- ऑक्सीजन के लिए यूज होने वाली बाईपेप मशीनें आईसीयू में लगा कर बिजनेस कर रहा वार्ड ब्वॉय

- आईसीयू में लगी सरकारी मशीनें कंडम होने के बाद खुद मशीन खरीद कर शुरू कर दिया काम

-एक मशीन का रोज का किराया 500 रुपए, डॉक्टर्स से लेकर प्रिंसिपल तक सभी को जानकारी फिर भी चुप

KANPUR: सिटी का सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल के हैलट के आईसीयू में प्राइवेट बिजनेस खुलेआम किया जा रहा है। प्राइवेट पैथलॉजी वालों के गुर्गे तो यहां पहले से ही सक्रिय थे। लेकिन अब किराए पर ऑक्सीजन भी उपलब्ध है। प्राइवेट बिजनेस करने वाला कोई बाहरी नहीं बल्कि हॉस्पिटल का एक दबंग वॉर्ड ब्वॉय है। खुद का इनवेस्टमेंट करके वार्ड ब्वॉय ने तेजी से ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली तीन बाईपेप मशीनें आईसीयू में लगा रखी हैं। वह एक मशीन का एक दिन का किराया भ्00 रुपए पेश्ेांट से वसूलता है। यह पूरा बिजनेस आईसीयू के डॉक्टर्स और प्रिंसिपल की जानकारी में चल रहा है। इसके बाद भी न तो वॉर्ड ब्वॉय पर कोई एक्शन हुआ और न ही उसकी मशीनें हटाई हैं। ये हालात हैलट की हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं।

क्या यूज है बाईपेप मशीन का

हैलट के व‌र्ल्ड क्लास आईसीयू में पाइप्ड ऑक्सीजन उपलब्ध है। लेकिन पेशेंट के फेफड़ों में ज्यादा तेजी से ऑक्सीजन देने के लिए बाईपेप मशीनों का यूज किया जाता है। इस मशीन के यूज से ऑक्सीजन के पे्रशर को सोते समय भी आवश्यकतानुसार सेट किया जा सकता है। आम तौर पर इसका यूज उन पेशेंट्स के लिए किया जाता है जो ठीक से ऑक्सीजन नहीं ले पाते हैं। मार्केट में यह मशीन म्भ् हजार से क्.भ् लाख रुपए तक में उपलब्ध है। आईसीयू की जो अपनी तीन बाईपेप मशीनें थीं वो पूरी तरह कंडम हो चुकी हैं। हालांकि बेहद कम खर्चे में उनकी मरम्मत कराई जा सकती थी लेकिन किसी ने इसकी जहमत नहीं उठाई। इस मौके का फायदा एक वार्ड ब्वॉय ने उठाया। अपने पैसों से तीन नई मशीनें खरीदीं और डॉक्टर्स से सेटिंग कर आईसीयू में किराए पर चलाने लगा। सोर्सेज की मानें तो किराए का एक हिस्सा डॉक्टर्स की जेब में भी जाता है।

आईसीयू में भ्00, बाहर के लिए क्,000

जिस वार्डब्वॉय ने आईसीयू में खुद खरीद कर तीन बाईपेप मशीनें लगाई है। वह काफी समय से आईसीयू में ही काम कर रहा है। कई कर्मचारियों और नर्सेस को रोटेशन के तहत हटाया जाता रहता है लेकिन इस वार्डब्वॉय का कभी कुछ नहीं होता। हैलट के आईसीयू के अलावा यह कर्मचारी घरों में और प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी मशीन की सुविधा उपलब्ध कराता है लेकिन वहां के लिए चार्जेस डबल मतलब क्,000 रुपए प्रति ख्ब् घंटे के हिसाब से वसूले जाते हैं।

जानकर भी अंजान बनें हैं जिम्मेदार

आईसीयू में चल रहे इस प्राइवेट बिजनेस की जानकारी डॉक्टर्स और प्रिंसिपल से लेकर पूरे स्टाफ को है। लेकिन सब अंजान बने रहते हैं। कई बार पेशेंट का भला होने की बात सोच कर भी वह चुप रहते हैं। इस संबंध में मेडिसिन आईसीयू की प्रभारी प्रो। डॉ। आरती लालचंदानी से बात की गई तो उन्होंने यह तो माना कि बाईपेप मशीनें खराब पड़ी हैं। साथ ही यह भी जानकारी दी कि आईसीयू के मॉर्डनाइजेशन के लिए 9 करोड़ का बजट आया है। जिसमें इन मशीनों को भी खरीदा जाएगा। लेकिन आखिर में उन्होंने भी इस गोरखधंधे की जानकारी होने से इंकार कर दिया।

'आईसीयू में मशीन लगा कर किराया वसूलने की आपसे जानकारी मिली है। इसकी जांच कराई जाएगी। अगर कोई कर्मचारी इसमें लिप्त पाया जाता है। तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। '

- डॉ। सुरेश चंद्रा, एसआईसी