JAMSHEDPUR: ये शानदार तकनीक जमशेदपुर स्थित नेशनल मेटालर्जिकल लेबोरेटरी (एनएमएल) के प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा ने कई साल के रिसर्च के बाद विकसित की है। इसके लिए केमिकल प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रोलाइसिस व इलेक्ट्रो प्लेटिंग की विधि अपनाई जाती है। उन्होंने इस तकनीक का सफल प्रयोग कर लिया है।

 

होती है तरह-तरह की बीमारी

ई वेस्ट बेहद खतरनाक माना जाता है। इसे बाहर फेंक देने से पर्यावरण पर इसका बुरा असर पड़ता है। इससे लोगों में तरह-तरह की बीमारी होती है। ई वेस्ट के असर से लोग मानसिक रोगी हो जाते हैं। किडनी और लीवर फेल हो जाते हैं। एनएमएल के प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा बताते हैं कि ई वेस्ट को रिसाइकिल कर देने से इसमें मौजूद जहरीले रसायन खत्म हो जाते हैं। यही नहीं, इनमें मौजूद कीमती धातुओं को बाहर निकाल लिया जाता है। मनीष बताते हैं कि टीवी, मोबाइल आदि इलेक्ट्रानिक वस्तुओं में पिंटेक सर्किट बोर्ड और मदर बोर्ड में कीमती धातुओं का इस्तेमाल होता है। प्लेटिनम और सोने का जितना ज्यादा प्रयोग होगा। उतना ही उस यंत्र का साउंड सिस्टम अच्छा होगा।

 

हर धातु को निकालने की अलग विधि

ई वेस्ट से अलग धातु निकालने की तकनीक अलग है। अल्यूमिनियम से सोना निकालने, तांबा से सोना निकालने और लोहे से सोना निकालने की सब अलग विधि है। प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा बताते हैं कि अगर ई वेस्ट में अल्यूमिनियम से सोना निकालना है तो इसके केमिकल प्रोसेसिंग में सल्फ्यूरिक एसिड, अलकली, सोडियम हाईड्रेड आदि का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह, प्लेटिनम, पैलेडियम और चांदी निकालने के लिए केमिकल प्रोसेसिंग में अलग रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

 

बदल सकती है देश की तकदीर

प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा बताते हैं कि ई वेस्ट को रिसाइकिलंग करने का कुटीर उद्योग देश में विकसित किया जा सकता है। इससे लोग घर पर ही ई कबाड़ की रिसाइकिलिंग कर सोना, चांदी, प्लेटिनम आदि धातुओं बना सकते हैं। दक्षिण कोरिया, जापान, यूरोप आदि के देशों में लोग घर पर ई वेस्ट की रिसाइकिलिंग कर लाखों कमा रहे हैं। मनीष हाल ही में दक्षिण कोरिया से आए हैं। वो बताते हैं कि वहां एक परिवार ई वेस्ट से रोज 100 ग्राम सोना निकालता है।

 

विश्व रिसाइकिलिंग कमेटी के हैं मेंबर

एनएमएल के प्रधान वैज्ञानिक मनीष झा विश्व रिसाइकिलिंग स्टीय¨रग कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने ई वेस्ट पर काफी काम किया है। इसे लेकर होने वाली सेमीनार में शिरकत करने वो यूरोप के कई देशों के अलावा, जर्मनी, जापान और दक्षिण कोरिया भी गए हैं।

 

ई कबाड़ से सोना, प्लेटिनम जैसी धातुएं निकालने की तकनीक बेहद उपयोगी है। इससे जहां एक तरफ ई वेस्ट के खप जाने से पर्यावरण प्रदूषण खत्म होगा तो वहीं इससे निकली कीमती धातु बेच कर लाखों कमाया जा सकता है।

मनीष झा, प्रधान वैज्ञानिक एनएमएल

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