- मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने रैगिंग प्रकरण का किया पटाक्षेप, रात 9 बजे के बाद स्टूडेंट्स के हॉस्टल से निकलने पर रोक

KANPUR: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की स्पो‌र्ट्स मीट में जूनियर छात्र की रैगिंग में फंसे लेक्चरर व एसआर पर कागज़ी कार्रवाई के बाद कॉलेज प्रशासन ने पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया है। प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित व पुराने मेडिकल कॉलेजों में शुमार जीएसवीएम में किसी फैकल्टी के रैगिंग करने का मामला अपने आप में पहली बार सामने आया। इसके बाद भी कॉलेज प्रशासन की ओर से सख्त संदेश देने की बजाय सिर्फ मामले को निपटाया गया। रैगिंग की बात कॉलेज प्रशासन ने अभी भी नहीं मानी है। आरोपी फैकल्टी डॉ। फहीम अंसारी की सेवा समाप्ति की संस्तुति के लिए डीजी ऑफिस रिपोर्ट भेजी गई लेकिन फैकल्टी के कुछ मेंबर्स व सीनियर डॉक्टर्स की एक पूरी लॉबी अंदर ही अंदर उसे बचाने के लिए सक्रिय हो गई है।

बदनामी का मलाल नहीं

कॉलेज के सीनियर फैकल्टी मेम्बर्स जिस तरह से रैगिंग कांड के सूत्रधार डॉ फहीम को बचाने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं उससे प्रतिष्ठित जीएसवीएम की परम्परा पर भी धब्बा लग रहा है। फैकल्टी द्वारा रैगिंग सिर्फ रैगिंग भर नहीं है ये व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है। मेडिकल स्टूडेंट्स में असंतोष अब भी है। उनका कहना है कि कॉलेज प्रशासन अगर इसी तरह लीपापोती करेगा तो वो इस मामले को एमसीआई और सीएम योगी तक पहुंचाएंगे।

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नियमों के तहत नहीं हुइर् कार्रवाई

- किसी भी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में रैगिंग एक संज्ञेय अपराध है। फिर एफआईआर क्यों नहीं

-अगर सबूत मिलते हैं कि रैगिंग के आरोपी स्टूडेंट को संस्थान बचा रहा तो उसे मिलने वाली आर्थिक मदद रोकी जा सकती है।

-सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रैगिंग के दोषी स्टूडेंट को हॉस्टल से भी सस्पेंड किया जाना चाहिए और पुलिस को सूचना दी जानी चाहिए

- संज्ञेय अपराध होने की वजह से दोषी पर 25 हजार से 1 लाख रुपए तक का आर्थिक जुर्माना लगाया जाना चाहिए

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सांप जाने दिया, लाठी पीट रहे

मेडिकल कॉलेज कैंपस में रैगिंग के बाद जूनियर व सीनियर छात्रों के बीच हुए झगड़े को देखते हुए कॉलेज प्रशासन व एंटी रैगिंग कमेटी की तरफ से चौकसी बढ़ाई गई है। प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार ने कॉलेज कैंपस में रात 9 बजे के बाद कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने पर रोक लगाई है। 9 बजे के बाद छात्रों के हॉस्टल से निकलने पर भी रोक है। इसके अलावा वार्डन व फैकल्टी की एक कमेटी गठित की गई है जोकि हर हफ्ते या 15 दिन में हॉस्टल में औचक निरीक्षण करेगी।

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