ROORKEE: दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-73) के बाईपास के निर्माण करने के लिये रसूलपुर गांव पहुंची टीम को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। किसान जेसीबी और अन्य मशीनों के सामने लेट गये। किसानों ने हंगामा करते हुये काम को रुकवा दिया। किसानों ने कहा कि प्रशासन पहले उनका उचित मुआवजा दे, उसके बाद ही वे कार्य शुरू होने देंगे।

  

राजमार्ग के चौड़ीकरण का चल रहा कार्य

इन दिनों दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। दिल्ली से देहरादून जाने वालों को रुड़की न आना पड़े, इसके लिये मंगलौर के कुरडी से तांशीपुर होते हुये रसूलपुर सलेमपुर होते हुये सालियर के समीप बाईपास का निर्माण किया जाना है। करीब 11 किमी लंबा बाईपास बनना है। इसके लिये जोर-शोर से काम चल रहा है। इसी बीच रसूलपुर के ग्रामीणों ने पिछले दिनों धरना देते हुये निर्माण कार्य को रुकवा दिया था। उनका कहना था कि सलेमपुर के किसानों को तो 73 लाख रुपये प्रति बीघा का मुआवजा दिया जा रहा है, जबकि उनको 17 लाख रुपये प्रति बीघा। जिलाधिकारी के आश्वासन पर तब किसानों ने धरना समाप्त कर दिया था। इसी बीच मंगलवार को एनएचआई अधिकारी और संबंधित निर्माण एजेंसी के अधिकारी मशीनों के साथ रसूलपुर गांव में पहुंच गये। जैसे ही काम शुरू किया गया तो रसूलपुर के लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। लोगों ने आरोप लगाया कि प्रशासन पूरी तरह से मनमानी कर रहा है। इसके बाद किसान जेसीबी और दूसरी मशीनों के सामने लेट गये और काम को रुकवा दिया। इसी बीच, एनएचआई के अधिकारियों ने प्रशासन को इस बात की सूचना दी। जिस पर अपर उप जिलाधिकारी प्रेमलाल, गंगनहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक कमल कुमार लुंठी पुलिस और पीएसी को साथ लेकर मौके पर पहुंचे। पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाते हुये किसानों को मशीनों के आगे से हटाया। इसके बाद किसानों ने खेतों पर ही धरना शुरू कर दिया। वहीं, देर शाम इस मामले का हल निकालने के लिये जेएम ने किसान और एनएचआई के अधिकारियों को वार्ता के लिये बुलाया है।

  

शासन ने विभाग को दी चेतावनी

शासन की ओर से विभाग को चेतावनी दी गई है कि एनएच 73 का कार्य दिसंबर 2018 में पूरा किया जाना है। इसमें 11 किमी लंबा बाईपास भी है। निर्माण एजेंसी के सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर कुलदीप गुजराल ने बताया कि जिन लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, उनको मुआवजा दिया जा चुका है। तय समय सीमा पर काम खत्म हो, सके इसके लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।