30 दिन में बैंकों को मिले 900 करोड़, फिर भी नहीं टूटी लाइन

आरबीआई का दावा 30 दिनों में कर चुका है दोगुना ट्रांजेक्शन

नोटबंदी के पहले चार से पांच सौ करोड़ था पर मंथ ट्रांजेक्शन

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: जनता जमाखोरी में जुटी है या फिर बैंकों में बड़े पैमाने पर खेल हो रहा है। कहीं तो दाल में काला जरूर है। क्योंकि आरबीआई की ओर से तीस दिन के भीतर इलाहाबाद के बैंकों को 900 करोड़ रुपया दिया जा चुका है। एक माह के भीतर आम दिनों की तुलना में दोगुना ज्यादा ट्रांजेक्शन की बात कही जा रही है। इसके बावजूद बैंकों में लाइन टूटने का नाम नहीं ले रही है।

सवाल उठा रहा आरबीआई का दावा

प्रधानमंत्री द्वारा आठ नवंबर की रात पांच सौ व एक हजार के नोट बंद करने के एलान के बाद गुरुवार को पूरा एक महीना पूरा हो गया। आरबीआई का दावा है कि इन तीस दिनों में वह बैंकों को 900 करोड़ रुपए रिलीज कर चुका है। खुद बैंक अधिकारी भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि आम दिनों में एक माह में चार से पांच सौ करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन होता था। बैंक तो यह भी दावा कर रहे हैं कि इन तीस दिनों में आरबीआई से प्राप्त 900 करोड़ रुपए जनता को बांटा भी जा चुका है। तो सवाल यह उठता है कि आखिर बैंकों में लगी लाइन क्यों नहीं टूट रही है।

बैंक भी शक के दायरे में

नोटबंदी के बाद पूरे देश में बैंककर्मियों की करतूत खुलकर सामने आ रही है। कालेधन को सफेद करने में कई अफसर फंस चुके हैं। ऐसे में 900 करोड़ मिलने के बावजूद इस क्राइसिस से बैंक वाले भी शक के दायरे में हैं। हालांकि बैंक अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक ने पैसा दबाना शुरू कर दिया है। इसलिए समस्या कम नहीं हो रही है। खुद आरबीआई भी हैरान है कि 900 करोड़ रुपये बांटने के बाद भी क्राइसिस कम न होने के पीछे की क्या वजह हो सकती है।

एसबीआई पर आरबीआई मेहरबान

चार दिसंबर को आरबीआई ने इलाहाबाद बैंक को 212 करोड़ रुपया भेजा। लेकिन इस कैश का डायवर्जन करते हुए 137 करोड़ रुपया स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को दे दिया गया। केनरा बैंक, कारपोरेशन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को भी कैश का डायवर्जन किया गया। इसके बाद इलाहाबाद बैंक के पास केवल 37 करोड़ बचे जिसे इलाहाबाद बैंक की 90 शाखाओं में बांटा गया, जो जल्द ही खत्म हो गया। इसके अलावा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को आरबीआई ने अलग से 20 करोड़ रुपये भेजे। लेकिन इसमें से भी पांच करोड़ रुपए का डायवर्जन एसबीआई को कराया गया। बाकी बचे 15 करोड़ को यूबीआई ने अपनी 30 ब्रांचों में बांटा।

बैंककर्मियों पर उमड़ रहा गुस्सा

आरबीआई के गवर्नर की ओर से बुधवार को जारी संदेश में कहा गया कि मार्केट और बैंक दोनों जगह पैसे की कमी नहीं है। इसके बाद भी पैसे के लिए भटक रही पब्लिक का गुस्सा बैंक अधिकारियों पर फूट रहा है। खाता धारक बैंकों पर सवाल उठा रहे हैं कि जब आरबीआई पैसा भेज रहा है तो कैश कहां जा रहा है। बैंक कर्मियों पर पैसा दबाने और कमीशन पर ब्लैक को व्हाइट करने के आरोप लग रहे हैं। पिछले दिनों यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की मऊआइमा ब्रांच में कुछ लोगों ने कैश न मिलने पर तोड़फोड़ की थी।

लिमिटेड ट्रांजेक्शन में भी फेल

बैंक कैश न होने का रोना रो रहे हैं। आलम यह है कि सेविंग एकाउण्ट के लिए 24 हजार और करेंट एकाउण्ट के लिए 50 हजार का लिमिट के सापेक्ष बैंक 5 से 10 हजार ही दे रहे हैं। गुरुवार को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की मऊआइमा ब्रांच और अल्लापुर ब्रांच पर नोटिस चस्पा कर खाता धारकों को आगाह किया गया कि बैंक में कैश की कमी है। इसलिए किसी भी कस्टमर को एक बार में पांच हजार रुपये से अधिक कैश नहीं मिलेगा।

नोटबंदी के बाद भले ही कैश ट्रांजेक्शन बढ़ा है, लेकिन बिजनेस ट्रांजेक्शन में कमी आयी है। आम दिनों में शहर में बिजनेस ट्रांजेक्शन 50-70 करोड़ रुपये प्रतिदिन था। वहीं नोटबंदी के बाद यह घटकर 20-25 करोड़ पर सिमट गया। अब 30-35 करोड़ पर पहुंचा है। आरटीजीएस, चेक व एनएफसी के थ्रू पेमेंट सिस्टम बढ़ा है।

महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष पूर्वी यूपी, कैट

ऐसा नहीं है कि आरबीआई

से पैसा नहीं आ रहा है और बैंकों से पब्लिक के बीच में पैसा नहीं बट रहा है। लगातार पैसे दिए जा रहे हैं, फिर भी क्राइसेस बनी हुई है। क्योंकि लोगों में इनसिक्योरिटी की स्थिति बनी हुई है। इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लोगों द्वारा पैसे को डम्प किया जा रहा है।

अमित सिन्हा

मुख्य प्रबंधक

यूनियन बैंक, सिविल लाइंस

समस्या कम होने के बजाय अब और बढ़ती चली जा रही है। जरूरत के मुताबिक कैश न मिलने पर पब्लिक बैंक कर्मियों पर गुस्सा उतार रही है। क्योंकि आरबीआई के अधिकारी कह रहे हैं कि बैंक में कैश की कमी नहीं है, वहीं बैंकों के पास कैश नहीं है। पब्लिक बैंक कर्मी को ही गलत समझ रही है।

एसपी शर्मा

बैंक कर्मचारी

पदाधिकारी बैंक इम्प्लाई यूनियन

फैक्ट फाइल

आठ नवंबर से पहले चार से पांच सौ करोड़ पर मंथ था कैश ट्रांजेक्शन

50 से 70 करोड़ पर डे होता था बिजनेस का कैश ट्रांजेक्शन

नोटबंदी के बाद अब तक 900 करोड़ का ट्रांजेक्शन

फिर भी बनी हुई है समस्या, बैंकों में लग रही है लाइन

इलाहाबाद में सभी बैंकों के हैं टोटल 730 ब्रांच