- जिला अस्पताल के सामुदायिक किचन का हाल

- तीमारदारों को सात महीने से नहीं मिल रहीं भोजन बनाने सहित अन्य सुविधाएं

GORAKHPUR: जिला अस्पताल प्रशासन हर बार मरीजों की सुविधाओं का दावा करता है, लेकिन फिर जिम्मेदार खुद ही उनसे ये सुविधा छीन लेते हैं। कुछ ऐसा ही यहां के सामुदायिक किचन के साथ हुआ है। तीमारदारों को भोजन बनाने के लिए मिली इस जगह पर बिजली के अभाव में सात माह से ताला लटका हुआ है। इसके चलते तीमारदारों को मजबूरन बाहर के होटल्स का सहारा लेना पड़ता है।

छाया है अंधेरा

जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना लगभग दो हजार मरीज आते हैं। वहीं इमरजेंसी में भी करीब एक हजार मरीज भर्ती होते हैं। इनकी सुविधा के लिए अस्पताल कैंपस में ही सामुदायिक किचन बना है। जहां उनके तीमारदार भोजन बना सकते हैं। यहां गैस सिलेंडर से लेकर चूल्हा तक की सुविधा मुहैया कराई गई। इसके अलावा एक दाई को भी रखा गया जो असहायों का भोजन पकाती थी। लेकिन सात माह पहले यहां की व्यवस्था पर जिम्मेदारों की उदासीनता का ग्रहण लग गया। सूत्रों की मानें तो अस्पताल प्रशासन ने सात माह पहले किचन की बिजली कटवा दी। इसके बाद किसी तरह बिना बिजली कार्य चलता रहा। इसके लिए सामुदायिक वार्डन ने कई बार जिम्मेदारों को लेटर भी लिखा लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। अंत में मजबूरन वार्डन ने किचन बंद कर दिया। इसके चलते आसनी से भोजन मिलने की सुविधा मरीजों और तीमारदारों से छिन गई। आलम ये है कि तीमारदारों को मजबूरन खाने के लिए बाहर के होटल्स का सहारा लेना पड़ रहा है।

कोट्स

अस्पताल में सामुदायिक किचन है लेकिन वह बंद होने से सभी को दिक्कत हो रही है। पानी, दूध या भोजन के लिए लोगों को बाहर जाना पड़ता है। जहां होटल या रेस्टोरेंट वाले काफी महंगा खाना देते हैं।

- विक्की, पेशेंट, नसीराबाद खूनीपुर

अपने ससुर को वार्ड में भर्ती कराया। डॉक्टर ने गर्म पानी से पैर की सिंकाई करने के लिए कहा है लेकिन यहां सामुदायिक किचन बंद है। इसके चलते गर्म पानी के लिए बाहर जाना पड़ रहा है जिससे काफी परेशानी होती है।

- आशा पाल, तीमारदार, मोहद्दीपुर

गोरखपुर में पढ़ाई करता हूं। मेरे दादा जी की तबियत खराब हो गई। परिजनों ने मेरे पास फोन किया तो उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करवाया। गांव दूर होने के चलते खाने के लिए अस्पताल के सामुदायिक किचन गया लेकिन वह बंद मिला।

- अरविंद, तीमारदार, बेलीपार

अस्पताल में सामुदायिक किचन बंद होने के चलते तमाम मरीजों को दिक्कत होती है। बाहर के दुकानदार सुविधा देने के नाम पर अधिक पैसे लेते हैं जबकि पहले किचन में इस तरह की सुविधा के लिए मात्र सात से 14 रुपए ही लिए जाते थे। इसके बंद हो जाने से काफी मुश्किल हो रही है।

- संदीप, तीमारदार, बांसगांव

वार्ड बेड मरीजों की संख्या

मेल आर्थो 40 22

इमरजेंसी 30 27

फीमेल आर्थो 22 22

जेई आईसीयू 12 05

चिल्ड्रेन 15 14

फीमेल मेडिसिन 13 07

आई 14 06

इसके अलावा प्राइवेट, स्पेशल के साथ कुछ अन्य वार्ड में भी पेशेंट हैं।

किचन में मिलती थीं सुविधाएं

एक बर्नर आधा घंटा 7 रुपए

दो बर्नर एक घंटा 14 रुपए

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वर्जन

यह मेरे संज्ञान में नहीं हैं। यदि ऐसा हुआ है तो गलत है। इसकी पूरी जानकारी संबंधित अधिकारी से ली जाएगी कि सामुदायिक रसोईघर क्यों बंद है।

डॉ। पुष्कर आनंद, एडी हेल्थ