- दिल्ली-हावड़ा, कानपुर-लखनऊ और झांसी रूट के रेलवे ट्रैक की आई नेक्स्ट ने की पड़ताल, कई जगह ट्रैक दिखा चटका

-कुछ दिनों के अंदर ट्रैक गड़बड़ होने की हो चुकी हैं कई घटनाएं, रेलवे ने अपनी रिपोर्ट में ट्रैक को पाया सही

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KANPUR। कानपुर से लखनऊ जा रही स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस को कुछ दिनों पहले सोनिक स्टेशन से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित झंझरी गांव के पास अगर इमरजेंसी ब्रेक लगाकर न रोका जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। ट्रेन को अचानक रोकने के पीछे कारण था ट्रैक का क्रैक होना। ये कोई पहली घटना नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों में ट्रैक के क्रैक होने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। एनसीआर रेलवे ने कानपुर सेंट्रल के आसपास करीब 75 किलोमीटर के ट्रैक को चेक कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए, लेकिन आई नेक्स्ट के हाथ लगी उस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सबकुछ नॉर्मल बताया गया है। रिपोर्ट की हकीकत जानने के लिए संडे को आई नेक्स्ट टीम ने कानपुर सेंट्रल, गोविंदपुरी रेलवे स्टेशन से करीब 25 किलोमीटर तक रेलवे ट्रैक को चेक किया तो कई जगह ट्रैक चटका मिला।

कानपुर सेंट्रल से 12 किमी। दूर

आई नेक्स्ट टीम ने कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ट्रैक को चेक किया तो वहां कई जगह ट्रैक की हालत खराब मिली। इसके बाद टीम कुछ दूर और पहुंची तो वहां भी ट्रैक की हालत बहुत खराब दिखी। करीब 10-12 किलोमीटर के बीच कई जगह ट्रैक चटका और जंग लगी दिखा। ट्रैक पर काम कर रहे रेलवे के गैंगमैन से जब रिपोर्टर ने बात की तो उनका कहना था बरसात की वजह से ट्रैक को मजबूती से बांधे रखने वाले क्लम्प भी जंग खा जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल गोविंदपुरी से झांसी की ओर जाने वाले ट्रैक का दिखा। कई जगह ट्रैक चटका और जंग लगा मिला। रेलवे के अधिकारी भी दबी जुबान मानते हैं कि पैसेंजर्स के लिए ये जानलेवा है।

350 से ज्यादा ट्रेन गुजरती हैं

दिल्ली-हावड़ा रूट देश के सबसे बिजी रूट में एक है। कानपुर सेंट्रल से दिन में करीब 350 से ज्यादा ट्रेन इस रूट से निकलती हैं इनमें करीब 5 लाख पैसेंजर्स यात्रा करते हैं। ट्रैक की खराब हालत की वजह से इन लाखों पैसेंजर्स की जान संकट में है। रेलवे के मुताबिक ट्रैक को समय-समय पर चेक करके सही करने के आदेश हैं, लेकिन रेलवे कर्मचारियों की ये लापरवाही पैसेंजर्स की जान के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकती है।

12 से ज्यादा घटनाएं अगस्त में

रेलवे रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ अगस्त माह ही कानपुर क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक विभिन्न क्षेत्रों में पटरियां चटकने व पटरियों में लगे ज्वाइंट खुल जाने की घटनाएं हो चुकी हैं।

सिर्फ दो महीने है 'उम्र'

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली-हावड़ा रूट में ट्रेनों का संचालन सबसे अधिक है। इसके चलते टर्निग प्वाइंट में लगी रेल पटरी लगभग दो महीने ही सुरक्षित रहती है। इसके बाद इसको बदल देना चाहिए। टर्निग प्वाइंट की वजह से ट्रेन की रगड़ से पटरियों की एक तरफ से आधा हिस्सा जल्दी घिस जाता है। रेलवे अधिकारी खुद इस बात को मानते हैं इन पटरियों को समय पर न बदले जाने पर अक्सर टर्निग प्वाइंट पर ही ट्रेनें बेपटरी होती हैं।

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बॉक्स

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इन ट्रैकों में कैसे चलेगी सेमी हाईस्पीड ट्रेनें?

रेलवे एक तरफ दिल्ली से कानपुर होते हुए इस रूट पर सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाने की योजना बना रहा है। जिसके लिए कवायद भी शुरू कर दी गई है लेकिन कानपुर-दिल्ली रूट के ऐसे ट्रैक पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनों का संचालन कैसे होगा? ये एक बड़ा सवाल है।

कोट

रेलवे ट्रैकों की गुणवत्ता पर बरसात के मौसम में खास नजर रखी जाती है। क्योंकि इस मौसम में ट्रैक चटकता भी है और जंग लगने की भी समस्या आती है। जितना ट्रैक खराब होता है उसको तुरंत बदलने का नियम रेलवे का है। रेल यात्रियों की सुरक्षा को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर कहीं ट्रैक गड़बड़ है तो उसको चेक करवाकर तत्काल दुरुस्त करवाया जाएगा।

विजय कुमार, सीपीआरओ, एनसीआर

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यात्रियों से बातचीत

ट्रैक में लगी पटरियों को समय-समय पर बदलते रहना चाहिए। जिससे कभी दुर्घटना न हो सके।

समीर

रेलवे बोर्ड को रेल यात्रियों की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए। ताकि ट्रेन में सफर के दौरान यात्री अपने-आप को पूरी तरह से सुरक्षित फील करे।

अमन

यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ बोर्ड को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

अनुपम

आए दिन रेलवे पटरियों के चटक जाने की खबरें सुनाई देती है। रेलवे बोर्ड ने ट्रैक में लगी पुरानी पटरियों को तत्काल प्रभाव से बदल देना चाहिए।

पुनीत कुशवाहा