प्रख्यात फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली बोले, कला के लिए सरहदें मायने नहीं रखतीं

ALLAHABAD: बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक मुजफ्फर अली ने फिल्मों से लेकर आम जीवन में हो रहे शोर शराबा की आलोचना की है। उन्होंने दो टूक कहा कि अब पब्लिक का टेस्ट बहुत गिर गया है। शहर से लेकर गांव तक में लोग डिस्को कल्चर के आदी हो गए हैं। अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और हर तरफ सिर्फ शोरगुल ही दिखाई देता है। इसलिए हम लोग शोर के आदी हो गए हैं।

पब्लिसिटी पर खर्च हो रहे करोड़ों

इलाहाबाद में चल रहे तीन दिवसीय सांस्कृतिक पर्व में शामिल होने पहुंचे मुजफ्फर अली ने कहा कि अब फिल्म की पब्लिसिटी पर ही करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जा रहे हैं। यही वजह है कि शोर का कल्चर बढ़ गया है। जब शोर बढ़ जाता है तो इसकी वजह से दिल की धड़कन नहीं सुनाई देती है लेकिन खामोशी की अपनी अलग जुबान होती है।

दिल की जुबान समझती है कला

अली ने कहा कि खामोशी ही जिंदगी होती है। इसका दायरा कम होता जा रहा है। पाकिस्तानी कलाकारों के भारत में काम करने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि कला तो दिल की जुबान समझती है। इसके लिए सरहदें मायने नहीं रखती हैं।