राहुल के निशाने पर सिर्फ मोदी

- रोड शो के दौरान सपा-बसपा का नाम लेने से भी बचे

- राहुल की जनसभा में कांग्रेस नहीं जुटा सकी ज्यादा भीड़

- किसानों के लिए अलग बजट पेश करने का दिया सुझाव

LUCKNOW: कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का राजधानी में रोड शो जोश के साथ शुरू तो हुआ लेकिन अंतिम दौर में चौक में आयोजित जनसभा तक फीका पड़ गया। रोड शो के दौरान राहुल केंद्र सरकार पर पूरी तरह हमलावर रहे लेकिन यूपी चुनाव के परिपेक्ष्य में सत्तारूढ़ सपा और बसपा के बारे में एक शब्द भी नहीं बोले। कांग्रेस के मुख्य रणनीतिकार प्रशांत किशोर की स्ट्रेटजी के तहत राहुल ने वोट बैंक के लिहाज चर्च से लेकर मंदिर तक माथा टेका। रोड शो शुरू होने से पहले कई महापुरुषों को नमन किया। ढोल-नगाड़ों के साथ शुरू हुआ रोड शो कैसरबाग, मौलवीगंज, यहियागंज जैसी शहर की तंग सड़कों से गुजरा तो गांधी परिवार के युवराज को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी उमड़ पड़ी। इसके बावजूद चौक में राहुल की जनसभा में उम्मीद के मुताबिक लोग नहीं जुट पाए।

राहुलजी, मैं आत्मदाह कर लूंगा

इससे पहले जैसे ही शिया कॉलेज के सामने से रोड शो गुजरा, वहां बनाए गये स्वागत मंच से माइक लिए युवक ने राहुल गांधी को आवाज देते हुए कहा कि एक लम्हा मेरी बात सुन लीजिए, वरना मैं यहीं आत्मदाह कर लूंगा। यह सुनकर राहुल ने गाड़ी रुकवाई और उसका नाम पूछा। रेयाज नामक युवक ने कहा कि युवा आपके लिए जान न्योछावर कर देंगे। राहुल ने उससे पूछा कि क्या तुम्हें मोदी सरकार ने रोजगार दिया। उसके इंकार करने पर बोले कि हम जानते हैं कि मोदी सरकार ने वादाखिलाफी की है। दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा पूरा नहीं किया। किसी के खाते में पंद्रह लाख रुपये नहीं भेजे। इसी तरह रोड शो के बीच में राहुल ने माइक से आम जनता से मोदी सरकार द्वारा वादे पूरे किए जाने को लेकर सवाल पूछे।

मोदी के अलावा नहीं कोई बात

रोड शो से लेकर जनसभा तक राहुल के निशाने पर केंद्र की भाजपा सरकार ही नहीं। इसके अलावा वे किसी भी मुद्दे पर नहीं बोले। हाल में कश्मीर में आतंकी हमले में सेना के जवानों के शहीद होने पर राहुल द्वारा कोई बयान न दिए जाने से जनसभा में मौजूद लोगों को निराशा हुई, इस बाबत लोग आपस में चर्चा करते भी दिखे। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में कांग्रेस नेता ज्यादा भीड़ भी नहीं जुटा सके। सैंकड़ों कुर्सियां खाली दिखी तो राहुल के भाषण के दौरान भी लोगों में खास उत्साह देखने को नहीं मिला।

सोशल मीडिया पर हिट शो

राजधानी की सड़कों के मुकाबले सोशल मीडिया पर राहुल का रोड शो पूरी तरह हिट रहा। इसका जिम्मा टीम प्रशांत किशोर और कांग्रेस सोशल मीडिया सेल के हवाले था। एसपीजी सुरक्षा कवर में भी राहुल गांधी के समीप जाने की इजाजत केवल टीम पीके के सदस्यों और सोशल मीडिया सेल के पदाधिकारियों को ही थी। वे रोड शो की हर गतिविधि के बारे में लगातार सोशल मीडिया पर अपडेट कर रहे थे।

उम्मीदवारों ने जुटाई भीड़

रोड शो में ज्यादातर भीड़ पार्टी से टिकट की आस लगाए उम्मीदवारों की ओर से जुटाई गयी थी। ज्यादातर गाडि़यां बाराबंकी समेत आस-पास के जिले की थी। राहुल गांधी की गाड़ी में गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर और शीला दीक्षित सवार थे तो पीछे की गाडि़यों में प्रमोद तिवारी, उनकी पुत्री आराधना मिश्रा, संजय सिंह, प्रदीप माथुर, श्रीप्रकाश जायसवाल, राजीव शुक्ला, राजाराम पाल, पीएल पुनिया, रीता बहुगुणा जोशी आदि नेता थे।

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युवा त्रस्त, मोदी मस्त

राहुल ने जनसभा में कहा कि देश का बेरोजगार युवा त्रस्त है जबकि प्रधानमंत्री मोदी मस्त हैं। वे केवल अपने 10-15 उद्योगपति दोस्तों के फायदे के लिए सरकार चला रहे हैं। कहा कि देवरिया से दिल्ली तक यह यात्रा किसानों की मदद के लिए शुरू की गयी है। पीएम मोदी बेरोजगार युवाओं, किसानों, मजदूरों समेत ऐसे सभी लोगों को भूल गये हैं जिनके पास हजारों करोड़ रूपये नहीं है। उन्होंने अपने उद्योगपति दोस्तों के एक लाख दस हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया और अब इस बारे में मोदी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और मोहन भागवत बताना भी नहीं चाहते है। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार ने यदि रेल बजट खत्म किया है तो किसानों के लिए अलग बजट लाए। किसानों को मालूम हो कि उन्हें क्या मिलने वाला है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यात्रा के अगले चरण में दिल्ली में मोदी सरकार को कांग्रेस घेरेगी। हम उन्हें किसानों का कर्जा माफ करने को मजबूर कर देंगे। भरोसा दिलाया कि कांग्रेस सत्ता में आई तो दस दिन में किसानों का सारा कर्जा माफ होगा। भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि रेल बजट इसलिए खत्म किया गया ताकि लोगों को मालूम न पड़े कि रेलवे में क्या हो रहा है। वे ज्यादा से ज्यादा पैसा केवल अपने उद्योगपति मित्रों को देना चाहते हैं। दावा किया कि हिंदुस्तान का किसान कांग्रेस पर भरोसा करता है। कांग्रेस ही भट्ठा परसौल में किसानों की जमीन बचाने के लिए आगे आई, वहीं मोदी ने तीन बार किसानों की जमीनें छीनने की कोशिश की।