- ट्रैक से गायब हैं जॉगल प्लेट और पेंड्रोल क्लिप

BAREILLY:

मुजफ्फरनगर में दुर्घटनाग्रस्त हुई उत्कल एक्सप्रेस के बाद भी रेलवे प्रबंधन सबक नहीं ले रहा है। जर्जर ट्रैक पर दौड़ रही ट्रेनें आए दिन दुर्घटना की शिकार हो रही हैं और यात्री बेवजह अपनी जान गंवा रहे हैं। पटरियों को जोड़ने वाली जॉगल प्लेट के नट-बोल्ट से लेकर लाइनों को कंक्रीट स्लीपर्स से जोड़ने वाले कैप गायब हो चुके है। वहीं की-मैन और टेक्नीशियन की कमी से रेलवे ट्रैक की प्रॉपर जांच तक नहीं हो रही। मुजफ्फरनगर में हुए रेल हादसे के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने संडे को रेलवे ट्रैक का रियलिटी चेक किया। रेलवे ट्रैक देखने के बाद ऐसा लगा कि इंडियन ट्रेनें भगवान भरोसे ही ट्रैक पर दौड़ रही हैं।

कमी को दूर करना मुनासिब नहीं समझते

बरेली जंक्शन के प्लेटफार्म से लेकर आउटर तक रेलवे ट्रैक को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने परखा। देखा कि ट्रैक से पेंड्रोल क्लिप ही गायब है, जो कि लाइनों को कंक्रीट स्लीपर्स से बांधे रखने का काम होता है। वहीं लाइनों को जोड़ने के लिए लगी जॉगल प्लेट से भी नट-बोल्ट गायब दिखे। ऐसे में, ट्रेनों के झटके से ट्रैक किसी भी समय तिरछा हो सकता है और ट्रेन हादसे का शिकार हो सकती है। बावजूद इसके रेलवे अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। जबकि, 15 अप्रैल 2017 को रामपुर में हुए राज्यरानी एक्सप्रेस रेल हादसे का कारण भी ट्रैक में गड़बड़ी का होना ही था।

जुगाड़ सिस्टम पर विश्वास

व्यवस्थाओं को मजबूत बनाने की बजाय रेलवे प्रबंधन को जुगाड़ सिस्टम पर ज्यादा भरोसा है। डगमगाते ट्रैक को मजबूती प्रदान करने के लिए रेलवे ने जगह-जगह लकड़ी के गुटके लगा रखे हैं, जो किसी भी वक्त ट्रैक पर स्पीड में चलती ट्रेनों की वजह से हट सकती है और हादसा हो सकता है। ट्रैक सही नहीं होने की ही देन है कि 26 जनवरी को दोहना हॉल्ट पर कपलिंग टूटने से ट्रेन नम्बर 55349 दो हिस्सों में बंट गई थी। ट्रेन बरेली सिटी से काशीपुर जा रही थी। दरअसल, ट्रैक सही नहीं होने से ट्रेनों का संचालन स्मूदली नहीं हो पाता है। लिहाजा झटके लगने से कपलिंग टूटने और ट्रेन के पटरियों से उतरने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है।

चेकिंग रोज, कमी जस की तस

जंक्शन पर रोज अप-डाउन लाइन पर करीब 200 ट्रेनें गुजरती हैं। 8 रन थ्रू ट्रेनें हैं। स्टेशन पर कैरिज एंड वैगन विभाग में तैनात टेक्नीशियन ट्रेनें चेक करते हैं। ट्रैक मेंटीनेंस के लिए ट्रैक मैन और की-मैन की ड्यूटी रहती है। बावजूद इसके जॉगल प्लेट के गायब नट-बोल्ट को लगाया नहीं जाता है। टेक्नीशियन कमियों के बावजूद भी ट्रेनों को ट्रैक पर चलाने की हरी झंडी दे देते हैं।

बॉक्स

- 200 ट्रेनें रोजाना बरेली जंक्शन से होकर गुजरती हैं।

- 33 टेक्नीशियन लगभग जंक्शन पर तैनात हैं।

- 1 शिफ्ट में 11 टेक्नीशियन की ड्यूटी लगाई जाती हैं।

- सुबह 5 से 8 और दोपहर 11 बजे से शाम 4 बजे तक की-मैन ट्रैक की नियमित चेकिंग करते हैं।

जंक्शन आने वाली सभी ट्रेनों की रोजाना जांच होती है। ट्रैक पर जो कमियां है उसे दूर किए जाने का काम चल रहा है।

चेतन स्वरुप शर्मा, स्टेशन सुपरिंटेंडेंट