- तीन सदस्यों का बन चुका था पासपोर्ट, वीजा पाने की कर रहे थे कोशिश

- बाकियों को भी उमरा के वीजा पर सऊदी अरब भेजने की योजना बनाई थी

- सऊदी अरब से सीमा पार कर सीरिया जाने की फिराक में थे सारे आतंकी

LUCKNOW: यूपी में आतंक की नर्सरी चलाने वाले खुरसान गैंग के सदस्य किसी बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने के बाद सीरिया भागने की तैयारी में थे। उनके दिमाग में आईएस का जुनून इस कदर हावी था कि वे जेहादी बनने के लिए कुछ भी कर गुजरने का तैयार थे। यूपी एटीएस ने जब गिरफ्तार आतंकियों से उनके पासपोर्ट के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी दी। बताया कि वे तीन सदस्यों के पासपोर्ट बनवा चुके थे, गौस मोहम्मद दो बार तो आतिफ एक बार सऊदी अरब भी जा चुका था। उन दोनों ने ही सभी सदस्यों के पासपोर्ट बनाने की कवायद शुरू की थी ताकि किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के बाद सीरिया जाकर आईएस की मुख्यधारा में शामिल हो सकें लेकिन इससे पहले ही मध्य प्रदेश और यूपी एटीएस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।

उमरा का वीजा लेने की कोशिश

एटीएस के सूत्रों के मुताबिक गौस और आतिफ ने योजना बनाई थी कि सारे सदस्यों का पासपोर्ट बनवाने के बाद उमरा के वीजा के लिए आवेदन करना है। पहले आपस में तय हुआ कि वे नौकरी के बहाने वीजा पाने की कोशिश करेंगे लेकिन गौस ने उन्हें समझाया कि इसमें बहुत देर लग जाएगी। इससे बेहतर है कि उमरा के लिए आसानी से वीजा ले लिया जाए और वहां की पुलिस को चकमा देकर इराक और जार्डन के रास्ते सीरिया जाने की कोशिश की जाए। गौस ने उन्हें सऊदी अरब में अपने कुछ संपर्को के बारे में भी बताया था जो उनके वहां पहुंचने के बाद सीमा पार कराने मे मदद करने वाले थे। यह आशंका भी जताई जा रही है कि गौस मोहम्मद कहीं आईएस आतंकी सफी अरमर के संपर्क में तो नहीं है, मालूम हो कि कर्नाटक निवासी सफी अरमर आईएस के मुखिया बगदादी का करीबी माना जाता है। साल भर पहले लखनऊ में पकड़े गये आईएस माड्यूल से पूछताछ के बाद सफी अरमर के लखनऊ लिंक का पता भी चला था। सामने आया था कि सफी अरमर ही आईएस के इस माड्यूल को सीरिया से ऑपरेट कर रहा था। वहीं तीनों पासपोर्ट लखनऊ में सैफुल्लाह के घर पर बनाए गये कमांड सेंटर में भी इसलिए रखे गए थे क्योंकि यह जगह पुलिस की नजरों से बची थी और किसी बड़ी वारदात के बाद घर जाने का खतरा मोल लेने के बजाय लखनऊ से पासपोर्ट लेकर फरार होना उनके लिए काफी आसान होता।