पूछा भी जाएगा कि ऐसा किन परिस्थितियों में हुआ?

तीन मार्च से होने हैं यूपी बोर्ड एग्जाम

तीन मार्च से पूरे स्टेट में यूपी बोर्ड का हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का एग्जाम शुरू होने जा रहा है। एग्जाम शुरू होने से पहले बोर्ड एग्जाम के लिए बनाई गई प्लानिंग को फाइनल करने और प्रिंसिपल्स की प्रॉब्लम सॉल्व करने के लिए टयूजडे को जार्ज टाउन स्थित सेंट एंथोनी इंटर कॉलेज में बोर्ड एग्जाम के लिए बनाए गए सभी सेंटर के प्रिंसिपल्स की मीटिंग बुलाई गई थी। करीब 400 से अधिक प्रिंसिपल मौजूद थे। डीएम पी गुरु प्रसाद और डीआईओएस महेंद्र कुमार सिंह ने मीटिंग को संबोधित किया।

तो यह सेवा भी 

मीटिंग चल रही थी इसी बीच प्रिंसिपल के लिए चाय व नाश्ता मंगवाया गया। लेकिन, चाय-नाश्ता लेकर डीआईओएस कार्यालय का कोई कर्मचारी नहीं बल्कि सेंट एंथोनी इंटर कॉलेज की ही कुछ छात्राएं नाश्ते से भरा ट्रे लेकर पहुंचीं। मीटिंग हॉल में मौजूद सभी प्रिंसिपल्स को चाय-नाश्ता सर्व किया। लेकिन, किसी ने भी यह ध्यान नहीं दिया कि ये गलत हो रहा है। जिन छात्राओं को क्लास में होना चाहिए, उनसे इस तरह से नाश्ता सर्व नहीं कराना चाहिए। बोर्ड एग्जाम की तैयारी के लिए मीटिंग भले ही सेंट एंथोनी इंटरमीडिएट कॉलेज में आर्गनाईज की गई हो लेकिन यह आयोजन बेसिकली डीआईओएस कार्यालय का था। डीआईओएस कार्यालय की जिम्मेदारी थी कि वह अपने कर्मचारी लगाकर नाश्ता सर्व कराए। आखिर, डीआईओएस कार्यालय के कर्मचारी कहां थे? कर्मचारी नहीं थे तो पेड सर्विस के थ्रू लोगों को क्यों नहीं बुलाया गया. 

मीटिंग में छात्राओं का क्या काम

जब मीटिंग सरकारी और पूरी तरह से विभागीय थी तो फिर स्कूल की स्टूडेंट्स को मीटिंग हॉल में क्यों बुलाया गया? सरकारी मीटिंग के लिए सरकार की ओर से हर डिपार्टमेंट को बजट मिलता है। बावजूद इसके टयूजडे को प्रिंसिपल्स की मीटिंग में कंजूसी की गई। इससे एक सवाल यह भी उठता है कि क्या शिक्षा विभाग कंगाल हो गया है? उसके पास इतना भी बैलेंस नहीं है कि वह कुछ लोगों को हायर कर मीटिंग में नाश्ता सर्व करा सके।

मैं वहां केवल आधे घंटे के लिए गया था। उस वक्त ऐसा कुछ नहीं था। किसी ने मेरे संज्ञान में यह मामला लाया भी नहीं है। यह गंभीर मामला है और मैं इसे जरूर देखूंगा।

-पी गुरुप्रसाद

डीएम, इलाहाबाद

Reported by Balaji kesarwani