- शासन पर हावी निजी कॉलेज, दो लाख रुपये ज्यादा फीस कराने में हुए सफल

सालाना फीस

- 11.30 लाख एमबीबीएस

3.25 लाख बीडीएस

<- शासन पर हावी निजी कॉलेज, दो लाख रुपये ज्यादा फीस कराने में हुए सफल

सालाना फीस

- क्क्.फ्0 लाख एमबीबीएस

फ्.ख्भ् लाख बीडीएस

LUCKNOW: lucknow@inext.co.in

LUCKNOW: यूपी के निजी मेडिकल कॉलेजों ने एमबीबीएस और बीडीएस की फीस बढ़वाने में सफलता हासिल कर ली है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इस बाबत दिए प्रस्ताव से उलट दो लाख रुपये अधिक फीस बढ़वाने में निजी मेडिकल कॉलेजों का दबाव काम कर गया। मालूम हो कि शासन ने एमबीबीएस के लिए क्क्.फ्0 लाख रुपये व बीडीएस के लिए फ्.ख्भ् लाख रुपये अंतरिम फीस घोषित की है, इसी आधार पर शुक्रवार से काउंसिलिंग होगी। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ। अनूप चंद्र पांडेय की अध्यक्षता में गठित फीस कमेटी तीन माह में अपनी रिपोर्ट देगी। तीन माह बाद नए सिरे से फीस घोषित होगी और अंतर का समायोजन हो जाएगा।

आधी सीटें थीं सब्सिडाइज्ड

राज्य सरकार ने पिछले दिनों निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों की आधी सीटों को सब्सिडाइज्ड घोषित कर उनके लिए फ्म् हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया था। शेष सीटों पर एमबीबीएस के लिए क्7 लाख म्ब् हजार से ख्क् लाख फ्ख् हजार रुपये और बीडीएस के लिए दो लाख ख्ख् हजार से छह लाख ब्8 हजार रुपये के बीच शुल्क निर्धारित किया गया था। इसी आधार पर काउंसिलिंग भी शुरू हो गई थी। इस बीच मामला हाईकोर्ट में गया और अदालत ने काउंसिलिंग को सही ठहराते हुए नए सिरे से फीस निर्धारण के निर्देश दिए। इसके बाद पिछले सोमवार को निजी कॉलेज प्रबंधकों के साथ बैठक के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने शासन स्तर पर 8.7भ् लाख से क्0.7भ् लाख रुपये के बीच फीस का प्रस्ताव किया था।

ख्00भ् में एमबीबीएस की ब्.क्0 लाख

इससे पहले वर्ष ख्00भ् में एमबीबीएस के लिए ब्.क्0 लाख शुल्क निर्धारित किया गया था। ऐसे में विभाग द्वारा प्रस्तावित फीस पूर्व निर्धारित सरकारी फीस से दोगुने से अधिक थी, लेकिन मेडिकल कॉलेज संचालक इतने से भी मानने को तैयार नहीं थे। कॉलेज संचालकों ने शासन स्तर पर सक्रियता बढ़ाई, जिसके परिणामस्वरूप फीस और बढ़वाने में सफल हो गए। मालूम हो कि सूबे में निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की फ्क्00 व बीडीएस की ख्फ्00 सीटें हैं।