BAREILLY:

-इंडस्ट्री का दर्जा मिलने से रियल एस्टेट में बूम आने की संभावना

-इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव हो तो बढ़ेगी परचेज की क्षमता

नोटबंदी और जीएसटी ने रियल एस्टेट बिजनेस की कमर तोड़कर रख दी है। फिर भी आगामी बजट से रियल एस्टेट बिल्डर्स को राहत की उम्मीद नजर आ रही है। क्योंकि 2022 तक पीएम मोदी ने सभी को आवास मुहैया कराने का वादा देशवासियों से किया है, जिसको लेकर रियल एस्टेट से सरकार को भी काफी उम्मीदें हैं। दोनों ही एक दूसरे की मदद के लिए तैयार हैं यह कहना है रियल एस्टेट से जुड़े एक्सप‌र्ट्स का। उनके मुताबिक मकान खरीदने पर इनकम टैक्स कम लगने पर ही रियल एस्टेट में बूम की संभावना है। बजट से बिल्डर्स को क्या आस है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जानने का प्रयास किया अपने अभियान 'दिल चाहता है' कि जरिए

5-6 परसेंट हो जीएसटी दर

प्रजेंट टाइम में जीएसटी की दर रियल एस्टेट बिजनेस में करीब 12 परसेंट तक है, जिसे कम करना चाहिए ताकि खरीदार को राहत मिल सके। यह कहना है कामाख्या बिल्डर्स के ओनर राधे सिंह का। उनके मुताबिक टैक्स लगाया जाए लेकिन यह 5-6 परसेंट के बीच हो। इससे बिल्डर्स को नहीं आम आदमी को राहत मिलेगी। इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब 4 लाख कर देनी चाहिए। जो प्रेजेंट टाइम में ढाई लाख रुपए है। गाढ़ी कमाई से पहली बार घर खरीदने वाले को हर मद में छूट का प्रावधान होना चाहिए।

रियल एस्टेट बने इंडस्ट्री

कॉम्पीटेंट ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट अनुज मिश्रा के मुताबिक रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिलने के बाद ही इसकी रफ्तार बढ़ेगी और सेक्टर में बूम आने की संभावना है। नोटबंदी ने पहले ही आम आदमी की परचेजिंग पॉवर और बिजनेसमेन की बिल्डिंग बनाने की क्षमता कम कर दी है। जिसे बढ़ाना जरूरी है। तभी पीएम मोदी के 2022 तक सभी को आवास मुहैया कराने की महत्वाकांक्षी योजना को मुकाम तक पहुंचाया जा सकता है। बैंक से लोन मिलने की उम्मीद भी बढ़ेगी और आवास बनेंगे।

ताकि कम्प्रोमाइज न हो

आम आदमी की परचेजिंग पॉवर बढ़ेगी तभी रियल एस्टेट सेक्टर में बूम आएगा। इसके लिए सरकार को इनकम टैक्स की दर कम करनी होगी। रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा देना होगा। इंडस्ट्री का दर्जा मिलने के बाद ही बिल्डर्स को इंडस्ट्री के तहत तमाम सुविधाएं मिलेंगी। काफी कम लागत में रो, फ्लैट या मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाएंगे जो लोगों को भी कम कीमतों में बेचा जाएगा। इसके लिए क्रेडाई की ओर से सरकार को कई बार लिखा गया है। यह कहना है प्रेसीडेंट क्रेडाई यूथ आशीष गुप्ता का।

सर्किल रेट में समानता

क्रेडाई के ट्रेजरार धर्मेद्र गुप्ता ने बताया कि रियल एस्टेट का बिजनेस आसान नहीं रह गया है। नीतियों की खामियों की वजह से यह जोखिम भरा है। बैंक लोन देने में आनाकानी करते हैं। क्योंकि इसमें लंबे समय के लिए रुपया फंसने का डर बैंक्स को होता है। सर्किल रेट में भी काफी असमानताएं हैं, जिसकी वजह से आवास परचेज करना आम आदमी के लिए कठिन होता जा रहा है। बिल्डर्स आवास बनाएं तो खरीदार भी होना जरूरी है। जिसके लिए सरकार को आम आदमी को भी राहत देनी होगी।