-रेलवे का इंतजाम कोहरे के आगे साबित हो रहा फेल

-इंजन में इक्विपमेंट लगाने का प्लैन फांक रहा धूल

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जबरदस्त धुंध व हाड़ कंपाती ठंड के आगे रेलवे डिपार्टमेंट ने घुटने टेक दिया है। रेलवे ने धुंध में भी ट्रेंस का ऑपरेशन सुचारु रखने के लिए इंजन में सेफ डिवाइस नाम का इक्विपमेंट लगाने के लिए पिछले कई साल से प्लैन बनाया है। लेकिन अभी तक यह जमीन पर उतर नहीं पाया है। हालांकि कुछ रूट पर एलर्टनेस के लिए इंजन में सेफ डिवाइस लगाया जाता है। लेकिन ट्रेंस को आगे बढ़ाने में ये डिवाइस भी फेल साबित हो रहे हैं। सिचुएशन यह है कि सुपरफास्ट ट्रेंस भी चार से 15 घंटे तक लेट चल रही हैं। ऐसे में पैसेंजर्स बेहाल हैं। उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

ट्रेनिंग भी नहीं आ रही काम

नॉदर्न रेलवे के लखनऊ डिवीजन की ओर से लोको पायलट व गार्ड को विधिवत ट्रेनिंग दी गई। फिर इंजनों में सेफ डिवाइस सेट लगाए गए, ताकि फॉग के बीच में ट्रेंस समय से चलाई जा सकें। इसके बावजूद ट्रेंस अपने शेड्यूल से नहीं चल पा रही हैं। खास बात यह कि नई दिल्ली से आने वाली सुपरफास्ट ट्रेन शिवगंगा एक्सप्रेस मंडुआडीह डेली चार से 15 घंटे लेट से पहुंच रही है। इसी तरह नई दिल्ली-मंडुआडीह सुपरफास्ट एक्सप्रेस भी 10 से 12 घंटे लेट से अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच रही है। इससे पैसेंजर्स की प्रॉब्लम बढ़ गयी है। इसी तरह एनईआर ने भी फॉग से पहले ही कवायद की थी पर रिजल्ट सिफर है।

स्टूडेंट्स ने बनाया था डिवाइस

हर साल आसमान में धुंध छाने के साथ ही ट्रेंस का ऑपरेशन मुश्किल हो जाता है। इसका सीधा असर पैसेंजर्स पर पड़ता है। इससे निजात के लिए सन् 2008-09 में रेलवे ने कानपुर आईआईटी से हाथ मिलाया। आईआईटी के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है जिसे इंजन में लगा देने से फॉग में भी ट्रेंस की स्पीड धीमी नहीं होगी। लेकिन दुखद बात यह कि तब से लेकर अब तक इसका ट्रायल ही हो रहा है।

करेंट टाइम ट्रेन के इंजन में लगा डिवाइस केवल आगे आने वाले क्रॉसिंग को बताता है। वह भी जिन रूट पर खास तरह के सिस्टम लगे हैं। अन्य रूट्स पर यह डिवाइस काम नहीं करता है।

अशोक कुमार, पीआरओ

एनईआर, वाराणसी डिवीजन