-यूनिवर्सिटी लेवल से जांच में पाई गई कई कमियां

-कॉलेज के प्रिंसिपल की योग्यता पर सवाल, एड हॉक बेसिस पर टीचर्स होने पर भी उठे सवाल

-करीम सिटी द्वारा बीएड भवन के शिफ्टिंग पर भी एनसीटीई की मीटिंग में होगी चर्चा

द्भड्डद्वह्यद्धद्गस्त्रश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल सिटी स्थित लोयला बीएड कॉलेज पर गाज गिर सकती है। यूनिवर्सिटी लेवल से की गई जांच में कॉलेज में कई कमियां पाई गई हैं। कॉलेज के प्रिंसिपल फादर टोनी राज की योग्यता पर भी सवाल उठाए गए हैं। प्रिंसिपल पोस्ट के लिए कम से कम 10 साल का टीचिंग एक्सपीरिएंस होना जरुरी है जबकि फादर टोनी का इस फिल्ड में 9 साल का ही एक्सपीरिएंस है। इसके अलावा कॉलेज में ऐड हॉक बेसिस पर टीचर्स पढ़ा रहे जबकि एनसीटीई के रूल के एकॉर्डिग रेगुलर और कांट्रैक्ट पर ही टीचर्स एप्वॉइंट किए जा सकते हैं।

माइनॉरिटी पर भी सवाल

लोयला बीएड कॉलेज के माइनॉरिटी स्टैटस पर भी सवाल उठ रहे हैं। यूनिवर्सिटी द्वारा की गई जांच में कॉलेज ने माइनॉरिटी स्टैटस को लेकर कोई सही डॉक्यूमेंट्स नहीं दिखाया। इस कॉलेज के अलावा करीम सिटी कॉलेज द्वारा बीएड बिल्डिंग की शिफ्टिंग का मामला भी 5 अगस्त को एनसीटीई की ईस्टर्न जोन की होने वाली मीटिंग में उठाए जाएंगे।

हमने अपनी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को सौंप दी है। लोयला बीएड कॉलेज में कई कमियां पाई गई हैं। अब आगे की कार्रवाई होगी।

- डॉ एके उपाध्याय, सीवीसी केयू

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गांधी इंस्टिट्यूट को मिली नर्सिग काउंसिल से मान्यता

आदित्यपुर आसंगी बस्ती स्थित गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिग को इंडियन नर्सिग काउंसिल (आईएनसी) से मान्यता मिल गई है। अब यहां से दो वर्षीय नर्सिग ट्रेनिंग ली जा सकेगी। इसके लिए यहां 30 सीटें निर्धारित की गई है। इंस्टिट्यूट में मंडे से एडमिशन की प्रक्रिया भी स्टार्ट हो गई है। संस्थान के एमडी एसके गुप्ता ने बताया कि स्टूडेंट्स को एमजीएम मेडिकल कॉलेज और जुगसलाई कम्यूनिटी सेंटर में ट्रेनिंग दी जाएगी।

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टाटा पावर ने स्टार्ट किया वेस्ट मैनेजमेंट मॉड्यूल

टाटा पावर के एनर्जी कंजर्वेशन कैम्पेन के तहत सोमवार को वेस्ट मैनेजमेंट मॉड्यूल हुआ। इस मॉड्यूल के जरिए पानी, ईंधन, कागज व बिजली सेव किया जा सकता है। इसके जरिए स्टूडेंट्स को एनर्जी व अन्य संसाधनों को कंजर्वेशन की जानकारी दी जा रही है। इस संबंध में टाटा पावर के एमडी अनिल सरदाना ने कहा कि इस मॉड्यूल का मकसद स्टूडेंट्स को कचरे के कारण एन्वायरमेंट पर पड़ने वाले इफेक्ट की जानकारी देना है। इसके जरिए दो लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को संवेदनशील बनाने का लक्ष्य रखा गया है।