- बारिश न होने के चलते छतरी और रेनकोट का मार्केट ठंडा

- आधी से भी कम रही सेल, व्यापारियों को नुकसान

- हर साल छतरी का हर साल 5 करोड़ रुपए और रेनकोट का एक करोड़ कारोबार

GORAKHPUR: इस साल कम बारिश ने गोरखपुराइट्स को तकलीफ तो दी है, साथ ही फसल पर भी असर पड़ा। यह अब महंगाई के रूप में दिखने लगी है, लेकिन एक ऐसा बिजनेस है जो बारिश न होने की वजह से लगभग डूबने की कगार पर आ गया है। यह है रेनकोट और छतरी का बिजनेस। कभी एक साल मेंछतरी का बिजनेस पांच करोड़ रुपए का और रेनकोट का बिजनेस एक करोड़ रुपए होता था, लेकिन इस साल बारिश न होने की वजह से यह कारोबार आधा रह गया है। अगर मॉनसून की यही रफ्तार रही तो रेनकोट और छतरी बीते जमाने की बात हो जाएगी।

छतरी पर छा गए बादल

व्यापारियों का दर्द है कि अगर मॉनसून की रफ्तार यही रही तो रेनकोट और छतरी केवल किस्से कहानियों में रह जाएगी। इसकी वजह है पिछले तीन सालों में रेनकोट और छतरी का गिरता कारोबार। हर साल करोड़ों का कारोबार करने वाले छतरी और रेनकोट कारोबारियों का कहना है कि इस साल वे आधे पर ही आकर अटक गए हैं।

कितने का है कारोबार

गोरखपुर में हर साल छतरी का कारोबार करीब पांच करोड़ रुपए का है, जबकि रेनकोट का करीब एक करोड़ का बिजनेस है। इसमें थोक और फुटकर दोनों तरह के टर्नओवर शामिल हैं। सिटी में रेनकोट और छतरी की सबसे बड़ी थोक मार्केट शाहमारूफ मार्केट है। जबकि सिटी में अन्य इलाकों में छतरी और फुटकर की सैकड़ों दुकानें हैं।

रकम निकालने के प्रयास में होता है घाटा

व्यापारियों का कहना है कि छतरी और रेनकोट की खरीददारी मई और जून तक हो जाती है। व्यापारी इसे स्टॉक कर लेते है। पिछले सालों की तरह इस बार भी व्यापारियों ने स्टॉक किया, लेकिन मौसम की मार के चलते उनकी रकम तक फंस गई। व्यापारियों का कहना है कि इस साल रकम निकालने के लिए कभी रेट टू रेट तो कभी फुटकर में घाटा सह कर भी कारोबार किया गया है।

कहां से आती है छतरी और रेनकोट

गोरखपुर में छतरी और रेनकोट का कारोबार कोलकाता और मुंबई से होता है। हालांकि बड़े पैमाने पर कारोबार कोलकाता होता है। जबकि पिछले कुछ सालों से मुंबई से रेनकोट लाने वाले व्यापारियों की संख्या बढ़ी है। साल में केवल दो मंथ मई और जून में कारोबार पीक पर रहता है और व्यापारी ज्यादातर माल का स्टॉक इन्हीं मंथ में करते है।

कौन-कौन सी है बाजार

रेनकोट और छतरी की थोक मंडी शाहमारूफ मार्केट और पांडेयहाता है। इनमें करीब डेढ़ सौ से ज्यादा व्यापारी है जो रेनकोट और छतरी का थोक कारोबार करते है। वहीं सिटी में करीब तीन हजार फुटकर दुकानें हैं जिसमें रेनकोट और छतरी का कारोबार किया जाता है।

कहां-कहां जाती छतरी और रेनकोट

गोरखपुर में छतरी और रेनकोट की थोक मंडी है। गोरखपुर से क्00 किमी से आस-पास एरिया में छतरी और रेनकोट की सप्लाई होती है। गोरखपुर से सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती समेत कई जगहों पर सप्लाई होती है।

क्या होगा छतरी और रेनकोट ?

बारिश न होने के चलते व्यापारियों को कारोबार में घाटा तो हुआ है, साथ ही उनका माल काफी बच गया है। व्यापारियों का कहना है कि बचे स्टॉक को वह डंप करेंगे। इसके लिए अतिरिक्त खर्च वहन करना होगा। इसके अलावा अगले साल माल निकाला जाएगा तो काफी नुकसान भी होगा। यहीं नहीं कटऑफ माल की भरपाई के लिए उन्हें दोबारा माल खरीदना पड़ेगा।

कुछ यूं लुढ़क गई छतरी

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वर्जन

बारिश न होने के चलते रैन कोट का कारोबार इस साल चौपट हो गया। बारिश नहीं होने के चलते पिछले साल की अपेक्षा सेल आधी रह गई।

मो। शम्स,

रेनकोट कारोबारी

गोरखपुर में छतरी का कारोबार थोक और फुटकर में होता है। गोरखपुर से आस-पास क्00 किमी तक व्यापार फैला हुआ है। बारिश न होने के चलते इस साल कारोबार न के बराबर हुआ है।

मो। सिद्दकी, छतरी कारोबारी

छतरी का थोक कारोबार करने वाले व्यापारी मई और जून में स्टॉक करते हैं। हर साल करीब पांच करोड़ रुपए का टर्नओवर होता है। इस साल कारोबार आधा ही रह गया। ढाई से तीन करोड़ के टर्नओवर में थम गया।

अशफाक अहमद, थोक कारोबारी

ेंरेनकोट का कारोबार केवल बारिश तक सीमित होता है जबकि छतरी का कारोबार बारिश और गर्मी दोनों समय होता है। पहले छतरी फैशन से जुड़ी थी, लेकिन समय के साथ छतरी के फैशन का दौर भी खत्म हो गया। रही सही कसर समय पर बारिश न होने से पूरी हो गई।

शफीक अहमद,

व्यापारी, शाहमारूफ मार्केट