- व‌र्ल्ड नो टोबैको डे पर आई नेक्स्ट ने कराया 'पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट'

- सिटी के पांच स्टॉप्ट पर लगे कैंप में उमड़े गोरखपुराइट्स

GORAKHPUR : मेरे फेफड़े तो ठीक हैं, लेकिन तेरे फेफड़े का क्या हाल है? डॉक्टर्स ने क्या सलाह दी? ऐसे ही ढेरों डिस्कशंस थे जो आई नेक्स्ट की ओर से सिटी के पांच स्पॉट्स पर ऑर्गनाइज इवेंट में सुनने को मिले। व‌र्ल्ड नो टोबैको डे पर आयोजित 'पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट' एक्टिविटी में पीएफटी मशीन्स के थ्रू लोगों के लंग्स की जांच की गई। इस दौरान फिजीशियंस, डेंटल, ईएनटी सर्जन ने लोगों का फ्री ऑफ कॉस्ट चेकअप किया गया। डॉक्टर्स ने टोबैको से अफेक्टेड होने वाले सभी बॉडी पा‌र्ट्स को चेक किया और एडवाइस देने के साथ दवा भी लिखी। कैंप में आए लोगों में करीब 75 परसेंट लोग टोबैको के लती मिले। इस दौरान डॉक्टर्स ने तम्बाकू से होने वाले नुकसान से लोगों को रूबरू कराया। आई नेक्स्ट के इस प्रयास की सभी ने जमकर तारीफ की और गुटखा और सिगरेट छोड़ने की शपथ भी ली।

फैक्ट फाइल

टेस्ट में फेल हुए पुरुष - 40-45 फीसदी

टोबैको के लती लोग - 80 फीसदी

टेस्ट में फेल हुई महिलाएं - 5-7 फीसद

फेफड़ों की बीमारी का शिकार - 15 से 20 फीसदी

स्मोकिंग करने वालों की कॉमन एज - 15 से 40 साल

बच्चों में सांस की दिक्कत - 5 से 10 फीसदी

अब भी संभल जाओ

- लगातार 8 घंटे तक स्मोकिंग न करने से बॉडी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। साथ ही कार्बन मोनो ऑक्साइड का असर कम हो जाता है।

- 24 घंटे तक स्मोकिंग न करने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।

- लगातार दो सप्ताह तक स्मोकिंग न करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

- तीन महीने तक स्मोकिंग न करने से फेफड़े का फंक्शन बेहतर हो जाता है।

- नौ माह तक स्मोकिंग न करने से खांसी, सांस फूलने और कमजोरी की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।

- स्मोकिंग छोड़ने से हार्ट डिजीज और लंग्स कैंसर का खतरा 50 परसेंट कम हो जाता है।

टोबैको बॉडी के कई पा‌र्ट्स को डैमेज करता है। गुटखा, सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों के मुंह और गले भी इसकी जद में आ जाते हैं, फेफड़ों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। अगर इसे न छोड़ा जाए तो कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

डॉ। एसके लाट, चेस्ट स्पेशलिस्ट

कैंप में टोबैको का इस्तेमाल करने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी। ज्यादातर लोग गुटखा और सिगरेट के लती थे। उन्हें इसके एडवर्स इफेक्ट के बारे में जानकारी दी गई और इसका इस्तेमाल करने से होने वाली कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के बारे में भी बताया गया।

डॉ। आलोक श्रीवास्तव, डेंटिस्ट

लोगों में अवेयरनेस की काफी कमी है। इसकी वजह से तम्बाकू से होने वाली बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। इसको काबू में करने के लिए लगातार अवेयरनेस कैंप होते रहने चाहिए, जिससे कि लोगों में जागरुकता आए और लोग तम्बाकू का इस्तेमाल बंद कर दें। आई नेक्स्ट का यह प्रयास काफी सराहनीय है।

डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट

टोबैको खाने का मतलब मौत को दावत देना है। काफी तादाद में लोग इस बात को जानते भी है, लेकिन फिर भी तम्बाकू खाने से परहेज नहीं करते। वहीं जो लोग समझते हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा, वे गलतफहमी का शिकार हैं। अगर वे टाइम पर चेकअप करा लें, तो उन्हें अपने जिस्म की असलियत पता चल जाएगी।

डॉ। सुधीर,

कैंप में गुटखा खाने वालों की संख्या काफी अधिक थी। इसका यूज करने वाले लोगों के मुंह में प्रॉब्लम होना शुरू हो गई है, जिन्हें एडवाइस दी गई है। आई नेक्स्ट की ओर से लगाया गया यह कैंप लोगों के लिए काफी फायदेमंद है, इसके जरिए लोगों को टोबैको का इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई।

डॉ। प्रसन्नजीत बनर्जी

तम्बाकू का इस्तेमाल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इससे कैंसर के साथ ही कई जानलेवा बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में ले ले रहीं हैं। मौत बांट रहे इस गुटखे और सिगरेट पर रोक लगाने के साथ अवेयरनेस की काफी जरूरत है। आई नेक्स्ट का यह प्रयास काफी अच्छा है।

डा। रत्‍‌नेश तिवारी,

यूथ टोबैको कर इस्तेमाल करना फैशन समझते हैं। जानलेवा होने के बावजूद वह इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर अवेयरनेस न फैलाई गई तो नेक्स्ट जनरेशन पूरी तरह टोबैको की गिरफ्त में होगी। ऐसे कैंप लगातार लगते रहने चाहिए।

डॉ। संजीव गुप्ता, फिजिशियन

आई नेक्स्ट का प्रयास सराहनीय है। तम्बाकू के इस्तेमाल से होने वाली जानलेवा बीमारी को रोकने के लिए प्रयास होना चाहिए था। आई नेक्स्ट ने इसे बेहतर तरीके से शुरू किया है। देश की अगली जनरेशन टोबैको की गिरफ्त में होगी।

डॉ। अखिलेश सिंह

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का मुख्य कारण टोबैको है। यह जानने के बावजूद यूथ इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। फैशन के चक्कर में वह रोजाना मौत को करीब बुला रहे हैं। इसे रोकने के लिए अवेयरनेस कैंप की बहुत जरूरत है। साथ ही लोगों को इसके प्रभाव भी अवेयरनेस कैंप के माध्यम से बताए जाने चाहिए।

डॉ। अश्वनि मिश्रा

टोबैको के रेग्युलर इस्तेमाल से 20 साल के लड़के को भी फेफड़े की प्रॉब्लम हो रही है। फेफड़ों की प्रॉब्लम हो रही है, सांस फूल रही है, जबकि ये बीमारी 50 साल के बाद होती थी। अगर ऐसे ही रहा, तो कॉमनमैन की एवरेज एज ही कम हो जाएगी। स्वस्थ समाज बनाने के लिए अवेयरनेस कैंप बहुत जरूरी है।

डॉ। नदीम अरशद, चेस्ट स्पेशलिस्ट

टोबैको को यूथ ने अपनी हर टेंशन का इलाज मान लिया है। इस सोच को बदलना बहुत जरूरी है। वरना जिस एज में वह देश के बारे में सोचता है, उस टाइम वह डॉक्टर की क्लीनिक में इलाज कराने जाएगा। इस सोच को बदलने के लिए अवेयरनेस कैंप लगना जरूरी है।

डॉ। सुधांशु शंकर,

शौक से शुरू हुआ टोबैको आदत बन जाता है। खतरनाक है ये, जानने के बावजूद यूथ इसकी गिरफ्त में फंसते जाते हैं। इससे न सिर्फ अपना शरीर बर्बाद करते हैं, बल्कि इलाज में लाखों रुपए भी खर्च करते हैं। यूथ को टोबैको से बचाने के लिए अवेयरनेस जरूरी है।

डॉ। वीरेंद्र गुप्ता

टोबैको के कारण कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वैसे तो तम्बाकू को पूरी तरह से बैन कर देना चाहिए। अगर जिम्मेदार यह नहीं कर पा रहे हैं, तो कम से कम पब्लिक को अवेयर करे, जिससे लोग इसके इस्तेमाल से बचें। आई नेक्स्ट का यह प्रयास अच्छा है।

डॉ। दिप्ती श्रीवास्तव

आई नेक्स्ट के इस कैंप की तरह हर माह अवेयरनेस कैंप लगते रहने चाहिए। टोबैको के प्रकोप को रोकने के लिए सबसे अच्छा साधन अवेयरनेस ही है। जब लोगों को यह पता चल जाएगा कि तम्बाकू उनकी बॉडी को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो वह खुद अवेयर हो जाएंगे।

- डॉ। ओंकार राय

गुटखा खाने से कैंसर के चांसेज काफी बढ़ जाते हैं, लगातार ऐसे मरीजों की तादाद बढ़ रही है। लोगों को जब कैंसर हो जाता है, उसके बाद वह इलाज के लिए पहुंचते हैं। टोबैको खाने से कोई भी फायदा नहीं है सिर्फ नुकसान ही है। लोगों को तम्बाकू छोड़ देना चाहिए।

- डॉ। गिरिश चंद्र द्विवेदी

इन प्लेस पर हुआ पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट

29 मई

- बिजली विभाग ऑफिस

- रोजवेज बस स्टैंड

30 मई

- एसबीआई डीजीएम ऑफिस

- गुरुकुल सीए/सीएस, गैस गोदाम गली

- ब्रिटिश कम्युनिकेशन

फिगर्स स्पीक

लंग्स में प्रॉब्लम - 40-45 परसेंट

मुंह में प्रॉब्लम - 25-35 परसेंट

पेट में प्रॉब्लम - 10 परसेंट

अस्थमा की प्रॉब्लम - 20-25 परसेंट

इनका रहा सहयोग

आई नेक्स्ट की ओर से विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर आयोजित पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट में अधिकारियों और कर्मचारियों ने सहयोग किया। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के डीजीएम डीजीएम मो। शाद इम्तियाज हुसैनी और एचआर हेड का विशेष सहयोग रहा। रेलवे बस स्टेशन पर आरएम सुग्रीम राय, एआरएम महेश चंद्र, एसएसआई अजय पांडेय, सिविल लाइन स्थित ब्रिटिश कम्युनिकेशन पर आयोजित कैम्प में संस्थान के निदेशक अखिलेश सिंह, बिजली विभाग बक्शीपुर स्थित ऑफिस में अधीशासी अभियंता आरसी पांडेय, अनिल सिंह, नितिन श्रीवास्तव, उपेंद्र कुमार, सुरेंद्र श्रीवास्तव आदि ने सहयोग किया। गैस गोदाम गली स्थित गुरुकुल सीएसीएस में आयोजित नि:शुल्क टेस्ट कैम्प में संस्थान के डायरेक्टर नीरज गोयल, सीए मोहित अग्रवाल, सीए मयंक अग्रवाल, सीए सर्वेश बर्नवाल, सीए अजय गोयल, सीए चांदनी भगत, दीपक दीक्षित, पंकज राय आदि ने काफी हेल्प की।