- सांख्यिकी कर्मियों ने डाकबंगला चौराहा से आर ब्लाक तक किया प्रदर्शन

- 2012-13 में इलिजिबिलीटी टेस्ट में पास को मिले समान वेतन

PATNA : बिहार राज्य मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक संघ के बैनत तले डाकबंगला चौराहा से आर-ब्लाक तक हजारों की संख्या में सांख्यिकी कर्मियों ने प्रदर्शन किया। इससे पहले भी इन्होंने प्रदर्शन किया था। मांग यही थी कि इन कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिले और ख्0क्ख्-क्फ् में इलिजिबिलीटी टेस्ट पास करने वाले सभी सांख्यिकी स्वयंसेवियों को एक समान वेतन देने दिया जाए। वर्तमान समय में करीब फ्0 हजार लोग इससे प्रभावित हैं। इन कर्मचारियों को न तो ठीक से वेतन मिलता है और न ही काम का सम्मान। इससे पहले जब इन्होंने जॉब स्थायी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था तो इन्हें लाठी खानी पड़ी थी।

गवर्नमेंट से मिला भरोसा

प्रदर्शनकर रहे सांख्यिकी कर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम के उपसचिव मो। शमीम अहमद से मिला। उन्होंने उनकी मांगों को पूरा करने का भरोसा जताया। इस बारे में संघ के प्रदेश अध्यक्ष राहुल कुमार यादव का कहना है कि इस संबंध में बैठक संतोषजनक रहा।

एक प्रक्रिया से हुई थी बहाली

बिहार राज्य मान्यता प्राप्त सांख्यिकी स्वयंसेवक संघ के प्रदेश स्पोक्सपर्सन मंजय कुमार ने बताया लम्बे अर्से से वे अपनी मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अब तक कुछ नहीं हुआ है। इसे लेकर बिहार के मान्यता प्राप्त सांख्यिकी के कैंडिडेट्स मामूली वेतन पर काम कर रहे हैं, जबकि इसके लिए ऑनलाइट अप्लीकेशन भरा था। सभी जांच आदि भी पूरी की गई थी। यह विडंबना है कि इन्हें किसी प्रकार से कोई हेल्प अबतक नहीं मिली है।

क्या थी इनकी डिमांड्स

इन्होंने पांच सूत्री मांगों से सीएम को अवगत कराया है। इनमें ख्0क्ख्-क्फ् में इलिजिबिलीटी टेस्ट पास सभी सांख्यिकी स्वयंसेवकों को एक समान वेतन मिले। सरकारी कर्मी घोषित हो। एनआईसी की वेवसाइट से शॉटलिस्ट को समाप्त किया जाए। साख बात यह है कि इलिजिबिलीटी टेस्ट पास कैंडिडेट में आधे लोगों को ही काम मिला बाकी बेरोजगार रह गए। प्रखंड और निगम स्तर पर कार्यालय की व्यवस्था हो और दस फरवरी को प्रदर्शन के दौरान कुछ सांख्यिकी स्वयंसेवकों को जेल भेजा गया था। उन सभी पर से मुकदमा वापस लिया जाए।