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- हॉल में बनाए जा रहे रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों की साइज रहेगी कम

- बारिश ने श्री राम और श्रद्धालुओं के बीच बढ़ा दी दूरियां, कीचड़ बन रहा है मुसीबत

BAREILLY:

पिछले वर्षो में जो रामलीला पांडाल और ग्राउंड आस्था की बारिश से सराबोर रहते थे, अब वही पांडाल और ग्राउंड जलभराव से 'डूबक्षेत्र में' तब्दील हो गए हैं। पिछले दिनों हुई झमाझम बारिश का पानी अभी मैदान में ठहरा है तो दूसरी ओर मौसम विभाग ने फिर भारी बारिश का अलर्ट जारी कर रामलीला कमेटियों के पदाधिकारियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। ऐसे में, रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन कहां करें इसकी भी चिंता सताने लगी है। नगर निगम से कमेटियों ने सहयोग मांगा लेकिन अभी तक अधिकारियों ने कोई प्रयास नहीं किए हैं।

बढ़ाएंगे पटाखों की संख्या

पिछले वर्षो में दशहरा ग्राउंड में ही पुतलों का निर्माण किया जाता था, लेकिन इस बार बारिश की आहट को देखते हुए इन पुतलों का निर्माण हॉल में किया जा रहा है। मूर्तिकार के मुताबिक वह पुतलों के प्रत्येक अंग का निर्माण कमरों में करेंगे वहीं, दशहरा पर इसे जोड़कर शाम को मैदान में खड़ा किया जाएगा। इस बार बनाए जा रहे पुतलों में पटाखों की संख्या भी अच्छी खासी रहेगी। ताकि विशाल पुतले सीलन के बाद भी दहन हों और उनमें कोई अड़चन न रहे। बताया कि लास्ट मूमेंट पर जोड़कर बनाए गए पुतलों के तेज हवा चलने पर गिरने की संभावना देखते हुए उनका साइज कम कर दी गई है।

बारिश ने 'राम' से बढ़ाई दूरी

झमाझम बारिश होने से ग्राउंड दलदल जैसे बन गए हैं। कीचड़ जमा होने से लोगों ने श्री राम का नाम घरों में लेना ही बेहतर मान रहे हैं। वहीं, पिछले कई वर्षो से रामलीला को देखने वाले लोगों का हुजूम भी करीब 40 परसेंट तक ही सिमट कर रह गया है। जोगीनवादा के रामलीला मेला समिति के अध्यक्ष सुरेश राठौर ने बताया कि श्री रामलीला देखने समेत ग्राउंड में जलभराव व कीचड़ होने से श्रद्धालु और कस्टमर दोनों ही काफी कम हो गए हैं।

यहां होगा पुतला दहन

- जोगीनवादा

- चौधरी तालाब

- सुभाष नगर

- स्टेडियम रोड दशहरा ग्राउंड

- कैंटोनमेंट ग्राउंड

बारिश की वजह से सभी पांडालों में श्रद्धालुओं कम पहुंच रहे हैं। मेले में व्यापार भी प्रभावित हुआ है। रावण दहन के परंपरागत जगह पर पानी भरने से स्थान परिवर्तन कर सकते हैं।

सुरेश राठौर, अध्यक्ष, रामलीला आयोजन समिति