लोगो- ठेके पर एजुकेशन

RANCHI: रांची यूनिवर्सिटी में ठेके पर शिक्षकों की नियुक्ति का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। स्टूडेंट्स से लेकर शिक्षक तक इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। पिछले दिन हुई सीनेट की बैठक में भी भारी विरोध हुआ। यूनिवर्सिटी में तीन साल के लिए ख्98 पदों पर बहाली होनी है। यहां ख्क् विषयों में शिक्षक रखे जाने हैं। पांच जुलाई तक इसके लिए आवेदन किया जा सकता है।

खत्म हो जाएगी उच्च शिक्षा

ठेके पर नियुक्ति का विरोध करनेवाले रांची यूनिवर्सिटी पीजी छात्र संघ के अध्यक्ष तनुज खत्री बताते हैं कि पारा लेक्चरर्स की नियुक्ति से झारखंड में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पूरी तरह खत्म हो जाएगी। ठेके पर यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को रखे जाने का मामला केवल रांची यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि राज्य की पांचों यूनिवर्सिटी सिदो-कान्हू, नीलांबर पीतांबर, बिनोवा भावे, रांची यूनिवर्सिटी और कोल्हान यूनिवर्सिटी में भी ठेके पर ही नियुक्ति की जानी है। राज्य में तो पारा शिक्षकों का फिर भी मानदेय तय है जो उन्हें मासिक मिलना है। पर पारा लेक्चरर्स को तो घंटी के आधार पर भुगतान किया जाएगा, ऐसे में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आनी तय है। सरकार के इस निर्णय से राज्य में उच्च शिक्षा खत्म हो जाएगी। राज्य में क्99म् के बाद से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है, वर्ष ख्008 में लेक्चरर्स की बहाली हुई थी और यह मामला भी सीबीआई के पास है। ख्0ख्0-ख्क् तक रांची यूनिवर्सिटी के लगभग सभी स्थायी शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। इसके बाद यहां शोधकार्य कौन कराएगा।

छह में तीन महीने ही क्लास

रांची यूनिवर्सिटी हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और सीनेट सदस्य मिथिलेश सिंह ने बताया कि यह उच्च शिक्षा में तदर्थवाद लाने की पहल है। इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सारी संकल्पना हवा-हवाई हो जाएगी। जो अभ्यर्थी कांट्रैक्ट पर नियुक्त किए जाएंगे, उनकी जॉब सिक्यूरिटी ही नहीं रहेगी तो वे पढ़ाने की जगह ऐसी नौकरी ढूंढना चाहेंगे जो स्थायी हो। उन्हें घंटी आधारित मानदेय मिलना है। ऐसे में परीक्षाओं के आयोजन का क्या होगा। परीक्षाओं के अलावा कुछ कांफिडेंशियल वर्क भी होते हैं, अगर वह भी उन्हीं से कराए गए तो कुछ होने पर उसकी जिम्मेवारी कौन लेगा। ठेके पर नियुक्त किए गए शिक्षकों को सीबीसीएस सिस्टम के तहत काम करना होगा। ऐसे में वह छह महीने में अधिकतम तीन महीने ही कक्षाएं ले पाएंगे। बाकी के तीन महीने उन्हें बेरोजगार रहना पड़ेगा। यह और कुछ नहीं बेरोजगारों का दोहन है।

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वर्जन

ठेके पर शिक्षकों की नियुक्ति का विरोध सीनेट की बैठक में हुआ था। सरकार को इस संबंध में पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया जायेगा। इसके बाद जो सरकार का निर्णय होगा किया जायेगा।

डॉ रमेश कुमार पांडेय, वीसी रांची यूनिवर्सिटी

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जब जॉब सिक्यूरिटी ही नहीं होगी तो ठेके पर बहाल शिक्षक पढ़ायेंगे कम और स्थायी नौकरी की तलाश ज्यादा करेंगे। इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी। कांट्रैक्ट पर शिक्षकों को नियुक्त करना संविधान के नीति-निर्देशक तत्वों के भी खिलाफ है।

अभिषेक कुमार मिश्रा, छात्र एमएससी भौतिकी आरयू

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कांट्रैक्ट पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। इससे शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी। सरकार को स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए।

भरत नायक, एमए इकोनॉमिक्स, आरयू