RANCHI: झारखंड हायर एजुकेशन स्टूडेंट एसोसिएशन के बैनर तले छात्रों ने पारा लेक्चरर की बहाली के विरोध में सोमवार को रांची यूनिवर्सिटी के ख्ख् पीजी विभागों को बंद करा दिया। एसोसिएशन ने सुबह साढ़े दस बजे से दिन के दो बजे तक सभी विभागों को ठप करवाए रखा। छात्रों ने बताया कि पीजी पास करने के बाद उनका भविष्य पूरी तरह अंधकारमय हो जाएगा। वे कैसे पीएचडी करेंगे। वहीं, स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होने से एमफिल की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। उन्हें शोधकार्य के लिए शिक्षक नहीं मिलेंगे। वर्तमान में भी शिक्षकों की भारी कमी है। सरकार कामचलाउ व्यवस्था कर रही है, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

सभी छात्र संगठनों का मिला समर्थन

आरयू के सभी ख्ख् पीजी डिपार्टमेंट को बंद कराने का एबीवीपी, एनएसयूआई, जेसीएम, एसीएस और सभी छात्र संगठनों ने समर्थन किया था। पीजी डिपार्टमेंट को बंद कराने गए पीजी छात्र संघ के उपाध्यक्ष दिनेश मुर्मू ने बताया कि सरकार पारा लेक्चरर की बहाली रोककर स्थाई शिक्षकों की बहाली करे। इसमें ख्0क्7 के रोस्टर का पालन किया जाए। वहीं झारखंड हायर एजुकेशन स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक भगत ने बताया कि झारखंड सरकार अस्थाई शिक्षकों की बहाली कर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। झारखंड सरकार शिक्षा का निजीकरण और बाजारीकरण करना चाहती है। वहीं, एसोसिएशन के ही डॉ शशि कपूर ने कहा कि इस नियुक्ति से छात्रों का शोषण होगा। यह नियुक्ति झारखंड सरकार की व्याख्याता नियुक्ति नियमावली और दिल्ली हाइकोर्ट के निर्णय के खिलाफ है। वहीं जेसीएम के तालकेश्वर ने बताया कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा। सोमवार के कार्यक्रम में अवध पुरान, मुमताज, चामा एक्का, सोनी सिंह, सुमीत कुमार, आशीष टोप्पो, अनुप कुमार, दीपक, अभिषेक, मयंक, मनीष टुडू, जीतेंद्र, विवेक,अमिता, विभा कुमारी, शशि शेखर, अमिया आनंद, पूनम, मृत्युंजय और मुकेश सहित सैकड़ों छात्र उपस्थित थे।

बॉक्स का मैटर

यह है छात्रों की मुख्य मांगें

- अस्थायी व्याख्याताओं की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रोका जाए

- व्याख्याता नियुक्ति स्थायी हो जिसकी प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए

- नियुक्ति में वर्ष ख्0क्7 के रोस्टर का पालन किया जाये

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सर्वोच्च शिक्षा का बनेगा मजाक

दिनेश मुर्मू ने कहा कि सर्वोच्च शिक्षा यानि नेट और पीएचडी करके जो पारा लेक्चरर घंटी अधारित शिक्षक के रुप में बहाल होंगे। उन्हें प्रति कक्षा म्00 रुपये और महीने में 8000 रुपये मिलेंगे। विश्वविद्यालयों में अस्थायी व्याख्याताओं की नियुक्ति के लिए जो विज्ञापन निकला है उसमें अधिकतम फ्म्,000 रुपये मानदेय का प्रावधान है। पर इतना कभी उन्हें मिल ही नहीं पायेगा। विश्वविद्यालयों में फ्0 दिन के महीने में चार रविवार, कम से कम चार छुटटी और कम से कम दो बंदी होती है। ऐसे में महीने में ख्0 दिन कक्षाएं चलती हैं। महीने में फ्म्,000 रुपये का मतलब म्0 कक्षाएं होती हैं जो व्यवहारिक रुप से संभव नहीं है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि विभाग में पहले से ही सीनियर शिक्षक और यूजीसी से चयनित शोध छात्र उपस्थित हैं। वहीं इतनी शिक्षा हासिल करनेवाले लोगों की उम्र भी सरकारी घोषणाओं का इंतजार नहीं कर रही है। वे रेलवे और बैंकिंग की परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो सकते। ऐसी घोषणाएं उच्च शिक्षा हासिल लोगों के साथ एक भद्दा मजाक है।