सबहेड : विधानस5ा के पटल पर र2ाी गई प्रवर समिति की रिपोर्ट

क्रासर

-आरोपी का पक्ष सुने बिना पुलिस नहीं कर सकेगी गिर3तार

- गैर जमानतीय अपराध नहीं, तीन साल के बजाए 18 माह की सजा

रांची : चिकित्सकों और चिकित्सा संस्थानों के संरक्षण के लिए लाए जा रहे झार2ांड चिकित्सा सेवा से संबंद्ध व्य1ितयों, चिकित्सा सेवा संस्थान (¨हसा एवं संपत्ति नुकसान निवारण) विधेयक-2017 में सजा के प्रावधानों को कम किया गया है। शुक्रवार को विधानस5ा के पटल पर र2ाी गई प्रवर समिति की रिपोर्ट में इसमें व्यावहारिक पहलुओं तथा मरीजों के हितों को दे2ाते हुए कई संशोधन की अनुशंसा की गई है। चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों से मारपीट करना तथा चिकित्सा संस्थानों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब गैर जमानतीय अपराध नहीं होगा। प्रवर समिति ने 'गैर जमानतीय' के स्थान पर 'दंड प्रक्रिया संहिता के नियम 41-ए के प्रावधानों का अनुपालन किया जाएगा' जोड़ने की अनुशंसा की है। इसके तहत, आरोपी की गिर3तारी से पहले उसे लि2िात नोटिस दी जाएगी। साथ ही आरोपी का पक्ष सुने बिना उसकी गिर3तारी नहीं होगी।

बगैर सबूत अरेस्टिंग नहीं

इसका आशय साफ है कि जबतक आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य एकत्रित न कर लिए जाएंगे तबतक उसकी गिर3तारी नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि कोई अस्पताल या चिकित्सक द्वारा सिर्फ एफआइआर दर्ज करा लेने से आरोपी की गिर3तारी नहीं हो सकेगी। प्रवर समिति ने आरोप सिद्ध होने पर दोषी व्य1ितयो को नुकसान हुई संपत्ति की दोगुनी राशि चुकानी होगी के प्रावधान से 'दोगुनी' श4द को हटाने की अनुशंसा की है। इससे अब नुकसान हुई संपत्ति की ही 5ारपाई करनी होगी। वहीं, मूल प्रस्ताव में दोषी करार दिए जाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया था। प्रवर समिति ने इसे घटाकर 18 माह करने की अनुशंसा की है। 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान बरकरार र2ा गया है। इस सत्र में यह विधेयक सदन में प्रस्तुत नहीं हो सका। अब सरकार इसे बजट सत्र में लाएगी। उल्ले2ानीय है कि सरकार ने इसे मानसून सत्र में लाया था, लेकिन विधायकों की मांग पर इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। इससे पहले 5ाी यह विधेयक एक बार प्रवर समिति को सौंपा गया था।

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