न बैंड बाजा न बारात, न दूल्हे का रौब न दुल्हन की पोशाक

डेढ़ साल पहले शुरू हुई थी love life, Rose day पर लिए सात फेरे

गाए गए क्रांति गीत, आयोजित हुई प्रेम, परंपरा और विद्रोह पर परिचर्चा

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: कुछ वर्ष पूर्व शाहिद कपूर और अमृता राव की मूवी विवाह में लव के प्रति डिवोशन ने यूथ पर खासा इंप्रेशन छोड़ा था। यहां सीन थोड़ा डिफरेंट था लेकिन, इसमें सोसाइटी के लिए एक मैसेज जरूर था। रोज डे पर सिटी के एक कोने में अनोखे अंदाज में सम्पन्न हुई पवन और शिल्पी की शादी ने सोसाइटी को एक संदेश देने की कोशिश की है।

Inter caste marriage

पवन पांडेय और शिल्पी प्रतिहारी की लव लाइफ डेढ़ वर्ष पूर्व शुरू हुई। उड़ीसा की रहने वाली शिल्पी और पवन की मुलाकात मुम्बई में एक प्रोग्राम के दौरान हुई। इसके बाद दोनो ने एक-दूसरे के साथ ही जीवन बिताने का फैसला लिया। फैसला दोनो ने ले तो लिया लेकिन दुश्वारियां कम नहीं थीं। इंटरकास्ट होने के कारण परिवार वाले शादी के लिये राजी नहीं थे। पवन और शिल्पी के दोस्तों ने दोनो के माता-पिता को समझाया। इसके बाद उन्होंने इस रिश्ते को रजामंदी दी।

इंट्री गेट से ही दे दिया मैसेज

न कोई बैंड बाजा और न बारात, न शादी का मंडप और न ही दुल्हन ही परंपरागत पोशाक। इस विवाह समारोह में शहर के गिने चुने बुद्धिजीवी, पवन और शिल्पी के रिश्तेदार, दोस्त और माता-पिता शामिल हुये। प्रयाग स्टेशन स्थित आईईआरटी के पीछे आशुतोष यादव के आवास में बनाये गये वैवाहिक स्थल के गेट पर एक बड़ा बैनर लगा था। इसमें दूल्हा और दुल्हन के हवाले से लिखा गया था कि हमारी शादी सड़े-गले रीति रिवाजों और परंपराओं को तोड़ते हुये जीवन की एक नई शुरुआत है। लव लाइफ के समर्थन में कुछ इसी तरह के पोस्टर बैनर सादे समारोह स्थल पर भी जगह-जगह चस्पा किये गये थे। इस दौरान कोई पूजा पाठ का आयोजन नहीं किया गया। वर वधु ने एक दूसरे को केवल फूलों की माला पहनाई। इसमें पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष केके राय, समाजसेवी हरीशचन्द्र पांडेय, प्रसेन, अमित, नीशू, संगीत शिक्षक विवेक विशाल आदि शामिल हुये।

बाक्स

प्रेम, परंपरा और विद्रोह पर रखी बात

दोनो ने शादी के लिये जो निमंत्रण पत्र छपवाया, उसमें जड़ हो चुकी परंपराओं और कर्मकांड़ों पर जमकर प्रहार किया गया। सच्चे प्रेम के अर्थ को परिभाषित करते हुये शहीदे आजम भगत सिंह के संदेश को प्रसारित किया गया। आयोजन के समय क्रांतिकारी गीत गाये गये। जिसके बोल थेयह जो छाप तिलक लगाये और जनेऊधारी हैं, यह जो पात पूजक हैं यह जो भ्रष्टाचारी हैं, उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है, जारी है जारी है अभी लड़ाई जारी है। इसके अलावा आम भारतीय गीत संगीत की जगह कबीर की परंपराभंजक छवि को सामने लाते हुये उन्हीं की रचनाओं को क्लासिकल म्यूजिक में कम्पोज करके सुनाया गया। समारोह के अंत में प्रेम, परंपरा और विद्रोह पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। पवन ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विषय से पीजी किया है। इसके अलावा वे इविवि में छात्र राजनीति में लम्बे समय तक सक्रिय रहे। शिल्पी ने मुम्बई से मल्टीमीडिया की पढ़ाई की है।

शादी में शामिल हुये लोगों से हमें उम्मीद हैं कि वे केवल इस समारोह में शामिल हुये ऐसा नहीं होगा। उम्मीद है कि यह समाज की बेहतरी की दिशा में उठाये गये कदम के प्रति उनकी सहमति भी होगी।

पवन पांडेय, दूल्हा

मैं इस विवाह से बेहद खुश हूं। प्यार सदैव मानव चरित्र को ऊंचा करता है। कभी नीचा नहीं दिखाता। बशर्ते की प्यार प्यार हो। लोगों में प्यार के लिये गहरी भावना होना जरूरी है।

शिल्पी, दुल्हन

बेटा-बहू खुश रहें, इससे ज्यादा हमें क्या चाहिये। पहले तो हम इस तरह से आयोजन के लिये तैयार नहीं थे। लेकिन, जब बच्चों का मकसद समझ में आया तो हमने सहमति दे दी।

अवध नारायण पांडेय, दूल्हे के पिता

आयोजन सामान्य भले ही है। लेकिन हम इस विवाह से बेहद खुश हैं। हमें अच्छे संस्कारों और मानवीय स्वभाव वाली बहू मिली है। इसके लिये हम ईश्वर के सदैव आभारी रहेंगे।

गायत्री देवी, दूल्हे की मां

पहले तो दोनो परिवारों में एका नहीं बन पा रही थी। लेकिन, जब दोनो का आपसी प्रेम देखा तो इंकार कर पाने की कोई वजह नहीं थी। अब दोनो की खुशी में ही हमारी खुशी है।

वेणु प्रतिहारी, दुल्हन के पिता

शादी किसी के लिये भी जीवन की सबसे अहम घड़ी होती है। यह कार्य स्वेच्छा और खुशी से ही होना चाहिये। कार्यक्रम सफलता पूर्वक तरीके से सम्पन्न हुआ। बच्चों ने जो संदेश देने की कोशिश की है। उम्मीद है उसके सार्थक परिणाम होंगे।

स्वाधीन बाला, दुल्हन की मां

यहां आकर बिल्कुल अलग तरह का एहसास हो रहा है। मुम्बई में मैने एक से बढ़कर एक चमक दमक भरे विवाह के आयोजन देखे हैं। लेकिन ऐसा आयोजन पहली बार देख रहा हूं।

अमान चन्द्रा, सिंगर मुम्बई