RANCHI: राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि दिव्यांगों में क्षमता एवं प्रतिभा की कमी नहीं होती। कई दिव्यांग व्यक्तियों ने अपनी प्रतिभा के बल पर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन में विशेष उपलब्धियों को देखते हुए उनके प्रति लोगों की सोच में बदलाव होने शुरू हो गए हैं। राज्यपाल ने कहा कि मनुष्य को देखने, सुनने, चलने, सोचने आदि विभिन्न कायरें के लिए अलग-अलग अंगों की जरूरत पड़ती है। किसी एक अंग के न रहने से उससे संबंधित काम प्रभावित हो सकता है, परंतु इससे व्यक्ति की अन्य योग्यताओं एवं क्षमता पर प्रभाव नहीं पड़ता है। पैर से दिव्यांग एक व्यक्ति को दौड़ने में कठिनाई हो सकती है, परन्तु वह उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकता है। वैज्ञानिक अनुसंधान कर सकता है। संगीत या गायन कला के क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकता है। राज्यपाल ने ये बातें शनिवार को कहीं। वो राज्य नि:शक्तता आयुक्त कार्यालय की ओर से दिव्यांगों के लिए चलन्त न्यायालय सह जागरूकता शिविर को संबोधित कर रही थीं। मौके पर कार्मिक सचिव निधि खरे भी मौजूद थीं।

साइंटिस्ट हॉकिंग्स से सीखें

राज्यपाल ने कहा कि महान भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग्स युवा अवस्था में शारीरिक रूप से अक्षम हो गए थे, परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी और अपने अद्वितीय मनोबल की बदौलत सिद्ध किया कि दिव्यांग व्यक्ति भी महानतम उपलब्धियां हासिल कर सकता है। उन्हें डाक्टरों ने बताया कि वे कुछ ही वर्ष जीवित रहेंगे, परन्तु उनके मनोबल का ही परिणाम है कि 7फ् वर्ष की उम्र में भी आज वे मानसिक सक्रियता में किसी से कम नहीं हैं। राज्यपाल ने दिव्यांगों को सलाह दी कि उस क्षेत्र में ध्यान केंद्रित करें, जिसमें शारीरिक अक्षमता अच्छा करने से रोक नहीं सकती। थोड़ी रुकावटों से हताश न हों।

दिव्यांगों को विशेष सरकारी सुविधाएं

-भारतीय संसद ने नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम क्99भ् पारित किया, जो पूरे देश में वर्ष क्99म् से प्रभावी है। यह देश के लगभग तीन प्रतिशत दिव्यांग जनसंख्या के लिए वरदान है। दिव्यांग जनसंख्या का 7भ् प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है।

-समुचित शिक्षा के साथ-साथ नौकरियों में भी आरक्षण की व्यवस्था।

-सरकार के अतिरिक्त अनेक स्वयं सेवी संस्थाएं भी दिव्यांगों के लिए काम कर रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के द्वार खुले हुए हैं।

-दिव्यांगता के प्रमुख कारणों में औद्योगिक प्रदूषण एवं ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों से दूषित पेयजल का उपयोग करना है। साथ ही कुपोषण से मुक्ति के लिए भी काम हो रहे हैं।