- हर 6 महीने पर निकलते हैं 5 सौ से 6 सौ कार्यो के टेंडर

- इस बार पार्षदों के कोटेशन प्रेम के कारण अभी तक निकले सिर्फ 50 कार्यो के टेंडर

GORAKHPUR : नगर निगम में पार्षद और निर्माण विभाग के इंजीनियर्स की सेटिंग से टेंडर आउटडेटेड हो गए हैं। किसी एक निर्माण को कई टुकड़ों में बांट कर हर एक का अलग कोटेशन तैयार कर बंदरबाट हो रही है। हाल ही में नगर निगम ने ऐसे ही फ्भ्0 कार्यो के लिए कोटेशन मांगे हैं। कोटेशन के लिए निकाली गई निविदा पर नजर डालें तो पता चलता है कि ज्यादातर कार्यो का इस्टीमेट 90 हजार से 99 हजार रुपए के बीच में है। नगर निगम के जूनियर इंजीनियर्स ने कई कार्यो में 97-99 हजार रुपए का इस्टीमेट बनाकर दिया है ताकि उसका टेंडर न निकले और कोटेशन निकालकर काम चल जाए।

कैसे होता है खेल?

पार्षद अपने-अपने वार्ड में होने वाले निर्माण कार्यो की डिटेल और लागत निर्माण विभाग को देते हैं। विभाग के जूनियर इंजीनियर्स उन कार्यो का इस्टीमेट बनाकर बजट अनुमोदित करते हैं। अगर किसी कार्य का बजट एक लाख रुपए या ज्यादा है तो उसके लिए बाकायदा टेंडर निकाला जाता है। एक लाख से कम के कार्यो के लिए नगर आयुक्त को बस जेई के इस्टीमेट को स्वीकृति देनी होती है.उसके बाद संबंधित फर्म को वर्कऑर्डर जारी कर दिया जाता है।

छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया काम को

बरसात के समय सिटी में कई सड़कें, नाले और नालियां टूट जाती है। इनके निर्माण और मरम्मत के लिए बरसात बाद नगर निगम तैयारी करता है। इस बार भी सिंतबर माह में बारिश का मौसम खत्म हुआ और अक्टूबर में अफसरों के निरीक्षण के बाद नवंबर में सिटी के सभी पार्षदों से प्रस्ताव मांगा गया। पार्षदों ने अधिकांश छोटे काम का प्रस्ताव दिया। नगर निगम सोर्सेज की मानें तो फ्भ्0 में से लगभग ब्0 परसेंट कार्यो को पार्षदों ने टुकड़ों में बांट कर कोटेशन में दे दिया है।

जल्द निर्माण के नाम पर चलता है पूरा खेल

टेंडर प्रक्रिया से काम होने में समय लगता है। यही बहाना बनाकर निर्माण विभाग के जेई और पार्षद कोटेशन का खेल खेलते हैं। एक जेई ने बताया कि टेंडर में एक लंबी प्रक्रिया अपनायी जाती है, इसमें पारदर्शिता होती है। ठेकेदारों के सामने टेंडर ओपन किया जाता है, जबकि कोटेशन में धांधली होने कीे संभावना ज्यादा होती है क्योंकि कोटेशन के लिए केवल काम का इस्टीमेट बनाया जाता है और उसकी स्वीकृति ली जाती है। स्वीकृति मिलते ही फर्म से कोटेशन मांगा जाता है और कोटेशन मिलने के बाद फर्म या ठेकेदार को वर्कऑर्डर जारी कर दिया जाता है।

इन वार्डो को है कोटेशन से कुछ ज्यादा प्रेम

नगर निगम में 70 वार्ड हैं और हर वार्ड में दो या तीन कार्यो के लिए कोटेशन निकाले गए हैं। लेकिन सिटी के कई वार्ड में तो पार्षदों का कोटेशन प्रेम कुछ ज्यादा ही नुमाया हो रहा है। वार्ड नं ख् महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर क् में 7, वार्ड नं। ख्0 झरना टोला में 7 और वार्ड नं फ्9 रायगंज में 8 कार्यो के लिए कोटेशन निकाला गया है। इसके अलावा भी कई ऐसे वार्ड हैं, जिनमें भ् से म् काम कोटेशन के जरिए होने हैं।

निर्माण विभाग के पास जो प्रस्ताव आता है, जेई उसी का इस्टीमेट बनाकर नगर आयुक्त से स्वीकृति लेकर फाइल तैयार करते हैं। पार्षदों ने पार्षद वरीयता और अन्य कार्यो के छोटे-छोटे प्रस्ताव दिए हैं, इसलिए कोटेशन की प्रणाली अपनाई गई है।

एसके केशरी, चीफ इंजीनियर, नगर निगम