-राज्य गठन के 14 साल बाद भी नहीं मिली बीसीसीआई की मान्यता

-बीसीसीआई से मान्यता के लिए ठोक रहे हैं सभी एसोसिएशन दावा

-एसोसिएशन की लड़ाई में स्टेट के प्लेयर्स का टैलेंट हो रहा बर्बाद

DEHRADUN : वर्तमान समय में देश में क्रिकेट को एक धर्म की संज्ञा दी जाती है। इसका सीधा सा कारण है कि आज यह खेल इतना प्रचलित हो गया है कि बच्चे से लेकर बूढ़े तक का इस खेल में इंट्रेस्ट अधिक है, लेकिन इसे उत्तराखंड राज्य का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि आज राज्य के गठन को 14 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन यहां अभी तक बीसीसीआई की मान्यता नहीं मिल पाई है। इसका कारण यहां क्रिकेट एसोसिएशन के बीच की राजनीति है। हर कोई संघ बीसीसीआई की मान्यता के लिए दावा ठोकता है। हाल ही में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने सीएयू और उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन को एक साथ आने के लिए इन्वाइट किया तो दोनों ही एसोसिएशन से कोई भी पदाधिकारी नहीं पहुंचे। हालांकि उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव दिव्य नौटियाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह दावा भी किया था कि इससे पहले उनकी मीटिंग आयोजित हुई थी जिसमें कुछ सहमति बन पाई थी। लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सिर्फ उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी ही नजर आए।

एक हो जाएं तो मिल जाएगी मान्यता

ऐसा नहीं है कि बीसीसीआई उत्तराखंड को मान्यता नहीं देना चाहता है। वर्ष 2009 में बीसीसीआई यहां मान्यता देने को एक कमेटी भी बना चुकी थी। जिसने यह स्पष्ट कर दिया था कि आप सभी एसोसिएशन एक एक छत के नीचे आइए तो हम कल ही उत्तराखंड राज्य को मान्यता देने को तैयार हैं। लेकिन एक होने को कोई तैयार नहीं है। आज राज्य के क्रिकेटर खेलने के लिए दूसरे राज्यों की ओर मुंह ताक रहे हैं। इनके भविष्य को लेकर इन सभी एसोसिएशन को कोई मतलब नहीं है। चाहिए तो सिर्फ अपनी एसोसिएशन को व्यक्तिगत मान्यता।

दूसरे राज्यों से खेल रहे प्लेयर्स

उन्मुक्त चंद, मनीष पांडे, पवन नेगी, पवन सुयाल, प्रियांशू खंडूड़ी, ई अभिमन्यु, सन्नी राणा, कुनाल चंदीला, एकता बिष्ट, स्नेह राणा आदि प्लेयर ऐसे हैं जो उत्तराखंड राज्य को बीसीसीआई की मान्यता न मिल पाने के कारण दूसरे राज्यों की ओर से क्रिकेट खेल रहे हैं।

क्या कहना है इनका

हमें किसी ने कोई सूचना नहीं दी है और दो एसोसिएशन मान्यता की रेस में ही नहीं है उसकी भला हम क्यों सुने। वर्ष 2009 में बीसीसीआई ने उत्तराखंड को मान्यता देने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। जिसमें 5 एसोसिएशन ने भाग लिया था। 3 एसोसिएशन को उन्होंने स्पष्ट कह दिया था आपका अभी तक स्टेट में क्रिकेट के डेवलपमेंट में कोई योगदान नहीं है। इसलिए आप मान्यता की रेस से बाहर हो। हमारी एसोसिएशन का मान्यता का दावा मजबूत है।

-पीसी वर्मा, सचिव, क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड

अभी कुछ ही समय में बीसीसीआई की नई वर्किंग कमेटी का चुनाव होना है। जिसमें हमारी एसोसिएशन को मान्यता मिलने की पूरी उम्मीद है। अरुण जेटली जब बीसीसीआई की बॉडी में थे उन्होंने हमें कमिटमेंट किया हुआ है। वह वादा जल्द ही बीसीसीआई की नई वर्किंग कमेटी पूरा करेगी। हमारी एसोसिएशन राज्य बनने के समय से ही उत्तराखंड में क्रिकेट को बढ़ावा दे रही है। क्फ् जिलों में हमारी इकाईयां काम कर रही है।

-चंद्रकांत आर्य, सचिव, उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन

हमारे पास बाकी दो एसोसिएशन का सपोर्ट है, लेकिन मान्यता के लिए बाकी जो दोनों एसोसिएशन हैं उनका एक होना जरूरी है। इसलिए हमने उनको एकजुट होने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वह नहीं आई। हमारी संस्था का पंजीकरण वर्ष ख्00भ् में कंपनीज एक्ट के तहत नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर हुआ है। मान्यता का दावा हमारा भी मजबूत है लेकिन जब बीसीसीआई स्पष्ट कर चुकी है कि सभी लोग एक जुट हो जाइए। हम भी चाहते हैं कि बच्चों को अपने स्टेट से खेलने का मौका मिले।

-दिव्य नौटियाल, सचिव व निदेशक, उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन