छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : इंसान की थोड़ी सी लापरवाही उसे जानवरों की एक ऐसी बीमारी का शिकार बना रही है, जिसका इलाज ऑपरेशन थियेटर में ही संभव है। इस बीमारी का नाम है राइनोऑस्पोरडियोसिस। जमशेदपुर में ऐसे कई केसेज आ रहे है। लोगों के नाक, आंख, कान सहित बॉडी के कई और पा‌र्ट्स में होने वाला यह फंगल इंफेक्शन जानवरों के जरिए इंसान में आता है। एमजीएम हॉस्पिटल में हर महीने इस बीमारी से जुड़े दस से पंद्रह मामले आ रहे हैं।

राइनोऑस्पोरडियोसिस के आ रहे कई मामले

एमजीएम हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉ देवेंद्र के अनुसार हॉस्पिटल में हर महीने राइनोऑस्पोरडियोसिस के दस से पंद्रह मामले आते है। उन्होंने बताया कि इसके सबसे ज्यादा मामले ईस्ट सिंहभूम के हल्दीपोखर और सरायकेला-खरसावां से आते हैं। एमजीएम हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट के एचओडी रह चुके डॉ डीके सिन्हा ने बताया की इंसानों में यह इंफेक्शन जानवरों के जरिए आता है। इस इंफेक्शन के फैलने की सबसे बड़ी वजह एक ही तालाब में इंसान और जानवर दोनो का नहाना है। नहाने के दौरान मवेशियों के शरीर से स्पोर्स पानी में मिल जाता है। डॉ देवेंद्र सिंह ने बताया कि ऐसे में अगर इंसान के शरीर के किसी भी अंग में अगर कही हल्का सा भी कटा हो तो, यह स्पोर्स वहां मास के रुप में डिपोजिट हो जाता है।

शरीर के कई पा‌र्ट्स पर असर

डॉ देवेंद्र ने बताया कि नाक में इसका इंफेक्शन होने के सबसे ज्यादा चांसेज रहते हैं। उन्होंने कहा की शरीर में जिस जगह यह इंफेक्शन होता है, वहां छूने पर काफी ब्लिडिंग होती है। उन्होंने बताया की इसका इलाज सिर्फ सर्जरी के जरिए हो सकता है। ठीक होने के बाद इस बीमारी के दुबारा होने के चांसेज भी रहते है, इसलिए सर्जरी के बाद कंटीन्यूअस फॉलो-अप भी करना पड़ता है।

बरसात में सावधानी है जरूरी

बरसात के दिनों में ईएनटी डिजीजेज के मामले बढ़े है। डॉ डीके सिन्हा ने बताया कि इस मौसम में इयर फंगल इंफेक्शन, साइनसाइटिस सहित कई अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने के चांसेज रहते है। इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा की इस मौसम में ह्यूमिडिटी काफी ज्यादा होती है, जिससे फंगल इंफेक्शन होने के काफी चांसेज रहते है। इसके अलावा इस मौसम में एलर्जी, टॉसिल्स की समस्या बढ़ने के भी चांसेज रहते है।

इस तरह बरतें सावधानी

-एक्सपोजर से बचिए

-किसी तरह की एलर्जी होने पर विशेष सावधानी बरतें

-कान में पानी नहीं जाने दें

-कान में तेल न डालें

-स्विमिंग पूल में नहाते वक्त ईयर बड या प्रोटेक्टिव प्लग का इस्तेमाल करे