- अपनों की सुरक्षा कर नहीं सकते औरों की क्या खाक करेंगे

- करीब 20 वर्ष से नहीं हुआ है पीडब्ल्यूडी कॉलोनी का मेंटेनेंस

- हर महीने निवासियों से वसूला जाता है 750 रुपए मेंटेनेंस चार्ज

BAREILLY: लोगों का ख्याल रखने वाला पब्लिक वर्कस डिपार्टमेंट, खुद अपने कर्मचारियों के ख्याल रखने में लापरवाही बरत रहा है। इस वजह से यहां रह रहे करीब ख्ख्ख् परिवारों की जान सांसत में है। यहां हम बात कर रहे हैं राजेंद्र नगर शील चौराहे स्थित पीडब्ल्यूडी आवास विकास कॉलोनी का। कई वर्षो से रिपेयरिंग के अभाव में यह बिल्डिंग धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रही है। इस वजह से यहां रहने वालों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं और जिम्मेदार इसकी मरम्मत के नाम पर अपनी जेब गर्म कर रहे हैं। इस खेल में ठेकेदार और केयर टेकर भी शामिल है। आई नेक्स्ट ने जर्जर इमारत का जायजा लिया तो डिपार्टमेंट की कई खामियां सामने आई।

बुलंद इमारत बन रही खंडहर

वर्ष क्97फ् में राजेंद्रनगर में पीडब्ल्यूडी आवास कॉलोनी का निर्माण हुआ था। शुरुआत में मजबूती और बेहतरीन अरेंजमेंट के साथ कॉलोनी की रौनक देखते ही बनती थी, लेकिन मेंटेनेंस ना होने से इमारत की स्थिति जर्जर होती चली गई। बाहर से देखने पर तो बिल्डिंग की खस्ताहाल दशा का एकबारगी अंदाजा लगाना मुश्किल है, लेकिन ज्यों ज्यों कदम अंदर जाएंगे चटकती दीवारें, सीलन, खुले वायर समेत अन्य प्रॉब्लम्स का पिटारा खुलने लगता है।

ख्ख्ख् परिवारों पर मंडरा रहा खतरा

टाइप क्, ख् और फ् में डिवाइडेड कॉलोनी में करीब फ्भ्0 परिवार की रहने की व्यवस्था है, लेकिन बिल्डिंग की जर्जर हालत के चलते यहां फिलहाल ख्ख्ख् परिवार ही रहते हैं। वे मकानों की मरम्मत अपनी जेब से ही करवाते हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी इसे स्वीकार रहे हैं। टाइप वन में फोर्थ क्लास कर्मचारी, सेकंड में क्लर्कियल ग्रेड और थर्ड में जेई लेवल की फैमिलीज रहती हैं। साथ ही कलेक्ट्रेट, एग्रीकल्चर, पुलिस, सिंचाई व अन्य विभागों के भी कर्मचारी रहते हैं।

बिल्डिंग की जर्जर स्थिति

कमरे में दरारें, हिलते दरवाजे, गिरे हुए छज्जे, चोक नालियां, उखड़े प्लास्टर, हिलती गैलरी आदि बिल्डिंग की जर्जर स्थिति खुद बयां कर रही हैं। मेंटेनेंस के अभाव में दिन ब दिन इनकी स्थिति दयनीय होती जा रही है। इतना ही नहीं बारिश का पानी रिस कर घरों में सीलन पैदा कर रहा है। बिल्डिंग के कई हिस्सों में पीपल समेत अन्य पौधे भी उगे हैं, जो कोढ़ में खाज का काम कर रहे हैं।

हादसे से भी नहीं जागा विभाग

निवासियों के मुताबिक यहां कई गंभीर हादसे भी हो चुके हैं। इसमें छज्जों के गिरने से चोटिल होने की घटनाएं आम हैं। दीवारों में करंट दौड़ रहा है। इसकी चपेट में आने से लोगों को अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ा है। गौरतलब है कि ज्यादातर हादसे बारिश के सीजन में ही होते हैं।

अपने खर्चे से मेंटेनेंस

जानकारों की मानें तो बिल्डिंग अगर खड़ी है तो इसका श्रेय निवासियों को ही जाता है। अन्यथा यह सालों पहले ही ढह चुकी होती। विभागीय सूत्रों के मुताबिक हर साल बिल्डिंग के मेनटेनेंस के लिए लाखों रुपयों का बिल पास होता है। दूसरी ओर निवासियों से भी करीब 7भ्0 रुपए का मेनटेनेंस चार्ज वसूला जाता है, लेकिन अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से जारी फंड का वारा न्यारा हो जाता है।

चलता है कमाई का खेल

जानकारों के मुताबिक कॉलोनी के केयर टेकर, ठेकेदार और जेई की मिलीभगत से यहां कमाई का खेल चल रहा है। इस बाबत निवासियों ने कई बार एप्लीकेशन भी दी है, लेकिन 'खास' पर कार्रवाई के बजाय अधिकारी मेहरबान हैं। क्योंकि कर्मचारी अपनी कमाई का हिस्सा अधिकारियों तक पहुंचाते हैं। निवासियों ने बताया कि कॉलोनी में रहने वालों की ओर से कराए जा रहे मेंटेनेंस का चार्ज विभाग से दिलाने के नाम पर केयरटेकर बिल ले लेता है, लेकिन अब तक किसी भी बिल का भुगतान नहीं किया जा सका है।

वर्जन-

पीडब्ल्यूडी कॉलोनी की स्थिति बेहद खराब है। इस बाबत मेंटेनेंस के लिए अनुमानित बजट तैयार कराकर इसके लिए रुपए आवंटित कराने का प्लान है। एप्लीकेशन पर मेंटेनेंस कार्य हुए हैं, लेकिन पूरी बिल्डिंग को रिनोवेट कराने के लिए पैसा नहीं है।

- संजीव भारद्वाज, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी

बिल्डिंग कब ढह जाए इसका कोई भरोसा नहीं। अपने पैसे से मेंटेनेंस कराया है। यहां कमाई का खेल चल रहा है, लेकिन अधिकारी किसी की सुनते ही नहीं।

- आरके सिंह, निवासी

ठेकेदार और केयरटेकर आपस में मिले हुए हैं। ये मेंटेनेंस का बिल लेकर पैसे पास कराकर खुद हजम कर जाते हैं।

- नीरज शर्मा, निवासी

बिल्डिंग के छज्जे कब गिर जाए कोई ठीक नहीं है। समूची बिल्डिंग हिल रही है। जालियां, दरवाजे सब के सब बेकार हो चुके हैं।

- कमला देवी, निवासी

मेंटेनेंस के लिए कई बार एप्लीकेशन दी, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। किसी तरह से एडजस्ट किया जा रहा है।

- मुन्नी देवी, निवासी

ख्0 सालों से इस कॉलोनी में रह रहे हैं, लेकिन कभी कोई मेनटेनेंस नहीं किया गया। कभी कभार नाममात्र की कवायद होती है।

- सुमनलता, निवासी

भ्0 हजार रुपए खर्च कर कमरों को सही कराया है। रिपेयरिंग और मेनटेनेंस के लिए कई बार एप्लीकेशन दी पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

- अर्चना सिंह, निवासी

जर्जर स्थिति में पहुंच चुकी बिल्डिंग से गिरकर कई लोग चोटिल हो चुके हैं। अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सब कर्मचारी भी मनमौजी हैं।

सरोजबाला, निवासी