- बाघागाड़ा में प्रोजेक्ट लगाने का विरोध, पब्लिक जता रही पॉल्युशन फैलने की आशंका

- एलर्जी, इनफ्लूएंजा इन्फुलेएंजा, गैस्ट्रो, कॉलरा, पीलिया सहित कई बीमारियों का खतरा

GORAKHPUR: बायो मेडिकल वेस्ट, पढ़ने में सिर्फ छोटा सा नाम लेकिन अगर इसके साइड इफेक्ट्स पर नजर डालें तो रूह कांप उठेगी। जहां सड़कों पर पड़े वेस्ट मैटेरियल्स लोगों को बीमारियां बांटने में लगे हुए हैं, वहीं उनके ट्रीटमेंट के तरीके भी गोरखपुराइट्स को सुकून देने में नाकाम हैं। हालत यह है कि वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट में पूरी तरह फेल सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के सामने वेस्ट डिस्पोजल को लेकर एक और प्रॉब्लम खड़ी हो गई है। वेस्ट डिस्पोजल के लिए बनाई जा रही फैक्ट्री के 'डिस्पोजल' को लेकर पब्लिक अब सड़क पर उतर आई है। लोगों का कहना है कि रूल्स को ताक पर रखकर फैक्ट्री बनाई जा रही है, जिसके बनने के बाद एरिया में पॉल्युशन बढ़ जाएगा, जिससे साइड इफेक्ट फ्यूचर में देखने को मिलेंगे।

थर्सडे को किया प्रदर्शन

पॉल्युशन फैलाने की आशंका में पब्लिक ने कंस्ट्रक्शन वर्क पर रोक लगाने के लिए झंडा बुलंद कर दिया है। थर्सडे को बरडाढ़ में पब्लिक ने जाम लगाकर प्रदर्शन किया। पुलिस को लाठी भांजकर लोगों को रास्ते से हटाना पड़ा। एसडीएम सदर ने पब्लिक की मांग पूरा करने का आश्वासन दिया है। इसके पहले जिले के अफसरों, मुख्य पर्यावरण अधिकारी को पत्र भेजकर रोक लगाने की मांग हो चुकी है। एनवायर्नमेंटलिस्ट की मानें तो मानक के अनुरूप फैक्ट्री न होने पर पॉल्युशन का खतरा है। जिसके घातक साइड इफेक्ट्स लंबे समय के बाद सामने आ सकते है। पब्लिक का कहना है कि जिस तरह से फैक्ट्रियों के पॉल्युशन से आमी नदी खराब हो गई। उसी तरह से बाघागाड़ा और आसपास का एरिया भी इसकी जद में आ जाएगा।

दो सौ मीटर के दायरे में गांव, स्कूल और हाइवे

इंसीनेटर का विरोध जता रहे लोगों का कहना है कि नियमानुसार पांच किलोमीटर की दूरी पर कोई आबादी, स्कूल, नदी, रेलवे लाइन और नेशनल हाइवे नहीं होना चाहिए। लेकिन प्लांट से महज दो सौ मीटर की दूरी पर बाघागाड़ा गांव है। प्लांट लगाने के लिए दो एकड़ की भूमि होनी चाहिए। इसके साथ-साथ डबल चैंबर का इंसीनेटर सौ किलोग्राम का होना चाहिए। लेकिन बाघागाड़ा में बन रहे इंसीनेटर की कैपिसिटी महज 40 किलोग्राम है। एक लाख से अधिक की आबादी पर इसका असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। बाघागाड़ा, महुआडाबर, रामपुर, तालनवर, रामपुर मलौली, मिश्रौलिया, भीटी, जीतपुर, चनऊ, हरदिया, अहिरौली, हरहरवा, खपड़हवा, पेवनपुर गांव हैं। एरिया में सात स्कूल, फोरलेन और खेती योग्य भूमि है, जिसमें रबी, खरीफ और जायद की फसलों का उत्पादन होता है।

डिस्पोजल का नहीं है कोई इंतजाम

जानकारों का कहना है सिटी में बिना इंसीनेटर के लगाए कोई हॉस्पिटल, नर्सिग होम या पैथालॉजी का संचालन नहीं हो सकता है। आरोप सिद्ध होने पर पांच साल की कैद और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। सिटी की बात करें तो यहां बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। यही वजह है कि सिटी में इंसीनेटर का इंतजाम न होने से इसकी जरूरत पड़ रही है। खलीलाबाद की एक प्राइवेट कंपनी हॉस्पिटल का कचरा उठा रही है। ज्यादा दूरी होने की वजह से कंपनी ने सिटी में ही इंसीनेटर लगाने का प्लान बनाया। बाघागाड़ा स्थित एक एकड़ भूमि पर करीब डेढ़ करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट वर्क स्टार्ट कर दिया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि सिटी में रोजाना करीब 35 सौ कुंतल कचरा निकल जाता है।

मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट या इस तरह को कोई प्लांट लगाने के लिए राज्य पॉल्युशन बोर्ड से एनवायर्नमेंट क्लीयरेंस की जरूरत पड़ती है। इसकी जांच कई बिंदुओं पर की जाती है। मनुष्य, जानवर, मिट्टी, पानी सहित कई चीजों पर नुकसान का आंकलन किया जाता है। प्लांट से निकलने वाली गैसों और कचरा-पानी क्या असर पड़ेगा। इस पर अध्ययन किया जाता है। इसके बाद पब्लिक हियरिंग की जाती है। यदि किसी ने आपत्ति की तो उसका निस्तारण किया जाता है। गंभीर शिकायतों में पूरी तरह से जांच की जाती है।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एमएमएमयूटी

प्लांट लगाने का पब्लिक विरोध कर रही है। लोगों ने सड़क जाम लगा दिया था। उनको समझा बुझाकर शांत कराया गया। पब्लिक ने डीएम को संबोधित एक पत्र लोगों ने दिया है। पत्र के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। सभी बिंदुओं की जांच कराई जाएगी।

नलिनी कांत सिंह, एसडीएम सदर

क्या होगा इंतजाम -

- तीस मीटर ऊंची चिमनी बना रही कंपनी

- कचरा निस्तारण करने में पानी साफ करने की सुविधा

- प्लास्टिक वाले कचरे को रिसाइकिल करने का प्रबंध

क्या होता है खतरा -

- मेडिकल वेस्ट से गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा होता है।

- एलर्जी, इनफ्लूएंजा, गैस्ट्रो, कॉलरा, पीलिया सहित कई बीमारियों का खतरा

- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड और मिथेन गैस का उत्सर्जन

आबादी के आसपास मेडिकल वेस्ट प्लांट लगने से पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा। इसलिए इस पर रोक लगाने की मांग की जा रही है।

शंभू यादव, मिश्रौलिया

सिटी में कचरा प्रंबधन की योजना नगर निगम के पास भी नहीं है। इस प्लांट को ऐसी जगह लगाना चाहिए जहां आसपास कोई नदी, खेती या आबादी न हो।

गौरी शंकर, हरदिया

फैक्ट्री लगाने के संबंध में पहले कोई सूचना नहीं दी गई। बताया कि प्लास्टिक की सीरिंज बनाई जाएगी। बाद में मालूम हुआ कि यहां अस्पताल का कचरा जलाएंगे।

ओम प्रकाश पांडेय, भिलौरा

इस प्लांट को बनाने में मानक का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। गोरखपुर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने पता नहीं किस आधार पर इसको मंजूरी दे दी है।

सुरेंद्र यादव, एकला बाजार

प्लांट के आसपास स्कूल, कॉलेज हैं। आप लोग चाहें तो जाकर देख सकते हैं। फैक्ट्री से निकलने वाला धुआं पूरे एरिया में फैलेगा जिससे बीमारियां बढ़ेंगी।

शत्रुघ्न तिवारी, अहिरौली