बरसात में पानी बढ़ने से बंद हुआ बालू खनन का काम

कार्ट के जरिए सीबीआई जांच के आदेश से आंकड़ेबाजी में जुटा प्रशासन

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KAUSHAMBI: बारिश ने जिले में यमुना नदी में अवैध खनन का काम रोक दिया है। नदी में बारिश का पानी बढ़ने की वजह से बालू घाटों से जेसीबी और पोकलैंड जैसी हाईटेक मशीने हटा ली गई हैं। बारिश के पूर्व हो रहे खनन पर प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। इस मुद्दे पर कोर्ट के सख्त होने से प्रशासनिक अफसरों में हड़कंप मच गया है। अवैध खनन के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई सहित विभाग से जुड़े अन्य आंकड़ों को दुरुस्त करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है।

सीबीआई के नाम पर मचा हड़कंप

कौशांबी में यमुना नदी टर्न करती है। घुमाव होने के कारण यहां पर बरसात के बाद बड़े पैमाने में बालू के पठार बन जाते हैं। साथ ही पभोषा पहाड़ भी बालू को अपने चारों ओर जमा कर लेता है। इस लिहाज से यहां बालू के कारोबार ने फैक्ट्री का रूप ले लिया है। हर साल यहां अवैध तरीके से बालू की निकासी और भंडारण किया जाता हैं। इस साल भी हाईकोर्ट के रोंक के बावजूद बड़े पैमाने पर बालू का खनन किया गया। अब कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया तो कारोबारियों संग अफसरों के भी रोंगटे खड़े हो गए। अदालत के आदेश के बाद शुक्रवार को सारा दिन खनिज ऑफिस में आंकड़ों को दुरुस्त करने का खेल जारी रहा।

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खनन नहीं पर डंप है बालू

जिले के अफसरों का तर्क है कि यहां पर अवैध तरीके से बालू का खनन नहीं किया गया और न ही चल रहा है। सिर्फ 12 बालू घाट ही चल रहे थे। कोर्ट की रोंक के बाद उसे भी बंद करा दिए थे। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन की बात ही सही मान ली जाय तो जिले में दो दर्जन से भी अधिक स्थानों पर डंप की गई बालू कहां से आई। इस सवाल को लेकर लोग पशोपेश की स्थिति में नजर आ रहे हैं।

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नदीं में पानी बढ़ा तो बंद हुआ खनन

यमुना नदी में करीब पखवाड़े भर पहले तक बालू का खनन जारी रहा। नदी में नदीं में पानी बढ़ने के बाद खनन को बंद किया गया। जानकारी इसके पीछे एक अहम वजह बता रहे हैं। कहना है कि नदीं में पानी बढ़ने से जेसीबी और पोकलैंड जैसी वेशकीमती मशीनों के डूबने का खतरा बढ़ गया था। यही कारण है कि खनन करा रहे लोगों ने उन मशीनों को हटवा लिया।

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अप्रैल से खनन बंद होने का दावा

खनिज विभाग का कहना है कि पांच अप्रैल को हाईकोर्ट ने खनन बंद करने का आदेश दिया था। आदेश मिलने के बाद सात अप्रैल को जिले में पूरी तरह से बालू खनन बंद करा दिया गया था।

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15 हजार घन मीटर बालू सीज

खनन विभाग ने अदालत का आदेश आने के बाद 15 हजार घन मीटर बालू अवैध खनन की पकड़ी थी। इस बालू को सीज किया गया। अब सवाल यह है कि जब किसी भी घाट में अवैध खनन हुआ ही नहीं तो इतनी ज्यादा बालू डंप कैसे कर ली गई।

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सीएम के आने से पहले पकड़े गए थे ट्रक

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 29 मई को कौशांबी दौरा करने आए थे। सीएम को दिखाने के बाद बालू घाटों से मशीने हटा ली गई। अलग-अलग थानों में करीब 50 ट्रक ओवर लोड बालू लदे ट्रक पकड़े गए। सीएम का दौरा होने के बाद बालू खनन फिर से शुरू कर दिया गया।

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अपने ही खेल में फंस गया प्रशासन

बालू के अवैध खनन को लेकर प्रशासन के अफसर फूंक-फूंक कर कदम रख रहा था लेकिन एक चूक के आधार पर प्रशासन की काफी किरकिरी हुई। खबर है कि कोर्ट में अफसरों ने हलफनामा दिया कि खनन बंद है वहीं दूसरी तरफ मुकदमें के वादी ने जिला पंचायत की रसीद और घाट में चल रही मशीनों की फोटो देकर प्रशासन की पोल खोल दी।

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सिंडीकेट के इशारे पर हुआ खनन

जिले के बालू घाटों पर सिंडीकेट ने कब्जा कर रखा था। सिंडिकेट ही लोगों को खनन की परिमीशन दिया करता था। बाकायदा प्रशासन की तर्ज पर ही सिंडीकेट के लोग बालू खनन की निगरानी करते और पर्ची (फर्जी रवन्ना) से वसूली किया करते थे।