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ALLAHABAD: मोक्षदायिनी मां गंगा इस बार मेला क्षेत्र पर मेहरबान हैं। मेला क्षेत्र में गंगोत्री-शिवाला मार्ग से लेकर महावीर पाण्टून पुल तक कटान का नामोनिशान नहीं दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि संगम की रेती पर वर्ष 2018 में लगने जा रहा माघ मेला करीब 1800 बीघा जमीन पर बसाने की तैयारी है। पिछले वर्ष कटान की वजह से प्रस्तावित 1432 बीघा की बजाय महज साढ़े बारह सौ बीघा में ही मेला का आयोजन किया गया था।

 

पांच पाण्टून पुल और पांच सेक्टर

इस बार माघ मेला को अ‌र्द्धकुंभ के रिहर्सल के तौर देखा जा रहा है। इस बार भी पांच पाण्टून पुल व पांच सेक्टर में मेला बसाया जाएगा। इसके लिए मेला क्षेत्र में पुलों का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो 15 दिन में महावीर पाण्टून पुल का निर्माण हो जाएगा। गंगोत्री-शिवाला, त्रिवेणी, काली व ओल्ड जीटी रोड सेक्टर के पुलों का निर्माण लक्ष्य दिसम्बर के तीसरे सप्ताह तक निर्धारित किया गया है।

 

संगम नोज पर समतलीकरण

इस बार मेला झूंसी साइड बसाने की योजना है। इसके लिए संगम नोज से लेकर झूंसी की ओर की जमीन को समतल करने का काम जोरों पर किया जा रहा है। इसमें एक दर्जन ट्रैक्टर लगाए गए हैं। यही नहीं रामघाट से संगम की ओर जाने वाली धारा को रोकने के लिए भी तैयारियां की गई हैं। यदि एक सप्ताह में कटान की स्थिति उत्पन्न होती है तो लोक निर्माण विभाग पाण्टून पुल के निर्माण में अधिक कर्मचारियों की तैनाती करेगा।

 

दिसम्बर के पहले सप्ताह में आवंटन

मेला की तैयारियां शुरू होते ही मेला प्रशासन कार्यालय में भूमि आवंटन को लेकर संत-महात्माओं के आने का सिलसिला तेज हो गया है। विभागीय कर्मचारियों की मानें तो दिसम्बर के पहले सप्ताह से साधु संन्यासियों को भूमि आवंटन का काम शुरू हो जाएगा। सबसे पहले दंडी संन्यासियों को भूमि आवंटित की जाएगी।

 

माघ मेले की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस बार अभी तक कटान का सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसलिए मेला एरिया 1800 बीघा में बसाए जाने की योजना बनाई गई है।

किशोरी लाल गुप्ता, मेला अमीन