पिछले साल अगस्त में घटाई थी कर्ज की दरें

मुंबई (प्रेट्र)। आरबीआई गवर्रनर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने पिछले साल अगस्त में कर्ज की दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। इसके बाद कर्ज की दरें घटकर 6 प्रतिशत पर आ गईं थीं, जो छह साल में सबसे कम थी।

2018-19 की पहली द्विमासिक में घोषणा

वित्त वर्ष 2018-19 की पहली द्विमासिक (हर दो महीने में) मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई ने कहा कि एमपीसी ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। दरें पहले की तरह समान हैं। एमपीसी एक बार फिर महंगाई को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है ताकि उसे नियंत्रित रखा जा सके।

रेपो रेट 6 प्रतिशत पर है स्थिर

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को कारोबार के लिए छोटी अवधि के लिए लोन देता है। यह दर अब भी 6 प्रतिशत की दर पर स्थिर है। इसमें आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया है।

रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर

रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई ब्याज देता है। दरअसल अन्य बैंक अपने कामकाज से अतिरिक्त पैसे बहुत ही कम अवधि के लिए आरबीआई में जमा कराते हैं। इस रकम पर आरबीआई जिस दर पर उन्हें ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं, जो 5.75 प्रतिशत है। इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया है।

महंगाई दरों में लगातार गिरावट

आरबीआई की महंगाई दर पिछले साल दिसंबर में 5.2 प्रतिशत थी जो जनवरी में घटकर 5.07 प्रतिशत थी। बाद में महंगाई दर घटकर इस साल फरवरी में 4.4 प्रतिशत तक पहुंच गई।

महंगाई 4 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य

सरकार ने महंगाई दर को घटाकर 4 प्रतिशत तक लाने के लिए आरबीआई से कहा है। इसमें दो प्रतिशत कम या ज्यादा हो तो चलेगा। इससे ज्यादा बढ़ने पर आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती नहीं करने का दबाव बनेगा।

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