-बीसीबी के ऑडीटोरियम में चल रहा रंग समागम 2016 हुआ खत्म

-कलाकारों को पुरस्कार देकर किया गया सम्मानित

BAREILLY

बीसीबी के ऑडिटोरियम में चल रहे रंग समागम में वेडनसडे को स्पर्श नाटक का मंचन किया गया। इसमें कलाकारों ने अपनी कला से समाज का आईना दिखाया। वहीं, कार्यक्रम के समापन मौके पर कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

सितम से तोड़ देता है दम

स्पर्श नाटक ऐसे समाज की कहानी है, जो त्याज्य कुष्ठ रोगी है। नाटक का मुख्य पात्र परस अपनी मां संतो और पिता दीनानाथ को छूना चाहता है। वह उनसे प्यार करता है। लेकिन संतो किसी भी कीमत पर उसे छूने नहीं देती है और न ही किसी को छूने देती है। चाहे वह सत्याश्रम में रहने वाला साहिल, उर्मी या पगला देबू हो। यह समाज त्याज्य है। इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए राजनेता सज्जन कुमार वोटों की राजनीति करने अपने सचिव मिल लेले के साथ सत्याश्रम आते हैं। मिठाई और कम्बल देकर वोट मांगते हैं। साहिल और उर्मी परस को किसी हॉस्टल में भेजकर कर उसकी अच्छी शिक्षा और आश्रम से दूर रहने की बात करते हैं। फादर वायडा को बुलाते हैं, लेकिन वह परस को इस शर्त पर अपने साथ ले जाने को तैयार होते हैं कि उसे धर्म परिवर्तन करना होगा। उधर, संतो किसी कीमत पर आश्रम नहीं छोड़ना चाहता है। इसी पर संतों पहली बार उसे छू लेती और थप्पड़ मारती है। वहीं, देबू समाज द्वारा इतना सताया जाता है कि आश्रम आकर उसकी मौत हो जाती है। फादर फिर भी परस को ले जाना चाहता है। आखिर में परस कहता है उसे नहीं जाना ऐसे समाज में नहीं जाना। उसे सबके साथ रहना है और इसके बाद वह अपने माता-पिता का स्पर्श पाता है। नाटक के मार्मिक अंत से दर्शकों की आंखों में आंसू आ जाते हैं।