AGRA: डॉ। भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के सत्र 2013 के स्टूडेंट का भगवान ही मालिक है। यूनिवर्सिटी में इस सत्र के स्टूडेंट्स का कोई काम नहीं हो पा रहा है। इस सत्र का काम कर रही एजेंसी के कर्मचारी भाग चुके हैं, अब यदि कोई स्टूडेंट अपनी मार्कशीट लेकर पहुंच रहा है, तो यूनिवर्सिटी कर्मचारी अपनी लाचारी का रोना रो रहे हैं।

भाग गए एजेंसी के कर्मचारी

यूनिवर्सिटी के सत्र 2013 का काम बेंगलुरु की एजेंसी माइंड लॉजिक देख रही है। दो वर्ष बीत जाने के बाद भी एजेंसी पूरा रिजल्ट नहीं दे पाई है। रिजल्ट में काफी गलतियां हैं, जिनके चलते यूनिवर्सिटी की अम्बेडकर चेयर से एजेंसी के कुछ कर्मचारी इन गलतियों को सुधारने का कार्य कर रहे थे। लेकिन दो दिन पूर्व ही एजेंसी के कर्मचारी यहां से अपना सारा सेटअप समेटकर भाग चुके हैं।

मारपीट की घटना से आए दहशत में

एक सप्ताह पूर्व सपा छात्रसभा के सदस्यों ने माइंड लॉजिक एजेंसी मालिक को बंधक बना लिया था। आरोप है उसके साथ मारपीट की गई थी। घटना के बाद यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार केएन सिंह, चीफ प्रोक्टर एके सिंह, पीआरओ मनोज श्रीवास्तव मौके पर पहुंच गए। उनके द्वारा मामले में हस्तक्षेप करने के बाद घटना शांत हुई। इस मामले में एजेंसी मालिक ने थाना न्यू आगरा में तहरीर दी। जिसमें सपा छात्रसभा के सदस्यों पर डकैती का आरोप लगाया गया है। पुलिस इस मामले में छानबीन कर रही है। इस घटना के बाद दहशत में आई एजेंसी ने अपना बोरिया बिस्तर यहां से समेट लिया।

एप्लीकेशन का लगा ढेर

सत्र 2013 की तमाम त्रुटियों को लेकर स्टूडेंट्स की एप्लीकेशन का खंदारी कैम्पस के रसायन विभाग में ढेर लगा हुआ है। यहां पर रोजाना सैकड़ों स्टूडेंट्स अपनी समस्या को लेकर आते हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी कर्मचारी उन्हें यह कहकर लौटा देते हैं कि एजेंसी है ही नहीं, अब उनका काम नहीं हो पाएगा। अपनी समस्या को लेकर स्टूडेंट फिर कब आए, इस बारे में भी उन्हें यूनिवर्सिटी कर्मचारियों द्वारा कोई जानकारी नहीं दी जाती है।

यूनिवर्सिटी प्रोफेसर भी हुए गायब

सत्र 2013 का रिजल्ट सुधार कार्य कराने के लिए यूनिवर्सिटी द्वारा एक प्रोफेसर को नियुक्त किया गया था, लेकिन इन प्रोफेसर का नाम यूनिवर्सिटी के सत्र 2013 में हुए बडे़ घोटाले में आ गया है, जिसके चलते उनके द्वारा भी इस काम से हाथ खड़े कर दिए गए हैं। तमाम एप्लीकेशन उनके पास हैं, लेकिन अब वे यूनिवर्सिटी में नजर नहीं आ रहे हैं। शुक्रवार को इन प्रोफेसर से मिलने के लिए तमाम स्टूडेंट पहुंचे, लेकिन पता चला, कि ये प्रोफेसर अवकाश पर है और इसके साथ ही इनके द्वारा इस सत्र का कोई काम नहीं किया जा रहा है।

काम करने के लिए कोई नहीं राजी

सत्र 2013 में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। इस सत्र में मनमाफिक तरीके से रोल नंबर जनरेट किए गए। जिसकी जांच चल रही है। इस जांच में कई यूनिवर्सिटी अधिकारी फंस चुके हैं, अब जब यूनिवर्सिटी अधिकारी इस सत्र का काम करने के लिए किसी भी कर्मचारी या अधिकारी से बोलते हैं, तो उनके द्वारा इस सत्र के घोटालों को देखते हुए काम करने से साफ इंकार कर दिया जाता है।