रुक नही रहे हैं मां के आंसू, गंभीर बनी है बेटी की हालत

चार हैवानों ने मासूम से किया सामूहिक दुष्कर्म

मुंबई से रविवार को पहुंचेगा पिता, ढाई घंटे में बर्बाद कर दी मासूम की जिंदगी

ALLAHABAD: पुलिस, समाजसेवी, डॉक्टर, मीडिया के लोग आकर मेरी बच्ची का हालचाल पूछ रहे हैं। कुछ लोग मोबाइल पर वीडियो भी बनाकर चले जाते हैं। हर आदमी 'सबकुछ ठीक हो जाएगा' का आश्वासन देकर चलता बन रहा है। लेकिन, मुझे कुछ नही चाहिए। मेरी बेटी को इंसाफ दिलवा दो। उन चार हैवानों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, जिन्होंने मासूम की जिंदगी खराब कर दी। जसरा ब्लॉक के गुनावा गांव की रहने वाली फरहीन बानो (परिवर्तित नामम) यह बात कहकर फफक पड़ती है। उसकी सात साल की मासूम हॉस्पिटल के बेड पर गंभीर हालत में पड़ी है। गुरुवार रात चार हैवान उसे अधमरी हालत में सड़क पर फेंक कर भाग निकले थे। हालांकि पुलिस ने बच्ची की निशानदेही पर दो को गिरफ्तार किया, लेकिन इस घटना ने मासूम और उसकी मां को जो जख्म दिए हैं। उसे ठीक होने शायद सालों लग जाएंगे।

बिन आहट बच्ची को ले गए दरिंदे

फरहीन की मानें तो गुरुवार की रात साढ़े दस बजे तीनो बेटे-बेटियां उसके साथ जमीन पर बिस्तर बिछाकर सो रहे थे। साथ में फरहीन का 13 साल का छोटा भाई भी था। देर रात 12:30 बजे पड़ोस में रहने वाली महिला ने उन्हें आवाज देकर उठाया। आंख खुली तो देखा सात साल की मासूम बेटी खून से लथपथ बेसुध थी। महिला ने बताया कि फरहीन की बेटी घर के बाहर खड़ी रो रही थी। मोहल्ले के कुत्तों से डरकर अंदर जाने की हिम्मत नही जुटा पा रही थी। उसकी हालत देखकर हड़कंप मच गया। फरहीन वही बेहोश होकर गिर पड़ी। मासूम ने बताया कि चार लोग उसे उठा ले गए थे और उसके साथ गंदा काम किया। उनमें से एक व्यक्ति उसे घर के सामने छोड़कर गया है। पीडि़त तीनों बेटे-बेटियों में बीच की है।

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बिस्तर से उठ नही पा रही मासूम

हैवानों ने मासूम के साथ दरिंदगी की हदें पार करने में कोई कसर नही छोड़ी है। इस हादसे ने मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया है। बाहरियों के दखल को देखते हुए हॉस्पिटल प्रशासन ने बच्ची को लेबर रूम में शिफ्ट कर दिया है जिससे उसे अधिक शारीरिक और मानसिक आघात न पहुंचे। फिलहाल, मासूम न तो ठीक से उठ पा रही है और न ही कुछ खा पा रही है। डॉक्टर उसके शरीर के गहरे घावों को भरने का प्रयास कर रहे हैं। यह सब देखकर मां फरहीन का कलेजा फटा जा रहा है। बेटी का नाम लेते ही उसके आंसू बहने लगते हैं। रुंधे गले से वह केवल इंसाफ मांग रही है।

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अभी तक नही पहुंचा अभागा पिता

फरहीन बताती है कि उसका पति मुंबई में साड़ी के कारखाने में काम करता है। परिवार की माली हालत ठीक नही है। अभी वह बीस दिन पहले ही कमाने गया था बीच में इतनी बड़ी घटना हो गई। शनिवार को वह मुंबई से चला है और रविवार को इलाहाबाद पहुंच जाएगा। वह बताती है कि दो जून की रोटी के लिए घर में बीड़ी बनाने का काम करती है। पति मुंबई में रहता है कि इसलिए वह खुद घर से बाहर नही निकलती और बच्चों को भी घर में रखती है। घर के बाहर तीन ओर से दीवार बनी है लेकिन, एक तरफ दीवार नही होने से उसे कांटों और लकड़ी से घेरा गया है। इसी का फायदा उठाकर दरिंदे घर के भीतर घुसने में सफल हो गए।

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बेटी के हौसले से दो हुए अरेस्ट

अपने साथ हुई हैवानियत का दर्द झेल रही मासूम की निशानदेही पर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए अमरेहा गांव के जमालुद्दीन के बेटे बादशाह और सकलैन सगे भाई हैं। बच्ची के हौसले ने दोनों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। उसने आवाज और चेहरे से उनकी पहचान की है। अभी बाकी दो की तलाश जारी है। उधर, फरहीन का कहना है कि वह अपने मायके में रहती है और उसे अफसोस है कि जिस गांव में उसने बचपन गुजारा वहीं पर उसकी बेटी के साथ ऐसा अमानवीय बर्ताव किया गया।