चालू खाते का घाटा करना होगा कम

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि चालू खाते का घाटा हमें जल्द से जल्द रोकना होगा. इसको बढ़ने से रोकने के लिये हरसंभव प्रयास किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार पूर्ववर्ती संप्रग सरकार द्वारा गोल्ड इंपोर्ट पर लगाई रोक तथा अन्य कदमों को जारी रखना चाहती है. जेटली ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि हर कदम जारी है. सभी प्रयास किये जा रहे हैं और नये उपाय खोजे जा रहे हैं. साल 2012-13 में चालू खाते का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.7 फीसदी (88.2 अरब अमेरिकी डॉलर) था जिसे नियंत्रित करने के लिये पूर्ववर्ती सरकार ने कई कदम उठाये थे. पूरक प्रश्नों के जवाब में जेटली ने इन कदमों का जिक्र करते हुये कहा कि दोनों ही सरकारों और भारतीय रिजर्व बैंक ने सोने तथा अन्य गैर आवश्यक वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने के लिये कदम उठाये हैं. इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की आपूर्ति बढ़ाने के उपाय भी किये गये.

2013 में बढ़ा था गोल्ड इंपोर्ट रेट

जेटली ने डॉ टी.सुब्बरामी रेड्डी के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि चालू खाते के घाटे के मोर्चे पर संकट की शुरूआत मई 2013 में हुई जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी आस्तियों की खरीद कम करने या क्वान्टिटेटिव ईजिंग को वापस लेने के इरादे की घोषणा की. उन्होंने कहा कि उस समय वित्त मंत्रालय ने चालू खाते का घाटा नियंत्रित करने के लिये सोने के आयात को लेकर कड़े कदम उठाने सहित कई उपाये किये. उन्होंने बताया कि सोने पर आयात शुल्क 3 गुना बढ़ा दिया गया. वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार और आरबीआई के इन कदमों से भारत का चालू खाते का घाटा घट कर साल 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद का 1.7 फीसदी(32.4 अरब डॉलर) हो गया और 4 जुलाई 2014 की स्थिति के अनुसार 316.4 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार सृजित करने में भी मदद मिली.

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