इस बार नहीं सस्ता हुआ कर्ज

आरबीआई ने इस बार क्रेडिट पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है। इसलिए रेपो रेट 6 प्रतिशत, रिवर्स रेपो रेट 5.75 प्रतिशत और कैश रिजर्व रेशियो 4 प्रतिशत पर बनी हुई है। इससे लोन की ईएमआई चुकाने वालों को कोई राहत नहीं मिली है।

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रेपो रेट : महंगा या सस्ते लोन की डोर

यह वह ब्याज की दर होती है जिस पर कोई भी बैंक अपने रोजमर्रा के कारोबार के लिए एक दिन के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेता है। रेपो रेट महंगा होगा तो बैंकों को ऊंचे ब्याज दर पर पैसा मिलेगा इससे बैंक भी ग्राहकों को महंगी ब्याज दर पर लोन देंगे। ऐसी स्थिति में ग्राहक को ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ेगी। वहीं यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट सस्ता कर देगा तो लोन सस्ता हो जाएगा और ग्राहकों को अपने लोन की ईएमआई कम चुकानी पड़ेगी।

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रिवर्स रेपो रेट : जमा पर मिलने वाले ब्याज की चाभी

इस ब्याज दर पर कोई भी बैंक अपने रोजमर्रा के कारोबार से बची हुई रकम रात भर के लिए रिजर्व बैंक में जमा करता है। यानी रिजर्व बैंक रात भर की रकम के लिए बैंकों को ब्याज देता है। रिवर्स रेपो रेट सस्ता होगा तो बैंकों को कम ब्याज मिलेगा ऐसे में बैंक ग्राहकों को जमा, एफडी या आरडी पर कम ब्याज देते हैं। यदि रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है तो बैंकों को ज्यादा ब्याज मिलेगा तो वे भी ग्राहकों को जमा, एफडी या आरडी पर ज्यादा ब्याज देंगे।

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कैश रिजर्व रेशियो : लोन आसानी से मिलेगा या नहीं

हर बैंक को अपने कुल कारोबार का कुछ हिस्सा अनिवार्य रूप से आरबीआई के पास रखना होता है। रिजर्व बैंक सीआरआर में कटौती करता है तो बैंकों को आरबीआई के पास कम पैसा रखना होगा। इस स्थिति में बैंकों के पास ज्यादा तरलता रहती है तो वे खुले हाथ से लोन बांटते हैं। वहीं जब आरबीआई सीआरआर में बढ़ोतरी कर देता है तो बैंकों के पास तरलता की कमी हो जाती है तो वे ग्राहकों को कम लोन देते हैं या लोन लेने की प्रक्रिया कठिन बना देते हैं।

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