फिरोजपुर में तैयार हुई हैचरी, 11 को डीएम करेंगे उदघाटन

सैकड़ों की संख्या में कछुए रामगंगा में छोड़े जाएंगे

>

BAREILLY: रामगंगा नदी की सफाई को लेकर चलाया जा रहा अभियान धीरे-धीरे सफल होता दिख रहा है। रामगंगा मित्र, ब्रांड अंबेसडर और वालंटियर के बाद अब कछुए रामगंगा की सफाई में योगदान देंगे। रामगंगा में कछुए छोड़ने के लिए फिरोजपुर में हैचरी तैयार कर ली गई है। क्क् मई को डीएम गौरव दयाल हैचरी का उद्घाटन करेंगे।

मुरादाबाद से शुरुआत

रामगंगा नदी मुरादाबाद, बरेली और शाहजहांपुर जिले में कई किलोमीटर तक एरिया कवर करती है। तत्कालीन डीएम संजय कुमार ने मुरादाबाद में रहते हुए रामगंगा की सफाई का बीड़ा उठाया और व‌र्ल्ड वाइड फंड फार नेचर संस्था की मदद से काम शुरू किया। इस अभियान को रामगंगा के लिए जीवन और जीवन के लिए रामगंगा का नाम दिया गया। ट्रांसफर होकर वह बरेली पहुंचे तो यहां भी रामगंगा की सफाई का काम जारी रखा।

इंडस्ट्रीज से भी अपील

रामगंगा की सफाई के लिए शहर और गावों में वालंटियर, रामगंगा मित्र और अंबेसडर बनाने का काम शुरू किया गया। तत्कालीन डीएम ने कलेक्ट्रेट और आईवीआरआई में मीटिंग की। मीटिंग में इंडस्ट्रीज के लोगों को भी शामिल किया गया था और उन्हें भी इंडस्ट्री से निकलने वाला केमिकल युक्त गंदे पानी को फिल्टर कर छोड़ने के लिए कहा गया। रामगंगा की सफाई के लिए पब्लिक को अभियान से जुड़ने की अपील की गई। ऑनलाइन भी एनआईसी बरेली के लिए प्रचार-प्रसार किया गया।

जून तक तैयार होंगे कछुए

डीएम के ट्रांसफर के बाद अभियान की स्पीड कुछ कम हुई लेकिन एक बार फिर से नए डीएम के जरिए अभियान तेज होने जा रहा है। इसके तहत संस्था के जरिए रामगंगा में कछुए छोड़ने के लिए फिरोजपुर गांव में हैचरी तैयार की गई है। हैचरी में अंडे डाल दिए गए हैं। मई लास्ट या फिर जून तक सैकड़ों कछुए तैयार हो जाएंगे। इन कछुओं को तीनों जिलों में अलग-अलग एरिया में छोड़ दिया जाएगा जिससे पूरी रामगंगा को ये साफ कर सकें।

ऐसे करते हैं कछुए सफाई

एक्सपर्ट की मानें तो कछुए को रिवर का सफाईकर्मी कहा जाता है। कछुए दो तरह के होते हैं। एक हार्ड और दूसरे शॉफ्ट । हार्ड कछुए शाकाहारी होते हैं। ये कवई, घास व अन्य गंदगी को खाकर साफ कर देते हैं। इसके अलावा साफ्ट कछुए मांसाहारी होते हैं। ये सड़ी-गले मांस को खाकर साफ कर देते हैं। कछुआ कई किलोमीटर तक माइग्रेट भी करता है। जिससे ये काफी दूर तक सफाई कर सकते हैं।

अब तक बने फ्80 वालिंटियर

रामगंगा की सफाई के अभियान को बरेली में शुरू हुए करीब क् साल हो गया है। इसके तहत 8 गांवों को चुना गया। घनौरा, चंदउआ, फिरोजपुर, डिबनी, छुरा नवदिया, ढका और गिरौरा गांव में करीब फ्80 वालंटियर व रामगंगा मित्र बनाए जा चुके हैं। ख्फ् ब्रांड अंबेसडर भी बने हैं। इन सभी की मदद से इन गांवों के किसानों के साथ मीटिंग भी की गई जिसमें उन्हें केमिकल वाली खेती न करने की अपील की गई। ज्यादातर किसानों ने ऐसा किया तो उनकी गेहूं की फसल भी अच्छी हुई और पानी भी कम लगा। इसलिए किसानों ने धान की फसल में ऐसा करने की अपील की जा रही है।

रामगंगा की सफाई का अभियान बंद नहीं किया गया है। सफाई में लगी संस्था की ओर से हैचरी बनाई गई है। जल्द ही इसका डीएम के जरिए उद्घाटन ि1कया जाएगा।

अरुण कुमार, एडीएम ई

रामगंगा सफाई अभियान लगातार जारी है। वालंटियर बनाने के साथ-साथ किसानों से भी बिना केमिकल वाली खेती कराई गई। अब हैचरी में पैदा होने वाले कछुओं को नदी में छोड़कर इनके जरिए सफाई कराई जाएगी।

खेमबहादुर, रिसर्चर डब्ल्यूडब्ल्यूएफ