राजेंद्रनगर के नक्शे में छिपा है उसकी खुशहाली का राज

- 55 साल पहले राजेंद्र नगर एरिया को पूरी तरह प्लांड वे में बनाया गया था

- देश का पहला पॉश एरिया था, जहां बनाए गए थे 1 से 13 नंबर तक 200 नाले

- 15 साल पहले 1999 में 22 दिन तक डुबा रहा था राजेंद्र नगर

- आम पब्लिक की लापरवाही ने पूरी तरह राजेंद्र नगर को तबाह कर दिया

PATNA: भ्भ् साल पहले चार मई क्9भ्ब् को जब पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने ख्ब्0 एकड़ का नक्शा तैयार किया था। उस समय दावा किया गया था कि राजेंद्र नगर एरिया में अगर सुनामी भी आती है, तो वे मिनटों में निकल जाएगी। इंडिया का यह दूसरा ऐसा प्लांड एरिया डेवलप किया जा रहा था, जिसके सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम में एक बूंद भी पानी अटकना संभव नहीं था। इस पूरे एरिया में अंडरग्राउंड ख्00 नाले बनाए गए थे। सारे नाले सिस्टमेटिक तरीके से थे, जो एक बूंद पानी को भी फौरन सैदपुर संप हाउस तक पहुंचा दे रहा था, लेकिन आज आठवां दिन होने जा रहा है इस एरिया का एक बूंद पानी भी सैदपुर संप हाउस तक नहीं पहुंचाया गया है। नगर निगम के कर्मी ख्ब् आवर सैदपुर संप हाउस को चला रहे हैं। इसके बाद भी एरिया से चार फीट के पानी को निकालने में अब तक सफलता नहीं मिली है। हालत यह हो गई है कि अब घरों में कैद राजेंद्रनगर वासी ने सीएम को त्राहिमाम लेटर लिखा है। वहीं, निगम कमिश्नर सहित तमाम ऑफिसर्स पांच दिनों से इस मुसीबत को दूर करने में लगे हुए हैं। मंगलवार निकली धूप से निगमकर्मी को राहत मिली है और देखते-देखते नाला रोड, आर्य कुमार रोड का पानी निकाल कर अब सीधे राजेंद्र नगर का पानी निकालने में जुट गए हैं, लेकिन अब भी घरों में बंद हजारों फैमिली पानी निकासी का इंतजार कर रही है।

यहां रहनेवालों ने जमकर तोड़ा नियम

दरअसल, जिस तरह से राजेंद्र नगर का प्लान बनाया गया था। उस समय उसके सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत और स्पेसियस बनाया गया था, लेकिन क्980 के बाद इस एरिया में रहने वाले लोग ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम को पूरी तरह से ध्वस्त करते हुए कंस्ट्रक्शन करने लग गए। इस पूरी प्रक्रिया में निगम के कुछ ऑफिसर्स भी उन दिनों शामिल रहे होंगे, नतीजा यह हुआ कि अब राजेंद्र नगर एरिया में जब जल जमाव है। तो निगमकर्मी को एक भी नाला दिखाई नहीं दे रहा है। रोड नंबर एक से लेकर रोड नंबर दो तक लगभग बीस नाले हैं, लेकिन यहां से एक बूंद पानी निगम नहीं निकाल पा रहा है, क्योंकि सारा नाला चॉक हो चुका है।

ख्ख् दिन ब् फीट तक रहा था पानी

यह हालत आज की नहीं है। राजेंद्र नगर के रहने वाले योगेश कुमार ने बताया कि अभी तो आठ दिन ही हुए हैं, तो लोगों ने त्राहिमाम करना शुरू कर दिया है, जबकि क्भ् साल पहले क्999 में इस एरिया में भारी बारिश की वजह से ख्ख् दिनों तक चार फीट पानी जमा था। इसके बाद मामला कोर्ट में गया और कोर्ट के आदेश के बाद कुछ सड़कों के ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम को निकालने के लिए सड़कें तोड़ी गई, लेकिन वो पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया और क्भ् साल बाद एक बार फिर से राजेंद्र नगर एरिया बारिश की पानी में डूबा हुआ है।

तोड़ा जाएगा बिल्डिंग, तभी निकलेगा पानी

राजेंद्र नगर एरिया में रहने वाले राजेंद्र जी, योगेश कुमार ने बताया में जिस तेजी से अपार्टमेंट, नर्सिग होम का कंस्ट्रक्शन बेतरतीब तरीके से किया गया है। वहीं, एकमात्र जल जमाव की वजह है, क्योंकि इस कंस्ट्रक्शन में ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम का ख्याल नहीं रखा गया। इस वजह से पूरा का पूरा सिस्टम ही खराब हो चुका है। ऐसे में जब अंदर के एरिया से पानी को निकालने की जगह नहीं मिलेगी, तो फिर वो किस तरह से सैदपुर तक पहुंच पाएगा।

सैदपुर तक पहुंचा पाना मुश्किल

यह पूरा मामला सैदपुर तक पानी को पहुंचाने में हो रही विफलता है, क्योंकि राजेंद्र नगर एरिया अपने आसपास के एरिया मसलन कि नाला रोड, आर्य कुमार रोड से नीचे पड़ता है। साथ ही रेन वाटर एक जगह जम गया है। उसे निकलने का रास्ता नहीं मिलने की वजह से पानी में ठहराव है। अगर पुराने सीवरेज सिस्टम को सिर्फ खोल दिया जाएं, तो फिर आसानी से घंटे भर में पानी निकल जाएगा। जानकारी हो कि नौ स्क्वॉयर किमी में तीन फीट का पानी इस एरिया में जमा है।

राजेंद्र नगर का नक्शा देख दंग रह जाएंगे

- हर फैमिली का इंडिविजुअल अपना मकान, घर के आगे और पीछे की सुविधा।

- एरिया में हर चौक-चौराहे के चारों तरफ मार्केटिंग एरिया का निर्माण।

- 700 के आसपास मैन होल का अरेंजमेंट, जिससे मिनटों में पानी गिर जाए।

- ख्00 नाला का निर्माण साइंटिफिक व्यू से तैयार किया गया था, ताकि उंचाई से पानी सीधे नीचे पहुंच जाए।

- पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने ख्ब्0 एकड़ में किए कंस्ट्रक्शन के बाद कंस्ट्रक्शन पर रोक।

हालत बदतर होती गयी

- राजेंद्र नगर एरिया में अपार्टमेंट से लेकर नर्सिग होम और बड़ी-बड़ी इमारत का निर्माण।

- सैकड़ों मार्केटिंग एरिया का निर्माण, सीवरेज सिस्टम को पूरी तरह से ढंक दिया गया।

- फुटपाथ का बेतरतीब तरीके से निर्माण और अवैध कंस्ट्रक्शन में सीवरेज की अनदेखी।

- एरिया में बिना एनओसी लिए सड़कों पर सड़क का किया गया निर्माण।

राजेंद्र नगर का क्रिटिकल गणित

राजेंद्र नगर एरिया में 7 स्क्वॉयर किमी में जलजमाव था। इसकी उंचाई फ् फीट के आसपास मापी गयी है। अब इसे लिटर में समझने की कोशिश करेंगे, तो म्फ् करोड़ लिटर के आसपास यह पूरा पानी है। इसे हर घंटे के हिसाब से ख्ख्00 से डिवाइड किया जाए तो ख्,8म्,फ्म्फ्.म्फ् के आसपास आंका गया है। इतने पानी को निकालने के लिए निगम का पंप फ्0-फ्म् घंटे का और वक्त लेगा। सोर्सेज की मानें, तो अगर बारिश नहीं हुई तो बुधवार की दोपहर ख् बजे के बाद लाइफ नॉर्मल हो जाएगी, पर घरों के अंदर से पानी निकालने में ब्8 घंटे का वक्त लग सकता है।