पिछला विधानसभा चुनाव कब हुआ था और मौजूदा विधायक कौन हैं, इसके बारे में भी तीनों क्षेत्रों के वोटरों की जेनरल नॉलेज बेहद कमजोर है। यह बात हम हवा में नहीं कर रहे हैं। दरअसल तीनों विधानसभा क्षेत्रों के शहरी इलाकों में चुनावी जागरूकता से जुड़े सवालों को लेकर किए गए सर्वे में यह हकीकत सामने आई है। हमने तीनों क्षेत्रों के भ्भ्0 वोटरों से सवाल पूछे। इनमें सिविल सर्विस से लेकर बैंक और एसएससी कॉम्पटीशन की तैयारी कर रहे लोग, व्यवसायी, गृहिणियां, नौकरी-पेशा लोगों से लेकर फुटपाथी दुकानदार तक शामिल हैं। हमने इस सर्वे में राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकताओं और हार्डकोर समर्थकों को शामिल नहीं ि1कया है।

पार्लियामेंट न असेंबली, यह मोदी का है

मैं तो मोदी को वोट दूंगा, यह चुनाव उनके लिए हो रहा है। यह कहना है वीरेन्द्र कुमार गुप्ता का, जो पिछले क्भ् साल से लालपुर चौक पर मसाले की दुकान चलाते रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाली सागरिका को इतना तो पता है कि चुनाव होने वाले हैं, लेकिन यह चुनाव लोकसभा का है या विधानसभा का, उन्हें नहीं पता। कोकर में रहने वाली गृहिणी मुस्कान भी वोट डालने की बात करती हैं, लेकिन उनके वोट से विधायक चुने जाएंगे या सांसद इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। आई नेक्स्ट ने अपने सर्वे में जब सैकड़ों लोगों से यह पूछा कि यह कौन सा चुनाव है, तो अधिकतर लोगों का जवाब कुछ ऐसा ही था। अधिकतर को यही पता है कि यह चुनाव मोदी के लिए हो रहा है। उनके वोट से मोदी चुनाव जीतेंगे। कई लोगों को यह जानकारी भी नहीं है कि विधानसभा चुनाव में विधायक चुनने के लिए वोट डाले जाते हैं और जिस पार्टी को बहुमत मिलता है, उसका मुख्यमंत्री हाेता है।

 

वोट डालेंगे, लेकिन कब यह ही नहीं पता

हर चुनाव में मैं वोट डालती हूं, इस बार भी वोट करूंगी। लेकिन कब यह मुझे नहीं पता, शायद दिसंबर में वोट है। लेकिन किस दिन वोट पड़ना है, इसकी भी जानकारी नहीं है। यह कहना है रेडीमेड कपड़ों की शॉप चलाने वाली रेखा देवी का। कांके विधानसभा क्षेत्र की यह मतदाता वोट को लेकर अवेयर तो है, लेकिन इनके विधानसभा क्षेत्र में वोट कब पड़ना है, यह इन्हें अभी तक पता नहीं है।

हालांकि यह हाल सिर्फ रेखा का ही नहीं है, बल्कि एसएससी एग्जाम की तैयारी कर रही शालिनी शर्मा भी यह नहीं जानती हैं कि उनके क्षेत्र में पोलिंग डेट क्या है। झारखंड में चुनाव हो रहे हैं, यह जानकारी तो इन्हें भी है लेकिन इसके अलावा इनको किसी चीज की जानकारी नहीं है। शहनाज कमर भी चुनाव के बारे में पूछने पर कहती हैं कि इलेक्शन होने वाला है यह तो वह सुन रही हैं, लेकिन कब होगा यह नहीं पता।

पीस रोड में दुकान चलाने वाले मनीष कुमार तो वोट डालने के लिए काफी एक्साइटेड हैं। झारखंड में पूर्ण बहुमत की मजबूत सरकार बने, इसको लेकर वह काफी तर्क भी देने लग जाते हैं, लेकिन जब उनसे पूछा जाता है कि उनकी सीट के लिए चुनाव कब होना है तो वह एक नहीं बल्कि कई चुनाव तारीखों को बताने लग जाते हैं। आई नेक्स्ट के सर्वे में शामिल बहुत सारे लोगों को पोलिंग डेट को लेकर कंफ्यूजन है और मतदान किस दिन होगा इसकी सही जानकारी नहीं है। यह हाल तब है जब मतदाताओं को वोटिंग राइट के प्रति जागरूक करने के लिए सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं।

 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची से लड़ रहे चुनाव

हमारे रांची क्षेत्र से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आजसू के सुदेश महतो चुनाव लड़ रहे हैं। यह कहना है सूरज का, जो बैंकिंग एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा मोहम्मद सिद्दिक अंसारी सुबोध कांत सहाय को रांची विधानसभा सीट का उम्मीदवार बता रहे हैं, जबकि फिरायालाल चौक पर फल और सब्जी की दुकान लगाने वाली रजनी महतो विधानसभा चुनाव में रामटहल चौधरी को अपना उम्मीदवार बताते हुए उन्हें वोट देने की बात कह रही हैं।

जबकि सच्चाई यह है कि ऊपर जिन नामों को लोगों ने बताया है, उनमें से कोई रांची, कांके या हटिया विधानसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। आई नेक्स्ट ने अपने सर्वे में जब लोगों से यह पूछा कि अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे चार प्रमुख प्रत्याशियों के नाम बताएं, तो इसके जवाब में लोगों ने ऐसे लोगों के नाम बताए जो इन सीटों से चुनाव लड़ ही नहीं रहे हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में रांची सीट से चुनाव लड़ने वाले सुबोध कांत सहाय और रामटहल चौधरी को जहां कुछ लोग अब भी प्रत्याशी बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आजसू प्रमुख सुदेश महतो के चुनाव क्षेत्र को लेकर भी उन्हें सही जानकारी नहीं है। ज्यादातर लोगों को प्रत्याशियों के नाम तक मालूम नहीं है, अगर कुछ लोगों ने प्रत्याशियों के नाम बताए भी तो उनकी पार्टी के नाम पर सिर खुजलाने लगे। बहुत कम ही लोग ऐसे थे, जो चारों प्रत्याशियों के नाम जानते थे। एक- दो के अलावा बाकी किसी के नाम उन्हें पता ही नहीं हैं.

 

पिछले अप्रैल में हुआ था चुनाव

झारखंड में पिछला विधानसभा चुनाव पिछले अप्रैल में हुआ था, यह कहना है प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही राजश्री का। जबकि उन्हीं की तरह तैयारी कर रही शहनाज कमर बताती हैं कि एक साल पहले चुनाव हुआ था। हाउस वाइफ एस। देवी कहती हैं कि शायद तीन साल पहले उन्होंने विधानसभा चुनाव में वोट किया था। जबकि झारखंड विधानसभा अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर रही है और पिछला चुनाव पांच साल पहले हुआ था यह अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है। आई नेक्स्ट ने अपने सर्वे में जब लोगों से यह जानना चाहा कि झारखंड में पिछला विधानसभा चुनाव कब हुआ तो कुछ लोगों ने बताया कि एक साल पहले, तीन साल पहले, चार साल पहले और छह महीना पहले। बहुत कम लोग ही ऐसे थे जिन्हें यह पता है कि पांच साल बाद विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं।

 

सीपी सिंह हटिया और सुबोध कांत रांची विधायक

विधायक को देखा नहीं है। उनका नाम भी याद नहीं है। यह जवाब है पूर्णिमा का। जब उनसे पूछा गया कि आप अपने क्षेत्र के विधायक का नाम बताइए। हालांकि ऐसा जवाब देने वाली पूर्णिमा अकेली नहीं है, बल्कि सिटी के प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में जॉब करने वाली मेघा सिंह का जवाब भी कुछ ऐसा ही है। उन्होंने बताया कि वह हटिया विधानसभा क्षेत्र में आती हैं और उनके विधायक सीपी सिंह है। इतना ही नहीं, राहुल कुमार का भी कहना है कि सुबोध कांत सहाय रांची के विधायक हैं।

आई नेक्स्ट ने अपने सर्वे में जब कांके, हटिया और रांची विधानसभा क्षेत्रों के लोगों से उनके मौजूदा विधायक का नाम पूछा तो बहुत कम लोग ही अपने विधायक का नाम बता पाए। अधिकतर लोग अपने विधायक का नाम तक नहीं जानते हैं। कुछ ने बताया कि वह नाम भूल गए हैं, जबकि कुछ को तो अपनी विधानसभा सीट के बारे में भी नहीं पता है। वह रांची, हटिया या कांके में से किस विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। इसका भी सही जवाब नहीं दे पाए।