- 24 वर्ष में मात्र एक बार रेलवे पुल को किया गया रिनोवेट

- कॉशन लगा कर 15-20 किमी प्रति घंटे से गुजारी जा रही ट्रेनें

BAREILLY:

भारतीय रेलवे आए दिन हो रहे रेल हादसों के बाद भी सबक नहीं ले रहा है। आलम यह है कि 1993 में ही मियाद खत्म हो चुके जर्जर पुलों से ही ट्रेनों को धड़ल्ले से गुजारा जा रहा है। बरेली में करीब आधा दर्जन रेल पुल जर्जर हाल में हैं। जिन्हें तोड़ कर नया पुल बनाने की बात तो दूर उसे रिनोवेट भी ठीक ढंग से नहीं किया गया है। लिहाजा, ट्रेनों को कॉशन के भरोसे गुजारा जा रहा है। रेलवे अधिकारियों की इस लापरवाही के कारण किसी भी वक्त बड़ा रेल हादसा हो सकता है।

आधा दर्जन रेल पुल हैं जर्जर

एनआर और एनईआर के अंतर्गत आने वाले रेल पुल का एक ही हाल हैं। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक मुरादाबाद वाया बरेली-लखनऊ रेलखंड के बहगुल, किला, नकटिया और गर्रा सहित अन्य रेल पुल की मियाद खत्म हो चुकी है। साथ ही एनईआर के बरेली-बदायूं रेलखंड के बितरोई, मानपुर, नकटिया और रामगंगा ओवरब्रिज के गार्डर खराब हो गये हैं। इन पर भी कॉशन लगा हुआ है। जिन पर बरेली से गंतव्य स्थान जाने के लिए रोजाना 200 से अधिक ट्रेनें गुजर रही हैं।

कॉशन के चलते ट्रेनें हो रही लेट

कॉशन लगे होने की वजह से ट्रेनों की गति भी कम हो गई है। इन रेल पुल से ट्रेनें कॉशन से गुजारी जा रही हैं। लिहाजा, ट्रेनों के लेट होने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रेल पुल की मरम्मत के लिए इंजीनियर की टीम ने मुख्यालय रिपोर्ट बना कर भेजी थी, लेकिन मुख्यालय से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया। लिहाजा रेल पुलों के जीर्णोद्धार का काम भी नहीं शुरू हो पा रहा है।

1853 में बना था रेलवे का पुल

रामगंगा पुल से एनआर और एनईआर रेलवे की ट्रेनें गुजरती हैं। 670 मीटर लम्बे इस पुल पर ट्रेनों की गति मात्र 15 से 20 किमी प्रति घंटे के बीच होती है। यह पुल 1853 में बनाया गया था। 1993 में इस पुल की मियाद खत्म हो चुकी है। जिसके बाद 2005-2006 में इसे रिनोवेट किया गया, लेकिन पुल के रिनोवेट में अधिकारियों ने खेल कर दिया। जिसका नतीजा यह है कि 1993 से ट्रेनों को कॉशन पर गुजारा जा रहा है।

ट्रेनों को कॉशन लगा कर न गुजारा जाए इसके लिए ट्रैक की मरम्मत की जा रही है। रेलवे पुल को भी रिनोवेट का काम किया जाएगा।

चेतन स्वरूप शर्मा, एसएस, जंक्शन