-बनारस के राजेंद्र प्रसाद घाट को बॉयज की एक टोली ने बना डाला स्वर्ग, दो माह पहले घाट पर थी जबरदस्त गंदगी

-टूरिस्ट्स नाक पर रुमाल रखकर करते थे घाट क्रॉस, अब गा रहे है लड़कों का गुणगान

VARANASI: यह नेक काम किसी पब्लिसिटी या फिर डोनेशन लेने के लिए नहीं किया गया। यह पीएम के स्वच्छता अभियान में भागीदार बनने के लिए भी नहीं किया गया। बस दिल के अंदर से एक आवाज आई और ठान लिया कि यहां गंदगी की जगह फूल के गमले होने चाहिए ताकि गंगा घाटों पर टूरिस्ट्स को नाक पर रुमाल न रखना पड़े। बस इसी सोच के साथ कुछ लड़कों ने नर्क बन चुके राजेंद्र प्रसाद घाट को स्वर्ग बना डाला। अपने जेब खर्च से लड़कों ने घाट के एक पार्ट का कायाकल्प कर दिया है। यह उसी घाट का पार्ट था जहां आज से दो माह पहले लोग गंदगी करते थे। अब यहां की तस्वीर देख हर कोई यह कहने से नहीं चूक रहा कि वाकई यह जगह तो नर्क से स्वर्ग बन गई है।

डेढ़ लाख रुपये लग गए चमकाने में

बात उस टाइम की है जब देव दीपावली की तैयारियां चल रही थी। डॉ। आरपी घाट किनारे बाबू साहनी, भोला, कल्लू सहित एक दर्जन लड़कों का एक गु्रप बैठा हुआ था। घाट पर ही एक पार्ट है जहां कई सालों से गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ था। उस तरफ से गुजरने वाले टूरिस्ट बिना नाक पर रुमाल रखे क्रॉस नहीं होते थे। लड़कों ने यह देखते ही डिसीजन लिया कि अब इस घाट पर किसी को गंदगी नहीं करने देंगे। इस घाट को ऐसा बनाया जाए कि यहां की सीढि़यों पर सैलानी बैठ सकें लड़के अपनी जेब से अब तक लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च कर चुके हैं।

70 फूल के गमले बढ़ा रहे शोभा

घाट की गंदगी साफ करने के बाद लड़कों ने लगभग 70 फूल के गमले लगाए हैं। सीढि़यों पर जमे सिल्ट की डेली सफाई के लिए लड़कों ने आपस में चंदा मिलाकर पचास हजार रुपये की पम्पिंग सेट मशीन भी परचेज किया है। रेत की तरह ढह चुके घाट की सीढि़यों की रिपयेरिंग कराई और घाटों से जल निकासी के लिए नाली भी बनाई है।

डस्टबिन रखकर लगाया बोर्ड

घाट पर गंदगी नहीं हो पाए इसके लिए जगह-जगह लकड़ी के डस्टबिन रखे गए हैं। टूरिस्ट्स सहित आस-पास के लोग गंदगी न करें, इसके लिए स्वच्छता बोर्ड टांग कर अवेयर किया जा रहा है। कुछ नया करने के जुनून में रमे इन लड़कों ने ठाना है कि बिना किसी हेल्प के इस घाट को सभी घाटों से ज्यादा अट्रैक्टिव बनाएंगे।

रात भर करते थे पहरेदारी

उन लड़कों को शुरुआत में घाट को चमकाने में बहुत मुश्किलें आई। सुबह-शाम घाट को साफ किया जाता था लेकिन रात में फिर गंदगी हो जाती थी। इसलिए गु्रप के आधा दर्जन लड़के रात भर जागकर घाट की पहरेदारी करते थे। इसके बाद लाइटिंग का शानदार डेकोरेशन किया। धीरे-धीरे फूल-पौधे के गमले रखना शुरू किया तो गंदगी अपने आप मिटती गई।

कल्चरल प्रोग्राम से भी करते है अवेयर

इन लड़कों की ओर से घाट पर साफ-सफाई बरकरार रखने के लिए डेली झाड़ू लगाया जाता है। गमलों में डेली पानी डाला जाता है। इसके लिए सभी का एक टाइम शेड्यूल फिक्स है। इन लड़कों की ओर से सप्ताह में एक बार कल्चरल प्रोग्राम सहित अन्य तरह का इवेंट भी अयोजित किया जाता है। ताकि साफ-सफाई को लेकर लोग अवेयर हो सके।

अपने साथ के कुछ लड़कों ने गंदगी मिटाने की कसम खाई और आज घाट पर हर कोई बैठ सकता है। कोशिश यही है कि टूरिस्ट्स के नजर में बनारस के घाटों की ठाठ होनी चाहिए।

बाबू साहनी

राजेंद्र प्रसाद घाट

दूसरे घाटों पर टूरिस्ट टाइम एक्सपेंड करते थे लेकिन यहां गंदगी के कारण कोई नहीं आता था। जब से सफाई की गई है, अब हर कोई यहां बैठना चाहता है।

भोला गौड़, राजेंद्र प्रसाद घाट

साफ-सफाई हर कोई चाहता है। लेकिन गंदगी मिटाने के लिए कोई प्रयास नहीं करता है। हम सभी फ्रेंड्स इस घाट को साफ करने का प्रयास कर रहे है।

कल्लू जायसवाल

राजेंद्र प्रसाद घाट

लड़कों का प्रयास देखकर अपने को रोक नहीं सका। बहुत ही सराहनीय प्रयास है। अब इस घाट से गंदगी का नामोनिशान मिट चुका है।

दुर्गा पांडेय

राजेंद्र प्रसाद घाट