लोक मीडिया शोध अकादमी की ओर से आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम का समापन

ALLAHABAD: लोक हमारे समाज का उजला पक्ष है। किसी भी तरह के अंधेरे के खिलाफ हम लोक के ही सहयोग से लड़ाई लड़ सकते हैं। सच तो ये है कि प्रतिरोध की संस्कृति ही लोक की संस्कृति है। यह बात महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रोफेसर संतोष भदौरिया ने कही। वे लोक मीडिया शोध अकादमी की ओर से आयोजित 'लोक कलाओं के अभिलेखीकरण' के लिए आयोजित ट्रेनिंग कार्यक्रम के समापन कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

लोक कलाओं से युवाओं को जोड़ें

निराला सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि लोक कलाओं से युवाओं को जोड़ना अत्यन्त आवश्यक है। विविधताओं से भरा समाज ही हमारे देश की सबसे बड़ी ताकत है। इस ताकत को बचाए रखने के लिए हमें बार-बार लोक की ओर लौटना होगा। स्पिक मैके की प्रभारी डॉ। मधु शुक्ला ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के इस दौर में अपनी लोक कलाओं का अभिलेखीकरण अत्यन्त जरूरी है।

प्रतिभागियों ने सुनाए अनुभव

अकादमी के मानद निदेशक डॉ। धनंजय चोपड़ा ने बताया कि प्रतिभागियों ने कजरी, बिरहा, आल्हा, नौटंकी जैसी विधाओं के साथ मुस्लिम समाज की मिलाद परम्परा का भी अभिलेखीकरण किया है। अकादमी फरवरी 2018 से लोक मीडिया के डाक्यूमेंटेशन का दूसरा चरण प्रारम्भ करेगी। इस अवसर पर विवेक रंजन सिंह, अनुराग पाण्डेय, शैला नाहीद तथा साम्भवी शुक्ला ने लोक कलाओं के डाक्यूमेंटेशन से जुड़े अपने अनुभव सुनाए।