- प्राइवेट स्कूल व्हीकल्स ऑनर्स ने बढ़ा दिया किराया

- प्रशासन का नहीं है कोई नियंत्रण, परेशान हैं शहर के लोग

GORAKHPUR:

एडमिशन फॉर्म, फीस, यूनीफॉर्म के बाद अब पैरेंट्स पर प्राइवेट स्कूल व्हीकल्स संचालकों की मनमानी की मार पड़ी है। वाहन संचालकों ने किराए में बड़ी वृद्धि कर दी है जिससे पैरेंट्स कराह उठे हैं। पैरेंट्स फोरम के पदाधिकारी किराया बढ़ाने को लेकर बेहद नाराज हैं। हैरत की बात यह है कि स्कूल वाहन संचालकों की मनमानी पर परिवहन विभाग मौन साधे हुए है।

100-300 रुपए तक बढ़ाया किराया

स्कूली वाहनों के किराए में 100 से 300 रुपए तक की बढ़ोत्तरी हुई है। स्कूली वैन वाले जहां एक बच्चे को कैरी करने का हर माह किराया 700 से 800 रुपए ले रहे थे। वहीं अब वह 1000 से 1200 रुपए किराया वसूल करेंगे। इसी तरह स्कूली ऑटो, टेम्पो और स्कूली बसों ने भी किराए में इजाफा कर दिया है।

टैक्स में छूट के बाद भी लूट

मोटर व्हीकल एक्ट में स्कूल के नाम से रजिस्टर्ड वैन को टैक्स से छूट प्राप्त है। कॉमर्शियल टैक्स की जगह वन टाइम टैक्स जमा करना होता है। प्राइवेट स्कूल व्हीकल ऑनर्स को कॉमर्शियल टैक्स में 50 परसेंट की छूट मिलती है। बावजूद इसके व्हीकल्स ऑनर्स मनमाने तरीके से किराए की दर में बढ़ोत्तरी कर रहे हैं जबकि स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से निर्धारित किराया ही वसूल करने का प्रावधान है।

वाहनों के मानक

- पॉल्यूशन रहित

- पायदान तक बच्चे की आसानी से पहुंच हो

- खिड़की पर रेलिंग लगी हो

- फायर एक्सि्टंग्यूशर

- वाहन पर चालक का नाम, कांटैक्ट नंबर एवं स्कूल का नाम

- आराम दायक सीट और स्कूल ड्रेस टांगने की व्यवस्था

एडवाइज फॉर पैरेंट्स

स्कूल प्रशासन की मानें तो स्कूली ऑटो हो या फिर बस, यदि बच्चा स्कूल के रजिस्टर्ड वाहन से आता जाता है तो इसकी गारंटी स्कूल प्रशासन लेता है, लेकिन अपनी सुविधानुसार गार्जियन अगर ऑटो या फिर किसी भी व्हीकल्स से भेज रहे हैं तो इसके लिए पैरेंट्स की ही जिम्मेदारी है। मनमानी किराए को लेकर आरटीओ में शिकायत की जा सकती है।

नंबर गेम

3500 प्राइवेट स्कूली ऑटो हैं शहर में

3000 स्कूली वाहन हैं रजिस्टर्ड

535 स्कूल्स हैं सिटी में

कॉलिंग

मेरे हसबैंड बिजनेसमैन हैं। समय नहीं मिलने के कारण बच्चे के लिए ऑटो कर दी हूं। लेकिन इस महीने से ऑटो वाले ने दो सौ रुपए बढ़ा दिए हैं। इनकी मनमानी पर आरटीओ को कार्रवाई करनी चाहिए।

मेरा बेटा पिछले तीन साल से ऑटो से जा रहा है, लेकिन ऑटो के पीछे न तो ड्राइवर का नाम लिखा है और न ही उसका मोबाइल नंबर। इन ऑटो वालों के खिलाफ आरटीओ को कार्रवाई करनी चाहिए। प्रशासन को किराया निर्धारित करवाना चाहिए।

वर्जन

प्राइवेट स्कूल वाहन संचालकों की मनमानी बढ़ गई है। मानक के अनुसार वह बच्चों को नहीं ढोते हैं। इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

राकेश कुमार, आरटीओ एनफोर्समेंट, गोरखपुर