लाल और उजले रंग के एक हेलिकॉप्टर में बुधवार की दोपहर राहुल गांधी राजधानी लखनऊ से सटे मोरावा गांव पहुंचे। वो समय पर तो नहीं पहुंचे थे लेकिन भारत में राजनेताओं का किसी जनसभा में पहुंचने का जो सामान्य रिकॉर्ड है उसके हिसाब से तो वो ज़्यादा देर से भी नहीं आए थे।

जनसभा में लगभग आठ से दस हजार लोग थे जिनमें हर उम्र के लोग थे। बूढ़े हों या जवान, मर्द हों या औरत नेहरू-गांधी परिवार के इस नए चेहरे को 'देखने' सभी लोग आए थे। भला हो राहुल गांधी की जनसभा में तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस के कुछ जवानों का जिन्होंने मुझे रैली के दौरान आसानी से इधर-उधर घूमने दिया।

राहुल गांधी अच्छी हिंदी बोल रहे थे लेकिन बीच-बीच में वो अंग्रेज़ी के कुछ शब्दों का भी इस्तेमाल कर रहे थे। अंग्रेज़ी का शब्द 'स्कैम' को हो सकता है वहां मौजूद लोग ना समझ पाए हों लेकिन उसके अलावा राहुल गांधी की भाषा आसान थी।

'देखने आए हैं'

इसी दौरान जनसभा में आए कुछ युवाओं से मैने अचानक पूछ लिया, ''आप राहुल गांधी को सुनने आए हैं या उन्हें देखने आए हैं.'' मेरा सवाल सुनकर वो लड़के हंसने लगे और उनमें से एक ने कहा, ''हम तो देखने आएं हैं.'' लेकिन तभी दूसरे ने आगे बढ़कर पहले वाले को काटते हुए कहा, ''हमतो देखने और सुनने दोनों आएं हैं.''

मैं सोचने लगा कि राहुल की बातों का असर कितना होता है और लोग उनकी बातों को कैसे लेते हैं। थोड़ी दूरी पर खड़ा मैं राहुल गांधी को भाषण देते हुए देखता हूं। भाषण के दौरान राहुल बार-बार अपने कुर्ते की आसतीन को चढ़ाते हैं।

भले ही राहुल गांधी 2004 के 'इंडिया शाइनिंग' अभियान के लिए भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते हैं लेकिन वो ख़ासतौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री मायावती और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर अपना निशाना साधते हैं।

राहुल कहते हैं, ''मुलायम सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहें हैं, मायावती चार बार, लेकिन उन लोंगों ने आपके लिए क्या किया है? आपके घरों में बिजली नहीं है क्योंकि इतने वर्षों में भी यहां बिजली का एक नया कारख़ाना नहीं लगा है.'' इसके साथ ही वो यह कहना नहीं भूलते कि वो सिर्फ़ उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए यहां हैं।

राहुल लोगों को ये संदेश देने की कोशिश करते हैं कि मायावती और मुलायम की तरह ही वो भी उत्तर प्रदेश के नेता हैं, दिल्ली से आए कोई नेता नहीं। वो अपने आपको उत्तर प्रदेश के भूमि पुत्र के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं जो लंबे समय तक प्रदेश की जनता के लिए लड़ते रहेंगें।

राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना में कथित घोटाले के लिए मायावती सरकार पर हमला बोलते हुए कहते हैं, ''केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत करोड़ों रूपए राज्य सरकार के पास भेजे लेकिन हाथी सारा पैसा खा गया.'' हाथी मायावती की बहुजन समाज पार्टी का चुनाव चिन्ह है।

'आसमान से बिजली के तार'

मुलायम सिंह पर चुटकी लेते हुए कहते हैं, ''मुलायम मुफ़्त बिजली का वादा कर रहें हैं क्योंकि वो आसमान से बिजली के तार लाएंगे जिससे लोगों को मुफ़्त बिजली मिलेगी.'' लेकिन अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमले करने के अलावा वो कुछ सकारात्मक बातें भी करतें हैं।

राहुल कहते हैं कि कांग्रेस ने गांवों के बेरोज़गार युवाओं को 120 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से साल में सौ दिन रोज़गार देने का वादा किया है। उसके अनुसार एक बेरोज़गार युवा साल में 12 हज़ार रूपए कमा सकेगा।

लेकिन फिर भी मनरेगा की बातें पुरानी हो गई हैं और अब वो भविष्य की बाते करते हैं जिसमें वो खाद्य सुरक्षा बिल का ख़ास ज़िक्र करते हैं। राहुल कहते हैं, ''हमलोग हर गरीब परिवार को 35 किलो अनाज देंगे। यह बिल पहले से ही संसद में भेजा जा चुका है.''

अपने भाषण में राहुल कम से कम पांच बार महिलाओं की समस्याओं का ज़िक्र करते हैं। राहुल को इन क्षेत्रों में 19 फ़रवरी को होने वाले चुनावों में महिलाओं की ताकत का पूरा अंदाज़ा है।

उनकी पूरी कोशिश होती है कि लोगों तक ये संदेश पहुंचे कि वो खुद, उनका परिवार और उनकी पार्टी आम आदमी के साथ हैं। लेकिन ज़ाहिर है सभी उनकी बातों से कायल नहीं हैं।

राहुल जैसे ही धूल उड़ाते हुए अपने हेलिकॉप्टर में उन्नाव के लिए निकल पड़ते हैं वहां मौजूद कई लोगों की तरह मैं भी अपनी गाड़ी की ओर भागता हूं।

उसी दौरान जनसभा से लौटते हुए एक आदमी की आवाज़ मेरे कानों में गूंजी, ''हां उन्होंने अच्छा बोला। लेकिन अगर केंद्र सरकार ने रोज़गार योजना में करोड़ों रूपए भेजे तो फिर वो उसका हिसाब क्यों नहीं मांगते.'' एक दूसरे आदमी ने उस पर हामी भरते हुए सिर्फ़ अपना सिर हिलाया।

ज़ाहिर है अभी बहुत से ऐसे प्रश्न हैं जिनका राहुल को जवाब देना है। लेकिन वो बहुत दूर थे और जल्दी में भी थे क्योंकि उन्हें अपनी अगली जनसभा के लिए उन्नाव जाना था।

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