निगरानी व्यवस्था पर दिया जोर
रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के स्टेट बैंक और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक को बैंकिंग प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण बैंक बताते हुए कहा कि इनमें किसी भी प्रकार की विफलता की स्थिति में वित्तीय सेवाओं को अटकने से बचाने के लिये उच्च स्तरीय निगरानी व्यवस्था पर जोर दिया गया है। आरबीआई ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि भारतीय स्टेट बैंक तथा आईसीआईसीआई बैंक लि. को बैंकिंग प्रणाली के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बैंक (डी-सिब) हैं। जिनसे डी-सिब के लिये वित्तीय प्रणाली के लिये जोखिम के आधार पर विभिन्न तथा उच्च गहनता की निगरानी व्यवस्था की अपेक्षा होगी।
बैंकों के बनेंगे चार समूह
रिजर्व बैंक कट-आफ स्कोर के आधार पर निर्धारित होगा कि किसके ऊपर बैंकों को डी-सिब माना जाएगा। बैंकों को चार अलग-अलग समूह में रखा जाएगा और उन्हें जोखिम भारांश संपत्ति के 0.2 प्रतिशत से 0.8 प्रतिशत के दायरे में अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर 1 यानि सीईटी १ पूंजी की जरूरत होगी। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें किस समूह में रखा गया है। रिजर्व बैंक के अनुसार अतिरिक्त सीईटी १ की आवश्यकता जोखिम भारांश संपत्ति के प्रतिशत के रूप में एसबीआई के लिये 0.6 प्रतिशत तथा आईसीआईसीआई बैंक के लिये 0.2 प्रतिशत होगा।Hindi News from Business News Desk
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